कोरोना वायरस महामारी को अस्तित्व में आए अब लंबा समय हो चुका है। वक्त के साथ संक्रमण से जुड़े कई नए लक्षणों का भी पता चल रहा है। ऐसे में अब जब मौसम में बदलाव हो रहा है तो आम सर्दी-जुकाम जैसी बीमारियां और कोविड-19 के बीच अंतर करना मुश्किल हो गया है, विशेषकर बच्चों में। कोरोना और मौसमी संक्रमण के अलावा अब बच्चों को एक नई बीमारी ने घेर लिया है जो खासकर वयस्कों में पाई जाती है।

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एमआईएस-सी सिंड्रोम से जुड़े कई मामलों की पुष्टि
ताजा मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत में हाल ही में कई बच्चों में मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम की पुष्टि हुई है जिसे MIS-C यानी मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम इन चिल्ड्रेन नाम दिया गया है। हैरानी की बात है कि यह बीमारी कोविड-19 संक्रमण के बाद होती है जो काफी गंभीर हो सकती है। रिपोर्ट से पता चला है कि हैदराबाद शहर के 2 सरकारी अस्पतालों गांधी अस्पताल और निलोफर अस्पताल में बीते ढाई महीने के अंदर MIS-C के 43 से अधिक मामलों की पुष्टि हुई है जबकि निजी अस्पतालों में भर्ती 100 से अधिक बच्चे इस खतरनाक मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम की चपेट में हैं। 

जानलेवा सिंड्रोम से अब तक कई बच्चों की मौत
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो आमतौर पर एमआईएस वयस्कों में पाया जाता है जो कोविड-19 से पीड़ित हैं। लेकिन अब बच्चों में भी इस सिंड्रोम से जुड़े नए मामले सामने आ रहे हैं। खासकर नवजात शिशु से लेकर दस साल तक (0-10 साल) के बच्चों में एमआईएस-सी के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है। चिंता की बात है कि MIS-C के कारण अब तक 16 बच्चों की मौत हो चुकी है। इसमें से 4 बच्चों की मौत सरकारी अस्पताल में  जबकि बाकी 12 बच्चों ने प्राइवेट हॉस्पिटल में दम तोड़ दिया।

आरटी-पीसीआर टेस्ट नेगेटिव, एंटीबॉडी टेस्ट आया पॉजिटिव
हैदराबाद स्थित निलोफर अस्पताल में असोसिएट प्रोफेसर पीडियाट्रिक्स डॉ. नरहरि बापपल्ली के मुताबिक "इस सिंड्रोम से जुड़े हाल ही में कुछ मामले सामने आए हैं जिनमें आमतौर पर बुखार, चकत्ते, चेहरे की सूजन, पेट में दर्द या सीने में दर्द जैसे लक्षणों का पता चला है। वहीं, एक नए मामले में जब बच्चे का आरटी-पीसीआर टेस्ट किया गया तो उसकी जांच रिपोर्ट नेगेटिव आई। लेकिन बच्चे का आईजीजी यानी एंटीबॉडी टेस्ट पॉजिटिव निकला।" डॉ. बापपल्ली का कहना है कि एंटीबॉडी टेस्ट आमतौर पर संक्रमित होने के 3 सप्ताह से 3 महीने तक पॉजिटिव आता है। ऐसे मामलों में बच्चा संक्रमित होने के बावजूद असिम्प्टोमैटिक (बिना लक्षण के) हो सकता है।

कोविड-19 (असिम्प्टोमैटिक और जो डायग्नोज न हो) संक्रमण के बाद की घटना अक्सर साइलेंट किलर की तरह हो सकती है क्योंकि इसमें कोई लक्षण नहीं होता लेकिन यह शरीर के कई अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है। विशेष रूप से इसके कारण होने वाला मायोकार्डिटिस जो कि जानलेवा साबित हो सकता है।

क्या है मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम?
दरअसल एमआईएस-सी उन बच्चों में बीमारी के खराब नतीजों से जुड़ा है जिन्हें कोविड-19 का संक्रमण हुआ है या पहले कभी हुआ था। यह सिंड्रोम रक्त वाहिकाओं के साथ ही शरीर की कई प्रणालियों और तंत्रों को भी प्रभावित कर सकता है जैसे कार्डियोवास्कुलर या हृदयवाहिनी तंत्र, पाचन तंत्र, श्वसन तंत्र, श्लेष्मत्वचीय झिल्ली (त्वचा और श्लेष्म झिल्ली) और हीमेटोलॉजिकल यानी रक्त संबंधी तंत्र। बच्चों में कोविड-19 की गंभीर बीमारी के साथ हाइपर-इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम के कारण एक साथ कई अंगों का काम करना बंद कर देना और शॉक की स्थिति देखने को मिल रही है।

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क्या है एमआईएस-सी के लक्षण?

दरअसल, जुलाई 2020 में मुंबई के एक अस्पताल में कोविड-19 संक्रमण की वजह से भर्ती हुए 100 बच्चों में से 18 बच्चों में एमआईएस-सी या पीडियाट्रिक एमआईएस के लक्षण थे, जो इस प्रकार हैं-

इस सिंड्रोम से पीड़ित कई बच्चों को आईसीयू की जरूरत होती है तो वहीं कुछ बच्चों को वेंटिलेटर या ईसीएमओ (एक्सट्रॉकॉर्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सिजेनेशन) के माध्यम से ऑक्सीजन सपोर्ट की भी आवश्यकता पड़ सकती है।

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उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें बच्चों के लिए घातक साबित हो रहा मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम, अब तक हुई कई बच्चों की मौत है

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