कोविड-19 की टेस्टिंग में एंटीबॉडी आधारित परीक्षणों से बेहतर बताए गए एंटीजन टेस्ट भी गलत परिणाम दे रहे हैं। अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया (टीओआई) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश के दो बड़े सरकारी अस्पतालों की लैबोरेटरी में आरटी-पीसीआर मेथड से की गई जांच के परिणाम सामने आने के बाद यह जानकारी सामने आई है। रिपोर्ट की मानें तो एंटीजन टेस्ट में फॉल्स नेगेटिव के मामले सामने आ रहे हैं, जिनके आधार पर ही बृह्नमुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने इसी महीने अपनी 'मिशन यूनिवर्सल टेस्टिंग योजना की शुरुआत की थी। दिल्ली में भी एंटीजन टेस्टिंग के फॉल्स नेगेटिव मामले सामने आए हैं। इस बीच आईसीएमआर के पहली बार किसी स्वदेशी कंपनी की एंटीजन टेस्टिंग किट को कमर्शियल अप्रूवल देने की भी खबरें हैं।

टीओआई के मुताबिक, मुंबई स्थित सरकारी नायर हॉस्पिटल में कोरोना वायरस के 538 सिम्प्टोमैटिक मरीजों के एंटीजन टेस्ट किए गए थे, जिनमें से 60 प्रतिशत आरटी-पीसीआर टेस्ट में पॉजिटिव पाए गए हैं। एक और सरकारी अस्पताल कस्तूरबा में 43 कोविड-19 मरीज एंटीजन टेस्ट में नेगेटिव पाए गए थे, जिनमें से 65 प्रतिशत आरटी-पीसीआर टेस्ट में पॉजिटिव पाए गए हैं। गौरतलब है कि इस महीने बीएमसी ने मुंबई में 8,800 से अधिक एंटीजन टेस्ट किए हैं, जिनमें से 1,152 पॉजिटिव पाए गए हैं। बाकी बचे परिणामों में से कितने फॉल्स नेगेटिव हैं, यह अब जांच का विषय बन सकता है।

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इतनी बड़ी संख्या में फॉल्स नेगेटिव मामले सामने आने को लेकर कस्तूरबा अस्पताल की मॉलिक्यूलर डायग्नॉस्टिक लैबोरेटरी की प्रमुख डॉ. जयंती शास्त्री का कहना है कि ऐसा एंटीजन टेस्ट की किट की रचना के कारण है, जिसकी सेंसिटिविटी 50 प्रतिशत ही है, जबकि स्पेसफिसटी 100 प्रतिशत है। यहां बता दें कि टेस्ट की सेंसिटिविटी का मतलब परीक्षण किट की बीमारी से पीड़ित मरीजों की पहचान करने की क्षमता से है, जबकि स्पेसफिसटी का तात्पर्य उन लोगों की पहचान करने की क्षमता से जो बीमारी की चपेट में नहीं हैं।

दिल्ली के फॉल्स नेगेटिव मामलों पर स्वास्थ्य मंत्रालय का तर्क
इससे पहले मंगलवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया था कि दिल्ली में कोविड-19 के मरीजों की पहचान के लिए किए गए तीन लाख से ज्यादा टेस्टों में से 15 प्रतिशत फॉल्स नेगेटिव निकले हैं। मंत्रालय के मुताबिक, 18 जून से 21 जुलाई के बीच राजधानी में 3.63 लाख से ज्यादा टेस्ट किए गए, जिनमें से 6.33 प्रतिशत ही पॉजिटिव निकले। वहीं, जितने लोगों के सैंपल नेगेटिव निकले, उनमें से 2,294 में कोविड-19 के लक्षण दिखे थे। बाद में जब आरटी-पीसीआर टेस्ट किया गया तो ऐसे करीब 15 प्रतिशत सैंपल पॉजिटिव पाए।

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ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि दिल्ली में नए संक्रमितों की संख्या वाकई में घट रही है यहा एंटीजन फॉर्मेट के तहत किए जा रहे परीक्षणों की वजह से उनकी पहचान नहीं हो पा रही है। इस पर सरकार का कहना है कि लक्षण वाले फॉल्स नेगेटिव परिणामों की संख्या तुलनात्मक रूप से कम है और केवल इन्हीं परिणामों की आरटी-पीसीआर टेस्टिंग सही है। सरकार का तर्क है कि सभी नेगेटिव रिपोर्ट को रीटेस्ट करना 'व्यर्थ' है। लेकिन कुछ मेडिकल विशेषज्ञ इससे सहमत नहीं दिखते। उनका कहना है कि फॉल्स नेगेटिव परिणामों की वजह से बीमारी का खतरा उच्च स्तर पर बना हुआ है। टीओआई ने एक महामारी विशेषज्ञ के हवाले से बताया है, 'लक्षण जल्दी से सामने नहीं आते। ऐसे में संक्रमण की शुरुआत में एंटीजन टेस्ट करने से शायद उनका पता न चले और वायरल लोड की पुष्टि न हो पाए।'

यहां बता दें कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान संस्थान (आईसीएमआर) ने अपने टेस्टिंग प्रोटोकॉल में कहा है कि एंटीजन टेस्ट में नेगेटिव पाए जाने पर सैंपल की आरटी-पीसीआर टेस्टिंग 'अनिवार्य रूप से' की जानी चाहिए ताकि वायरस होने या न होने की सटीक जानकारी मिल सके। लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि एंटीजन टेस्टिंग में नेगेटिव आए असिम्प्टोमैटिक लोगों की कुछ दिन केवल निगरानी की जाएगी। मंत्रालय का तर्क है कि अगर इन दिनों में संबंधित व्यक्ति में संक्रमण के लक्षण दिखाई दिए तो फिर उसका आरटी-पीसीआर टेस्ट किया जाएगा।

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पहली भारतीय कंपनी की एंटीजन किट को डीसीजीआई की मंजूरी
एंटीजन टेस्टिंग को लेकर हो रही बहस के बीच आईसीएमआर ने मॉलिक्यूलर डायग्नॉस्टिक कंपनी माइलैब डिस्कवरी सॉल्यूशन्स (एमडीएस) द्वारा निर्मित एंटीजन रैपिड टेस्टिंग किट 'पैथोकैच' को कमर्शियल अप्रूवल दे दिया है। कंपनी ने इस हफ्ते इसकी जानकारी दी। इसके साथ ही एमडीएस पहली भारतीय कंपनी बन गई है, जिसके द्वारा तैयार की गई एंटीजन किट को आईसीएमआर ने टेस्टिंग में इस्तेमाल करने की अनुमति दी है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, इस स्वदेशी किट की कीमत 450 रुपये के आसपास है। किट को मिली मंजूरी पर कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर हसमुख रावल का कहना है, 'इस महामारी से लड़ने में माइलैब की टीम हर प्रकार से काम कर रही है। एक किफायती आरटी-पीसीआर टेस्ट लाने के बाद हमारी एंटीजन टेस्टिंग किट को भी मंजूरी मिल गई है।'


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें देश में बनी पहली स्वदेशी एंटीजन टेस्टिंग किट को आईसीएमआर की मंजूरी, लेकिन फॉल्स नेगेटिव के मामलों ने चिंता बढ़ाई, जानें इस पर क्या है सरकार का तर्क है

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