केंद्र सरकार ने कोविड-19 के इलाज और रोकथाम से जुड़ी सुविधाओं या स्वास्थ्य केंद्रों को लेकर नई गाइडलाइंस जारी की हैं। इन गाइडलाइंड में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि इन कोविड-19 केंद्रों में मरीजों के लिए सायक्रिएटिक कंसल्टेशन (मनोरोग संबंधी परामर्श) की सुविधा होनी चाहिए। मंत्रालय का कहना है कि कोरोना वायरस के चलते पैदा हुई महामारी से मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी चिंताएं सामने आई हैं। ये चिंताएं पहले से मौजूद मनोरोगों, आम जनजीवन पर लगी पाबंदियों और अनिश्चित भविष्य की वजह से बढ़ी हैं। ऐसे में स्वास्थ्य मंत्रालय ने 'गाइडलाइंस ऑन मैनेजिंग मेंटल इलनेस इन हॉस्पिटल सेटिंग्स ड्यूरिंग कोविड-19' के नाम से दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इनमें बताया गया है कि कोविड-19 महामारी के चलते कम से कम तीन प्रकार के लोगों के समूहों के मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ा है।

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दरअसल, अलग-अलग अध्ययनों में बताया गया है कि कोरोना संक्रमण से ग्रस्त करीब 30 प्रतिशत कोविड मरीजों में डिप्रेशन के लक्षण मिले हैं। वहीं, 96 प्रतिशत मरीजों में पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर के लक्षण दिखे हैं। दूसरे पीड़ित वे लोग हैं, जो पहले से मनोरोग संबंधी डिसऑर्डर से ग्रस्त हैं। मंत्रालय की मानें तो कोरोना संकट के दौरान ऐसे लोगों की मानसिक समस्या और ज्यादा बढ़ सकती है। वहीं, तीसरे समूह में कई मानसिक लक्षणों का जिक्र करते हुए उनसे पीड़ित लोगों को शामिल किया गया है। इनमें एंग्जाइटी, नॉन-स्पेसिफिक साइकोलॉजिकल डिस्ट्रेस, डिप्रेशन, स्ट्रेस, इनसोम्निया, हैलुसिनेशन, पैरानॉइड और आत्महत्या का विचार (सूसाइडल आइडिएशन) जैसी समस्याएं शामिल हैं। मंत्रालय ने इनके हल्के और गंभीर दोनों मरीजों को शामिल करते हुए गाइडलाइंस जारी की हैं। इनमें चिंता से जुड़े कारणों का अलग से उल्लेख किया गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया है कि कोविड-19 संकट में लोगों की जीवनशैली में तरह-तरह की पाबंदियां लगने, नौकरी छूटने और भावी अनिश्चितता जैसे कारणों ने उनकी चिंताओं को बढ़ाया है। इससे घरेलू हिंसा और बाल शोषण के मामलों में भी बढ़ोतरी हुई है।

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इस आधार पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है, 'इसलिए स्वास्थ्य अधिकारियों और मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए अलग से विशेष गाइडलाइंस की जरूरत है कि कैसे अस्पताल या उस पर आधारित मेडिकल केंद्रों में कोविड-19 संक्रमण और उससे संबंधित (अन्य प्रकार की) समस्याओं को रोका जाए।' खबर के मुताबिक, मंत्रालय ने कहा है कि कोरोना महामारी से स्वास्थ्य सुविधाओं पर अतिरिक्त दबाव बढ़ा है और मेंटल हेल्थ केयर से जुड़ी सेवाओं के सामने अलग तरह की चुनौतियां खड़ी हुई हैं। ऐसा अस्पतालों और कम्युनिटी दोनों ही के स्तर पर हुआ है।

तमाम कारणों का जिक्र करते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपनी गाइडलाइंस में कहा है कि कोविड-19 केंद्रों में मानसिक समस्याओं से निपटने के लिए कोई साइकायट्रिस्ट होना चाहिए। यह सुविधा चाहे व्यक्तिगत रूप से उपलब्ध हो या टेली-कंसल्टेशन पर। दिशा-निर्देश के मुताबिक, किसी मानसिक बीमारी से पीड़ित व्यक्ति के भर्ती होते समय यह कंसल्टेशन फेसिलिटी दी जानी चाहिए। साथ ही, मनोरोग विशेषज्ञ की सलाह के बिना कोई भी साइकोट्रॉपिक मेडिकेशन तब तक नहीं रोका जाना चाहिए, जब तक कि मरीज की जान को खतरा न हो।

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गाइडलाइंस के मुताबिक, 'ऐसे मरीजों के बेड नर्सिंग स्टेशन के नजदीक होने चाहिए ताकि उनका लगातार निरीक्षण सुनिश्चित हो सके। यह भी ध्यान रखा जाए कि किसी भी प्रकार का कोई यंत्र या औजार इन मरीजों की पहुंच से दूर हो ताकि वे खुद को या दूसरों को नुकसान न पहुंचाएं।' वहीं, मरीजों की देखभाल में लगे केयरगिवर्स को उनकी शारीरिक और मानसिक स्थिति के बारे में अपडेट जरूर दी जानी चाहिए।

इसके अलावा अन्य गाइडलाइंस इस प्रकार हैं-

  • मेडिकल स्टाफ को उन मरीजों के पास रहना चाहिए, जो हिंसा या आत्महत्या कर सकते हैं
  • कुछ मनोरोगी (जैसे डिल्यूजनल डिसऑर्डर या साइकॉटिक डिसऑर्डर से पीड़ित लोग) शायद इलाज करने वाली टीम के साथ कॉपरेट न करें या विरोधी रवैया दिखाएं, ऐसे में मेंटल हेल्थकेयर एक्ट, 2017 के प्रावधानों को लागू किया जा सकता है
  • जब तक किसी प्रकार की इमरजेंसी न हो, तब तक मरीजों और केयरगिवर्स को मानसिक स्वास्थ्य केंद्रों के ओपीडी में नहीं आने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए
  • मेडिकेशन में किसी तरह की परेशानी पर ये लोग स्थानीय/राज्य/राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर पर फोन कर सहायता मांग सकते हैं
  • जो मरीज ओपीडी नहीं आ सकते, उनके लिए होम विजिट सेवा शुरू करने की जरूरत है, लेकिन जरूरी क्लिनिकल परामर्श के बाद
  • मनोरोग के मामलों को देख रहे स्वास्थ्य केंद्रों (एमएचई) को अपने यहां एक हॉस्पिटल इन्फेक्शन कमेटी गठित करने की जरूरत है, जो महामारी के दौरान स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नए दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित करे ताकि मेंटल हेल्थ सर्विस सुरक्षित ढंग से चलती रहें
  • ओपीडी में भीड़ इकट्ठा होने से रोकने के लिए जरूरी है कि आउटपेशंट फेसिलिटीज में केवल अपॉइंटमेंट लेने वाले मरीजों का ओपीडी कंसल्टेशन किया जाए

इसके अलावा, बुजुर्ग मनोरोगियों, मानसिक रूप से अस्वस्थ नई-नई मांओं और मेंटल इलनेस के साथ सब्सटेंस यूज डिसऑर्डर (अल्कोहल और तंबाकू) से पीड़ित बच्चों और युवा मनोरोगियों के लिए भी स्वास्थ्य मंत्रालय ने अलग से गाइडलाइंस दी हैं।

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उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19 स्वास्थ्य केंद्रों में सायक्रिएटिक कंसल्टेशन की सुविधा हो, कोरोना वायरस से जुड़े मानसिक संकट से निपटने के लिए नई गाइडलाइंस जारी है

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