अमेरिकी दवा कंपनी फाइजर ने जर्मन फर्म बायोएनटेक के साथ मिलकर तैयार की कोविड-19 वैक्सीन को लेकर नया दावा किया है। उसने अंतिम चरण के ट्रायल से जुड़े संपूर्ण परिणामों के पहले सेट के हवाले से बताया है कि कोविड-19 वैक्सीन 'बीएनटी162बी2' कोरोना वायरस के खिलाफ 95 प्रतिशत इफेक्टिव है और इसके कोई भी गंभीर दुष्प्रभाव नहीं हैं। कंपनी ने इस नए ट्रायल डेटा के आधार पर कहा है कि उसकी वैक्सीन ने हल्के से लेकर गंभीर कोविड-19 को रोकने की क्षमता दिखाई है। उसने बताया कि बुजुर्गों पर भी यह वैक्सीन 94 प्रतिशत प्रभावी है, जो इस महामारी के प्रति सबसे कमजोर लोग हैं और अन्य प्रकार की वैक्सीन लगाने पर भी मजबूत रेस्पॉन्स नहीं देते।

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नया डेटा जारी करते हुए फाइजर ने कहा है कि उसने बायोएनटेक के साथ मिलकर वैक्सीन के इस्तेमाल के लिए आपातकालीन अनुमति लेने की योजना भी बना ली है और अगले कुछ ही दिनों में इसके लिए एफडीए के समक्ष आवेदन करेगी। कंपनी का कहना है कि अगर उसे एफडीए से अपनी दो डोज वाली कोरोना वैक्सीन के इस्तेमाल की आपातकालीन मंजूरी मिल गई तो वह वह इस साल के अंत तक इसकी पांच करोड़ डोज उपलब्ध करा सकती है और अगले साल के अंत तक 130 करोड़ डोज की मैन्युफैक्चरिंग करा सकती है। वहीं, डेटा से जुड़ी जानकारी साझा करते हुए फाइजर के चीफ एक्जिक्यूटिव डॉ. एलबर्ट बोर्ला ने कंपनी के आधिकारिक बयान में कहा है, 'ये अध्ययन परिणाम इस विनाशकारी महामारी को खत्म करने में मदद करने वाली कारगर वैक्सीन बनाने की हमारी आठ महीनों की एतिहासिक यात्रा में एक अहम कदम हैं।' 

इससे पहले पिछले हफ्ते फाइजर ने अंतिम चरण के ट्रायलों के प्रारंभिक डेटा के आधार पर कहा था कि उसकी बीएनटी162बी2 वैक्सीन कोविड-19 की रोकथाम में 90 प्रतिशत से ज्यादा प्रभावी पाई गई है। उसके इस दावे के बाद दो और बड़ी दावेदार वैक्सीन स्पुतनिक 5 और एमआरएनए1273 के निर्माताओं ने भी शुरुआती डेटा के आधार पर अपने-अपने कोरोना टीके को कोविड-19 के खिलाफ 90 प्रतिशत से ज्यादा सक्षम बता दिया था। स्पुतनिक 5 वैक्सीन बनाने वाले रूस के गामालेय रिसर्च सेंटर ने कहा कि उसकी वैक्सीन कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम में 92 प्रतिशत से ज्यादा प्रभावी पाई गई है। वहीं, एक अन्य अमेरिकी दवा कंपनी मॉडेर्ना ने कहा कि उसका टीका कोविड की रोकथाम में 94.5 प्रतिशत प्रभावी है। कंपनी ने तीसरे चरण के मानव परीक्षणों जुड़े प्रारंभिक विश्लेषण के आधार पर यह जानकारी दी थी। अब देखना होगा कि ये दोनों कोरोना वैक्सीन निर्माता फाइजर की तरह संपूर्ण परिणामों के आधार पर क्या नए दावे करते हैं।

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बहरहाल, फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन की बात करें तो इसके ट्रायल में लगभग 44 हजार प्रतिभागियों को शामिल किया गया था। इनमें से आधे को बीएनटी162बी2 दी गई थी। वहीं, उसके प्रभाव की तुलना के लिए आधे प्रतिभागियों को प्लसीबो शॉट दिए गए थे। इसके बाद शोधकर्ताओं ने यह जानने के लिए इंतजार किया कि दोनों ग्रुप में से कितने प्रतिभागी कोविड-19 से ग्रस्त हुए। इसी ट्रायल के परिणामों के पहले सेट के हवाले से कंपनी ने बताया है कि एक प्लसीबो समूह के 170 प्रतिभागियों में से 162 कोविड-19 से ग्रस्त हो गए थे। वहीं, वैक्सीन वाले ग्रुप में केवल आठ लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए। दोनों समूह में कुल दस मामले गंभीर कोविड-19 के थे, जिनमें से नौ प्लसीबो ड्रग वाले समूह से थे।

यह संयुक्त टीका बनाने वाली दोनों कंपनियों ने कहा है कि वैक्सीन ने सभी उम्र और नस्ल के लोगों पर असर दिखाया है। इस दौरान, सबसे कॉमन सीरियस साइड इफेक्ट थकान के रूप में देखा गया। पहले सेट के डेटा के हिसाब से 3.7 प्रतिशत प्रतिभागियों ने दूसरे डोज के बाद थकान की शिकायत की थी। वहीं, दो प्रतिशत वॉलन्टियर्स ने दो ही डोज के बाद सिरदर्द की शिकायत की। इसके अलावा, बुजुर्ग वयस्कों ने थोड़े और, लेकिन मामूली साइड इफेक्ट होने की जानकारी दी थी। इन परिणामों पर कई दूसरे मेडिकल विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं ने खुशी जाहिर की है और फाइजर को जल्द से जल्द बाकी डेटा भी विस्तृत विश्लेषण के साथ रिलीज करने को कहा है। उनका कहना है कि प्रेस रिलीज के बजाय साइंटिफिक डेटा जारी करना हमेशा बेहतर होता है। उधर, फाइजर और बायोएनटेक ने भी अपने ट्रायल के अध्ययन की किसी मेडिकल पत्रिका से समीक्षा कराने की बात कही है। इस काम में कुछ महीनों का समय लग सकता है।

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उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें फाइजर ने अब अपनी वैक्सीन को कोविड-19 के खिलाफ 95 प्रतिशत सक्षम बताया, नए ट्रायल डेटा के आधार पर किया दावा है

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