कोविड-19 संकट के बीच बिहार के पटना के एक ग्रामीण इलाके में हुई शादी राज्य में कोरोना वायरस की 'सुपर-स्प्रेडर' बन गई है। कोरोना काल के समय सोशल डिस्टेंसिंग और शादी समारोह को लेकर सरकार द्वारा जारी किए गए तमाम प्रोटोकॉलों को ताक पर रखकर की गई यह शादी दूल्हे के लिए जानलेवा साबित हुई तो इसमें शामिल हुए 100 से ज्यादा लोगों को कोरोना वायरस से संक्रमित कर गई। एक ही जगह से इतनी बड़ी संख्या में लोगों के संक्रमित पाए जाने के बाद इस शादी को बिहार में कोरोना संक्रमण की सबसे बड़ी चेन माना जा रहा है। मृतक दूल्हे से लेकर कोरोना पॉजिटिव पाए गए 113 बराती-घराती किस-किस से मिले, यह पता लगाने में प्रशासन के पसीने छूट रहे हैं।

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क्या है मामला?
यह पूरा मामला पटना जिले के पालीगंज सबडिविजन में पड़ने वाले एक गांव का है। यहां बीती 15 जून को मृतक का विवाह हुआ था। इसके दो दिन बाद ही यानी 17 जून को उसकी मौत हो गई। बताया जा रहा है कि उसे तेज बुखार था। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, मौत के बाद मृतक दूल्हे का अंतिम संस्कार कोरोना वायरस टेस्ट के बिना ही कर दिया गया। इसके बाद पालीगंज में कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के तहत 360 से ज्यादा लोगों की पहचान की गई। वहीं, नौबतपुर और बिहटा नाम के इलाकों में भी कुछ लोगों की ट्रेसिंग की गई। ये लोग दुल्हन के परिवार से संबंधित थे। मंगलवार को बिहार के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इन सभी संदिग्धों में से 113 कोविड-19 टेस्ट में पॉजिटिव पाए गए हैं।

अखबार ने बताया कि संक्रमित पाए गए सभी 113 लोगों में या तो 30 वर्षीय दूल्हे के रिश्तेतार शामिल हैं या समारोह में गए अन्य मेहमान। अनुमान है कि इनमें से 15 ने बाकी लोगों को संक्रमण दिया है। ज्यादातर लोगों में वायरस के लक्षण नहीं दिख रहे हैं। उन्हें बिहटा और फुलवारीशरीफ इलाकों में बनाए गए आइसोलेशन सेंटरों में भर्ती किया गया है। मामला सामने आने के बाद पूरे पालीगंज सबडिविजन को कनटेंमेंट जोन घोषित कर सील कर दिया गया है।

गुड़गांव से बिहार गया था पीड़ित
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, मृतक दिल्ली से सटे गुड़गांव में बतौर सॉफ्ट इंजीनियर काम कर रहा था। वह बीते मई महीने के आखिर में पालीगंज में अपने गांव शादी करने के लिए लौटा था। उसके एक रिश्तेदार ने अखबार को बताया, '14 जून (शादी से एक दिन पहले) को उसे अपनी तबीयत खराब लग रही थी। वह शादी टालना चाहता था। लेकिन परिवार के प्रमुख लोगों ने इसके विरोध में राय रखी कि अगर शादी के इंतजाम रद्द किए गए तो भारी आर्थिक नुकसान होगा।' वहीं, टेस्ट में नेगेटिव पाए गए एक अन्य रिश्तेदार ने कहा कि मृतक को गांव लौटे काफी दिन हो गए थे और इस दौरान वह पूरी तरह ठीक लग रहा था। इसलिए किसी को संदेह नहीं हुआ कि उसे कोविड-19 हो सकता है। इस रिश्तेदार ने कहा, 'ग्रामीण इलाके लगभग कोविड-मुक्त हैं। इसलिए हम बेफिक्र थे।'

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लेकिन शादी का दिन आते-आते पीड़ित के शरीर का तापमान बढ़ गया। रिश्तेदार ने बताया कि परिजन इसे लेकर चिंतित थे, लेकिन उन्होंने प्रार्थना कि उसे कोविड इन्फेक्शन न हो। रिश्तेदार के मुताबिक, 'दूल्हे ने पैरासिटामोल लेने के बाद शादी से जुड़े सभी कार्यक्रमों में हिस्सा लिया।' बाद में 17 जून को उसकी हालत बिगड़ गई। ऐसे में परिवार उसे तुरंत लेकर पटना स्थित एम्स पहुंचा। लेकिन रास्ते में ही पीड़ित की मौत हो गई। बाद में परिवार ने उसका अंतिम संस्कार कर दिया। 

इस बीच किसी ने जिला अधिकारियों को मामले की खबर दे दी। इसके बाद 19 जून को शादी में शामिल हुए सभी करीबी रिश्तेदारों का टेस्ट किया गया। उनमें से 15 पॉजिटिव निकले। फिर 24 जून से 26 जून के बीच गांव में विशेष कैंप लगाकर 364 लोगों के सैंपल लिए गए, जिनमें से 86 पॉजिटिव पाए गए। अब स्थानीय अधिकारी इलाके में संक्रमण को और फैलने से रोकने की कोशिश में लग गए हैं। पालीगंज के ब्लॉक डेवलेपमेंट अधिकारी चिरंजीव पांडेय का कहना है, 'हमारी पहली प्राथमिकता संक्रमण को रोकना और इसकी चेन को तोड़ना है। हमने (पालीगंज के) आसपास के इलाकों मीठा कुआं, खागड़ी और कुछ अन्य उपनगरीय बाजार वाले इलाकों को सील कर दिया है।'

पालीगंज का यह मामला ऐसे समय में सामने आया है, जब बिहार में कोरोना वायरस तेजी से फैलता दिख रहा है। यहां अब तक 10 हजार से ज्यादा लोगों को कोरोना वायरस संक्रमित कर चुका है। हालांकि एक सकारात्मक पहलू यह है कि बिहार में कोविड-19 की मृत्यु दर एक प्रतिशत भी नहीं है। यहां अब तक 68 लोग कोरोना संक्रमण से मारे गए हैं, जो संक्रमितों की इतनी बड़ी संख्या वाले कई राज्यों से तुलनात्मक रूप से काफी कम है।

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एक और राहत वाली बात यह है कि बिहार के सभी जिलों में संक्रमितों की संख्या 1,000 भी नहीं है। पटना की ही बात करें तो यहां अब तक सबसे अधिक 747 मरीजों की पुष्टि हुई है। इसके अलावा, बिहार में कोरोना वायरस के ज्यादातर मरीज ठीक हो गए हैं। आंकड़े बताते हैं कि कुल 10,076 मरीजों में से 7,544 को कोविड-मुक्त करार दिया गया है। यह राज्य के कुल मामलों का करीब 75 प्रतिशत है।


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