कोविड-19 की वैक्सीन बनाने की दौड़ में सबसे आगे की पंक्ति में शामिल अमेरिकी बायोटेक कंपनी मॉडेर्ना 27 जुलाई से अंतिम चरण के मानव परीक्षण करना शुरू करेगी। इसके लिए कंपनी अमेरिका में 30 हजार वॉलन्टियर्स को शामिल करने में लगी हुई है। कंपनी ने फाइनल ट्रायल की घोषणा जानी-मानी वैज्ञानिक पत्रिका न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन (एनईजेएम) की उस रिपोर्ट के बाद की, जिसमें बताया गया है कि पहली स्टेज के ट्रायल के तहत मॉडेर्ना की वैक्सीन से सभी 45 प्रतिभागियों के शरीर में नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित हुए थे।

एनईजेएम की इस रिपोर्ट के बाद मॉडेर्ना ने एडवांस स्टेज के ट्रायल करने की बात कही है। इसमें हजारों की संख्या में प्रतिभागियों पर वैक्सीन आजमाकर देखा जाएगा कि यह उनमें भी संक्रमण को रोकने के साथ-साथ सुरक्षित साबित होती है या नहीं। अगर वैक्सीन लगाने के बाद भी ये लोग वायरस से संक्रमित हुए और उसके बाद भी वैक्सीन उनकी हालत गंभीर होने से रोक सकी, तो भी ट्रायल को सफल माना जाएगा।

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फिलहाल मॉडेर्ना की वैक्सीन 'एमआरएनए-1273' मध्यम स्तर के ट्रायल पर है। इस स्टेज पर चीन की साइनोवैक कंपनी की वैक्सीन भी है। इसी हफ्ते रूस से भी खबर आई थी कि उसकी एक यूनिवर्सिटी द्वारा तैयार की गई वैक्सीन ने पहले चरण के ट्रायल सफलतापूर्वक पार कर लिए हैं, और इसी महीने से दूसरी स्टेज के ट्रायल शुरू किए जाएंगे। बहरहाल, बीते मई महीने में मॉडेर्ना ने पहले चरण के ट्रायल के शुरुआती परिणाम साझा किए थे। तब बताया गया था कि कोई आठ वॉलन्टियर्स पर वैक्सीन आजमाई गई थी, जिसके बाद उनके शरीर में कोरोना वायरस के एंटीबॉडी पैदा हुए थे।

लेकिन जानकारों, शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों ने कहा था कि वे इस ट्रायल के पूरे परिणाम सामने आने के बाद ही कोई राय देंगे। वहीं, ट्रायल की पूरी जानकारी नहीं आने को लेकर कुछ मीडिया रिपोर्टों में कंपनी की विश्वसनीयता पर सवाल भी उठाए गए थे। हालांकि अब एनईजेएम जैसी प्रतिष्ठित और चर्चित मेडिकल पत्रिका की समीक्षा में ट्रायल को हरी झंडी मिलने के बाद मॉडेर्ना कंपनी ने अगले ही दिन अंतिम चरण के ट्रायल करने की घोषणा कर दी है।

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क्या है एनजेईएम की रिपोर्ट?
पत्रिका के मुताबिक, मॉडेर्ना ने शुरुआती ट्रायल के तहत 45 प्रतिभागियों को तीन अलग-अलग समूहों में बांट दिया था। इन तीनों समूहों को वैक्सीन के 25, 100 और 250 माइक्रोग्राम के अलग-अलग डोज दिए गए थे। 28 दिनों के बाद उन्हें दूसरे डोज दिए गए। पहले राउंड के बाद प्रतिभागियों के शरीर में हाई डोज देने के बाद एंटीबॉडी विकसित हुए थे। दूसरे राउंड में एंटीबॉडी का स्तर काफी बढ़ गया था। यह संख्या उन लोगों के एंटीबॉडी से भी ज्यादा थी, जिन्होंने कोरोना वायरस के खिलाफ शरीर में अपनेआप पैदा हुए एंटीबॉडी से कोविड-19 को मात दे दी थी। ट्रायल के दौरान साइडइफेक्ट के मामले भी सामने आए। पत्रिका की मानें तो आधे से ज्यादा प्रतिभागियों को हल्के और भारी दुष्प्रभावों का सामना करने पड़ा। इनमें थकान, ठंड लगना, सिरदर्द, और बदन दर्द शामिल है। हालांकि इन स्थितियों को 'सामान्य' बताया गया है।

ट्रायल में शामिल तीन प्रतिभागियों को वैक्सीन का दूसरा डोज नहीं दिया गया। बताया गया है कि इनमें से एक के पैरों में चकत्ते पड़ गए थे और दो को कोविड-19 के लक्षण दिखने के बाद डोज नहीं दिए गए। बाद में उनकी टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव निकली। कुल मिलाकर इन परिणामों को लेकर कई बड़े मेडिकल विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। हालांकि वैक्सीन के दुष्प्रभावों को लेकर सावधान रहने की बात भी उन्होंने कही है।

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ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन के परिणाम को लेकर उलझन
उधर, कोविड-19 के खिलाफ वैक्सीन तैयार करने की प्रतियोगिता में सबसे आगे चल रही ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और ब्रिटिश दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने शुरुआती ट्रायलों के परिणाम अभी तक सामने नहीं रखे हैं। ऐसी खबरें आई थीं कि ये परिणाम गुरुवार यानी आज सामने आ सकते हैं। लेकिन इन्हें प्रकाशित करने वाली प्रतिष्ठित पत्रिका दि लांसेट ने कहा है कि वह वैक्सीन के परीक्षणों के परिणाम 20 जुलाई को ही प्रकाशित करेगी। हालांकि दूसरी तरफ, मीडिया रिपोर्टों में यह अभी भी कहा जा रहा है कि परिणाम गुरुवार को आ सकते हैं। ऐसे में इसे लेकर फिलहाल उलझन की स्थिति बनी हुई है। बता दें कि 'चडॉक्स एनसीओवी-19' कोविड-19 के इलाज के लिए तीसरे चरण के ट्रायल में पहुंचने वाली पहली वैक्सीन है।


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: मॉडेर्ना की वैक्सीन के पहले चरण के ट्रायल के परिणामों को इस प्रतिष्ठित मेडिकल पत्रिका ने दी हरी झंडी, 27 जुलाई से अंतिम चरण की शुरुआत है

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