अमेरिकी दवा कंपनी फाइजर ने अपने कोविड-19 वैक्सीन कैंडिडेट 'बीएनटी161' को 12 साल की उम्र तक के बच्चों पर प्रयोग करने की योजना बनाई है। खबर है कि कई माता-पिता ने इसके लिए रुचि दिखाई है। सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, इस नियोजित ट्रायल से जुड़े एक शोधकर्ता ने यह जानकारी दी है। यह योजना अगर अमल में लाई गई तो अमेरिका में यह पहला कोरोना वैक्सीन ट्रायल होगा, जिसमें बच्चों को भी शामिल किया जाएगा। उधर, ब्रिटिश दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका को लेकर भी कहा जा रहा है कि वह अपनी कोरोना वैक्सीन चडॉक्स-एनसीओवी1 को पांच से 12 साल तक के बच्चों पर आजमाने की तैयारी कर रही है।

खबर के मुताबिक, अमेरिका के सिनसिनाटी चिल्ड्रेन्स हॉस्पिटल ने फाइजर द्वारा विकसित वैक्सीन कैंडीडेट के ट्रायल को करने की हामी दी है। अस्पताल ने इस हफ्ते 16 और 17 साल के बच्चों को इस कोविड टीके से वैक्सीनेट करना शुरू किया है। आगे के प्रोसेस में 12 साल से 15 साल के बच्चों को भी परीक्षण में शामिल कर उन्हें टीका लगाया जाएगा। अस्पताल के वैक्सीन रिसर्च सेंटर के निदेशक डॉ. रॉबर्ट फ्रेंक ने सीएनएन से बातचीत में यह जानकारी दी है। इसके अलावा, फाइजर ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर भी इस योजना की पुष्टि की है। कंपनी ने बताया है कि इस ट्रायल के लिए उसे शीर्ष अमेरिकी ड्रग नियामक एजेंसी फूंड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) से अप्रूवल प्राप्त है।

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इस योजना को लेकर डॉ. फ्रेंक का कहना है, 'हमें वास्तव में लगता है कि कोविड-19 को नियंत्रित करने के लिए नवयुवाओं और बच्चों के लिए भी कोई (कोरोना) वैक्सीन बहुत जरूरी होने वाली है। हमें यह याद रखना चाहिए कि भले ही कोविड-19 से बच्चों की मृत्यु दर वयस्कों के मुकाबले कम है, लेकिन यह शून्य नहीं है।' फ्रेंक ने कहा कि अमेरिका में पांच लाख से ज्यादा बच्चे कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं, इसलिए यह नहीं कहना चाहिए कि बच्चों के लिए यह संक्रमण नहीं हैं। उन्होंने साफ कहा, 'बच्चे (कोविड-19 से) गंभीर रूप से बीमार हो सकते हैं और उनकी मौत भी हो सकती है। यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि ऐसा किन बच्चों के साथ होगा। वे दूसरो को भी यह बीमारी दे सकते हैं। इनमें उनके माता-पिता, दादा-दादी, स्वास्थ्यकर्मी और अन्य ऐसे लोग हो सकते हैं, जो आसानी से बीमारी के चपेट में आ सकते हैं।'

डॉ. फ्रेंक की यह बात बच्चों से जुड़े मल्टीपल इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम (एमआईएस-सी) के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है। कोविड-19 महामारी के दौरान अमेरिका में कई बच्चे इस दुर्लभ बीमारी की चपेट में आए हैं। उनमें से कुछ मारे भी गए हैं। इसके अलावा फ्रेंक का यह भी कहना है कि अमेरिका में कोरोना वायरस से संक्रमित हुए बच्चों की असल संख्या आधिकारिक आंकड़ों से ज्यादा है। वे कहते हैं, 'हमें लगता है कि हम कम संख्या में संक्रमित बच्चों की गिनती कर रहे हैं, क्योंकि उनमें बीमारी के लक्षण नहीं दिखे हैं, जिन्हें देखकर माता-पिता उन्हें डॉक्टर के पास ले जाएं।' वैक्सीन रिसर्च सेंटर के निदेशक ने यह भी कहा कि एफडीए ने वैक्सीन निर्माता कंपनियों से कहा है कि वे अलग-अलग वर्ग के लोगों पर वैक्सीन को आजमाएं। इनमें वे लोग भी शामिल हैं, जो आमतौर पर वैक्सीन ट्रायल में मिस हो जाते हैं, जैसे बुजुर्ग, अश्वेत, नैटिव अमेरिकन आदि। फ्रेंक की मानें तो अब तक 90 से ज्यादा अभिभावकों ने बच्चों पर वैक्सीन ट्रायल करने से जुड़े विज्ञापन पर दिलचस्पी दिखाई है।

