ऑब्सेसिव-कंप्लसिव डिसऑर्डर या ओसीडी के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा फ्लूवोक्सामिन कोविड-19 के कुछ सबसे गंभीर कॉम्प्लिकेशन को रोकने का काम कर सकती है। इससे मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने और उनके इलाज में सप्लिमेंटल ऑक्सीजन की जरूरत को कम किया जा सकता है। अमेरिका की वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के हवाले से आई इस जानकारी और इससे जुड़ी अध्ययन रिपोर्ट को जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएश ने प्रकाशित किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, ओसीडी, सोशल एंग्जाइटी डिसऑर्डर और डिप्रेशन के ट्रीटमेंट में काम आने वाली यह दवा कोरोना वायरस की सबसे गंभीर जटिलताओं को रोकने में सक्षम पाई गई है।

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फ्लूवोक्सामिन एक विशेष ड्रग श्रेणी के तहत आती है, जिसे सिलेक्टिव सेरोटोनिन-रीअपटेक इनहिबिटर्स (एसएसआरआई) कहा जाता है। हालांकि इस श्रेणी की दूसरी दवाओं से अलग फ्लूवोक्सामिन 'सिग्मा-1 रिसेप्टर' नामक एक प्रोटीन के साथ इंटरेक्ट करती है। यह रिसेप्टर शरीर के इन्फ्लेमेटरी रेस्पॉन्स को नियंत्रित करने में मदद करता है। अध्ययन की समीक्षा से जुड़े एक लेखक और वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एरिक जे लेंज ने कोरोना वायरस के गंभीर लक्षणों की रोकथाम के विषय में इस दवा के प्रभाव को लेकर बताया, '(ट्रायल में) जिन मरीजों ने फ्लूवोक्सामिन की खुराक ली थी, उनमें सांस लेने से जुड़ी गंभीर परेशानियां विकसित नहीं हुई थीं या कहें फेफड़े के संचालन में आई समस्याओं के चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत नहीं पड़ी।'

इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने कोविड-19 के 152 मरीजों को शामिल किया था। उन्होंने इनमें फ्लूवोक्सामिन के प्रभावों को जानने के लिए मरीजों को दो समूहों में बांट दिया। एक समूह को यह एसएसआरआई आधारित ड्रग दिया गया, जबकि दूसरे ग्रुप के प्रतिभागी मरीजों को एक इनएक्टिव प्लसीबो ड्रग दिया गया। 15 दिनों के बाद किए गए विश्लेषण में पता चला कि जिन 80 मरीजों को फ्लूवोक्सामिन दी गई थी, उनमें से किसी में भी गंभीर क्लिनिकल खराबी देखने को नहीं मिली थी। दूसरी तरफ, प्लसीबो ड्रग लेने वाले 72 कोविड मरीजों में से छह (8.3 प्रतिशत) की हालत गंभीर हो गई थी, जिनमें से चार को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था।

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इन प्रभावों को लेकर प्रोफेसर लेंज का कहना है, '(वैज्ञानिकों द्वारा) कोविड-19 के सबसे गंभीर मरीजों को ध्यान में रखते हुए इसके सबसे अधिक इन्वेस्टिगेशनल ट्रीटमेंट विकसित करने का उद्देश्य रखा गया है। लेकिन ऐसी थेरेपी का पता लगाना भी जरूरी है, जो मरीजों की हालत इतनी बिगड़ने से रोक सके कि उन्हें सप्लिमेंटल ऑक्सीजन या अस्पताल जाने की जरूरत न पड़े। हमारा अध्ययन कहता है कि फ्लूवोक्सामिन यह काम कर सकती है।'

पत्रिका की रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने बताया है कि ट्रायल में फ्लूवोक्सामिन ने जो परिणाम दिए हैं, उससे पता चलता है कि यह ड्रग कोरोना संक्रमण के चलते होने वाली इन्फ्लेमेशन से इम्यून सिस्टम को अतिसक्रिय होने से रोक सकता है, जो कोविड-19 के मरीजों की हालत गंभीर होने और अक्सर उनकी मौत की वजह भी बना है। परीक्षण के दौरान प्रतिभागियों को दो हफ्तों तक यह एंटीडीप्रेसेंड दवा दी गई थी। इसे लेने के साथ वैज्ञानिक दोनों समूहों के प्रतिभागियों से फोन या कंप्यूटर पर बात करते रहे। इससे मरीजों को अपने स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारियां (जैसे लक्षण, ऑक्सीजन लेवल आदि) देने में आसानी हुई।

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वैज्ञानिकों ने तय किया था कि अगर किसी मरीज को सांस लेने में तकलीफ हुई या उसे निमोनिया के चलते अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत महसूस की गई अथवा उसका ऑक्सीजन सैच्युरेशन लेवल 92 प्रतिशत से नीचे गिरा, तो उसकी हालत को गंभीर मान लिया जाएगा। हालांकि फ्लूवोक्सामिन वाले ग्रुप में इनमें से कोई भी संभावना देखने को नहीं मिली। इस बारे में प्रोफेसर लेंज ने कहा है, 'अच्छी बात यह रही कि यह मेडिकेशन लेने वाले एक भी प्रतिभागी की हालत गंभीर नहीं हुई। हमें लगता है कि यह दवा इसकी वजह हो सकती है। लेकिन हमें आश्वस्त होने से पहले और अध्ययन करने की जरूरत है।'


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: ओसीडी में इस्तेमाल होने वाली इस दवा में गंभीर कोविड संक्रमण को रोकने की क्षमता: वैज्ञानिक है

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