रूस ने अपनी दूसरी कोविड-19 वैक्सीन 'एपीवैककोरोना' को भी तीसरे चरण के ट्रायल से पहले आधिकारिक मंजूरी दे दी है। इस वैक्सीन को रूस की एक पूर्व लैबोरेटरी में बनाया गया है, जहां पहले जैविक हथियारों पर शोध होता था। यह दूसरी बार है जब रूस ने वैक्सीन की क्षमता को जानने के लिए वैज्ञानिक प्रोटोकॉल के तहत जरूरी माने जाने वाले दूसरे और तीसरे चरण के ट्रायलों को किए बिना ही कोविड-19 वैक्सीन के इस्तेमाल को मंजूरी दी है। खबरों के मुताबिक, रूस के साइबेरिया स्थित वेक्टर स्टेट वाइरोलॉजी एंड बायोटेक्नोलॉजी सेंटर ने इस वैक्सीन को तैयार किया है। टीके को मंजूरी देते हुए राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है, 'हमें अपनी पहली और अब दूसरी वैक्सीन का उत्पादन बढ़ाने की जरूरत है। पहले हमें घरेलू बाजार में इनकी आपूर्ति करनी चाहिए।' इसके साथ पुतिन ने यह भी कहा कि रूस अन्य देशों के साझेदारी कर इन टीकों का संचारण करेगा।

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मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, इस दूसरी वैक्सीन को रूस ने तीसरे ट्रायल से पहले ही रजिस्टर कर लिया था। पिछले महीने आई खबरों के मुताबिक, रूस ने 15 अक्टूबर से पहले इस वैक्सीन को आधिकारिक रूप से रजिस्टर करने की तैयारी करने की बात कही थी। हालांकि वैक्सीन को केवल शुरुआती मानव परीक्षणों के आधार पर अप्रूव कर दिया गया है। इन परीक्षणों में वैक्सीन को 100 प्रतिभागियों को लगाया गया था। वेक्टर इंस्टीट्यूट के निदेशक रीनात मैक्स्युतोव का दावा है कि सभी वॉलन्टियर्स का स्वास्थ्य ठीक है। हालांकि इससे संबंधित डेटा को अभी तक किसी मेडिकल जर्नल ने प्रकाशित नहीं किया है। उधर, खबरों की मानें तो रूस की उप-प्रधानमंत्री तात्याना गोलीकोवा ने दावा किया है कि वे खुद इस नई वैक्सीन को आजमा चुकी हैं और उन्हें कोई भी साइड इफेक्ट नहीं हुए हैं। उनका दावा है कि वैक्सीन सुरक्षित है और जल्दी ही इसके 60 हजार डोज तैयार किए जाएंगे।

इससे पहले रूसी सरकार मॉस्को स्थित गामालेया इंस्टीट्यूट द्वारा निर्मित कोरोना वायरस वैक्सीन स्पूतनिक 5 को पहले ही 'दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन' करार देते हुए रजिस्टर कर चुकी है। हालांकि यह वैक्सीन कई कारणों के चलते विवादों में है। रूस ने इस वैक्सीन के अंतिम यानी तीसरे चरण के निर्णायक मानव परीक्षण नहीं किए हैं। उसने पहले चरण के ट्रायलों में मिली आंशिक सफलता के बाद ही स्पूतनिक 5 को औपचारिक रूप से कोविड-19 की वैक्सीन घोषित कर दिया था। तब तक इस टीके के दूसरे चरण के ट्रायल हो गए थे, लेकिन उनके परिणाम सामने नहीं आए थे और तीसरे चरण के मानव परीक्षण हुए ही नहीं थे। इसके चलते कई देशों, विशेषकर अमेरिका और यूरोपीय देशों ने स्पूतनिक 5 को लेकर रूस की सरकार की खासी आलोचना की थी।

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वैक्सीन को लेकर अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक समुदाय की नाराजगी के बीच रूस ने बाद में जाकर तीसरे चरण के ट्रायल करने की घोषणा की थी, जिसमें 40 हजार से ज्यादा प्रतिभागियों पर स्पूतनिक 5 टीका आजमाए जाने की बात कही गई थी। यह ट्रायल अभी चल रहा है। हालांकि इसके परिणाम सामने आने से बहुत पहले रूस आम लोगों के लिए स्पूतनिक 5 को लॉन्च कर चुका है और कुछ देशों में इसका निर्यात भी कर चुका है। भारत में भी इस वैक्सीन के मानव परीक्षण जल्दी ही होने वाले हैं। हालांकि यहां के ड्रग नियामक ने तीसरे चरण के ट्रायल पर फिलहाल रोक लगाते हुए पहले छोटे स्तर के ट्रायल करने का सुझाव दिया है। और अब रूस दूसरी वैक्सीन लेकर सामने आ गया है। देखना होगा कि इस वैक्सीन को लेकर आने वाले दिनों में किस प्रकार की जानकारियां और प्रतिक्रियाएं देखने को मिलती हैं।

इस बीच, संयुक्त राष्ट्र ने साफ कर दिया है कि कोविड-19 के इलाज के लिए तैयार की गई किसी भी वैक्सीन को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा मंजूर किया जाना जरूरी है। यह कहते हुए संयुक्त राष्ट्र ने स्पूतनिक 5 का नाम लिया है। दरअसल, सितंबर महीने में संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाषण देते हुए व्लादिमीर पुतिन ने यूएन स्टाफ के सामने प्रस्ताव रखा था कि वे स्पूतनिक 5 को पूरी दुनिया में मुफ्त में मुहैया करा सकते हैं। इसी सिलसिले में यूएन ने स्पूतनिक 5 का जिक्र करते हुए कहा है कि इसके इस्तेमाल की मंजूरी के लिए इसका डब्ल्यूएचओ द्वारा प्रमाणित होना जरूरी है।

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उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें रूस ने तीसरे चरण के ट्रायल के बिना अपनी दूसरी कोविड-19 वैक्सीन को भी हरी झंडी दी है

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