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गौरतलब है कि फाइजर ने जर्मन दवा कंपनी बायोएनटेक के साथ मिलकर कोविड-19 वैक्सीन तैयार की है। कोरोना वायरस के रोकथाम और इलाज के लिए तैयार की गई जिन वैक्सीनों की सबसे ज्यादा चर्चा हुई है, उनमें से एक बीएनटी162 भी है। कंपनी ने वायरस के जेनेटिक मटीरियल के टुकड़ों की मदद से इस वैक्सीन को विकसित किया है। फाइजर का दावा है कि इससे उसे शुरुआती ट्रायल में वायरस के खिलाफ इम्यूनिटी पैदा करने में कामयाबी मिली है। इस समय बीएनटी162 के तीसरे और अंतिम चरण के ट्रायल किए जा रहे हैं। इसके तहत करीब 38 हजार प्रतिभागियों को टीका लगाया जाएगा। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, इनमें से 31 हजार प्रतिभागियों को दूसरा वैक्सीन शॉट लगा दिया गया है। फाइजर का कहना है कि अगर उसे अमेरिकी ड्रग नियामकों से अप्रूवल मिला तो वह 2020 के अंत तक दस करोड़ वैक्सीन डोज बना सकती है। वहीं, अगले साल के अंत तक 1.3 अरब डोज तैयार करने की योजना है।

शुरुआत में बच्चों को नहीं लगेगी वैक्सीन: सीडीसी
फाइजर अपनी संभावित कोविड-19 वैक्सीन को बच्चों पर भी आजमाना चाहती है, लेकिन कोरोना वायरस को रोकने के लिए बनाई गई कोई भी वैक्सीन अप्रूवल के बाद बच्चों को लगाई जाएगी या नहीं, इस बारे में स्थिति साफ नहीं है। ऐसा इसलिए, क्योंकि अमेरिकी की शीर्ष स्वास्थ्य एजेंसी सीडीसी ने कहा है कि जब भी कोविड-19 की कोई वैक्सीन पूरी तरह तैयार होगी तो शुरुआत में उसे बच्चों के लिए रेकमेंड नहीं किया जाएगा। सीडीसी ने कहा है कि शुरुआती क्लिनिकल ट्रायलों में जिन लोगों को वैक्सीन लगाई गई है, उनमें नॉन-प्रेग्नेंट वयस्कों की संख्या ज्यादा है। एजेंसी ने तर्क दिया है कि इनमें से किसी भी परीक्षण में अभी तक बच्चों को शामिल कर उन्हें कोई एक्सपेरिमेंटल कोरोना वायरस वैक्सीन नहीं दी गई है। सीडीसी ने यह भी कहा कि वैक्सीन जब भी आएगी, उसे पहले एफडीए के तहत इस्तेमाल किया जाएगा, जिसके बाद ही टीके को इमरजेंसी अप्रूवल मिलेगा। इसके अलावा, शीर्ष स्वास्थ्य एजेंसी ने बताया कि इस साल के अंत तक वैक्सीन सीमित आपूर्ति में ही उपलब्ध हो पाएगी।

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उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: अमेरिका में ट्रायल के तहत 12 साल के बच्चों को लगेगी वैक्सीन, लेकिन इमरजेंसी अप्रूवल के बाद शुरुआती वैक्सीनेशन में शामिल नहीं होंगे बच्चे है

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