कोरोना वायरस की वजह से जापान के योकोहामा बंदरगाह पर एक क्रू शिप में 3,700 से ज्यादा यात्री अगले दो हफ्तों के लिए फंस गए हैं। इस शिप में सवार दस यात्रियों के नए कोरोना वायरस से जुड़े टेस्ट पॉजिटिव पाए गए हैं। अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक 'द डायमंड प्रिंसेस' नामक इस क्रू शिप में पिछले महीने के अंत में एक 80 वर्षीय बुजुर्ग ने यात्रा की थी। हांगकांग वापस आने के बाद उनमें कोरोना वायरस के लक्षण दिखाई दिए थे। बाद में उनकी टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव निकली। इसके बाद सोमवार को शिप में सवार हुए लोगों को बंदरगाह पर ही रोक दिया गया। कुछ ऐसा ही मामला हांगकांग में भी देखने में आया है।

खबरों के मुताबिक, शिप में सवार हुए लोगों में से 273 की जांच की गई है। जापान के स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि इनमें से 31 की जांच रिपोर्ट आ गई है। उन्होंने कहा कि दस लोगों की टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव पाई गई है। हालांकि जापान के सरकारी मीडिया संस्थान एनएचके ने जानकारी दी है कि इन दस लोगों में से किसी में भी कोरोना वायरस के गंभीर लक्षण नहीं पाए गए हैं। मीडिया रिपोर्टों में इनमें से तीन लोगों को जापान और हांगकांग का नागरिक बताया गयाहै। वहीं, दो ऑस्ट्रेलिया और एक-एक संक्रमित व्यक्ति अमेरिका और फिलीपींस से है।

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वहीं, बुधवार को हांगकांग में एक और क्रू शिप 'वर्ल्ड ड्रीम' के 1,800 यात्रियों और क्रू सदस्यों की सेहत की जांच शुरू की गई है। बताया जा रहा है कि इस शिप के 30 क्रू सदस्यों में बुखार के लक्षण दिखे हैं। हांगकांग के स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि शिप में सवार हुए ज्यादातर यात्री हांगकांग के निवासी हैं। विभाग ने साफ किया कि जहाज में कोई भी यात्री चीन का नहीं था। दरअसल, इससे पहले 19 और 24 जनवरी को इसी शिप पर चीन के तीन नागरिक सवार हुए थे। बाद में वे तीनों कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए। बहरहाल, वायरस होने की संभावना के चलते किसी भी यात्री को बिना इजाजत शिप छोड़ने नहीं दिया जा रहा है।

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कोरोना की काट ढूंढने में इबोला की मदद
उधर, कोरोना वायरस से दुनिया को बचाने की मुहिम में अमेरिका भी शामिल हो गया है। अमेरिकी प्रशासन एक दवा कंपनी के साथ मिलकर कोरोना वायरस का इलाज तलाशने में जुटा है। यहां के स्वास्थ्य एवं मानव सेवा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इबोला वायरस की दवा के जरिये कोरोना वायरस की दवा बनाने पर काम चल रहा है।

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खबर के मुताबिक, विभाग ने रेजनेरॉन फार्मास्युटिकल्स नामक कंपनी से साझेदारी कर कोरोना के संक्रमण से लड़ने की तैयारी की है। ये दोनों मिल कर ऐसी प्रतिरक्षक दवा (या मोनोक्लोनल एंटीबॉडी) बनाएंगे जो इस स्वास्थ्य संकट से निपटने में कारगर हो। बताया जा रहा है कि इस दवा से फ्लू जैसी समस्याओं को दूर करने के नए इलाज की शुरुआत होगी। बता दें कि जिन देशों में कोरोना वायरस ने अपनी मौजूदगी दर्ज की है, उनमें अमेरिका भी शामिल है। यहां अब तक इस वायरस के 11 मामले सामने आ चुके हैं।

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