कोविड-19 संक्रमण के इलाज में अब तक कोई प्रभावी वैक्सीन विकसित नहीं हो सकी है। लिहाजा मरीजों के इलाज के लिए विकल्पों को तलाशा जा रहा है जिससे संक्रमित व्यक्ति को कोरोना वायरस से ठीक किया जा सके। ऐसा ही एक विकल्प है- प्लाज्मा थेरेपी है जिसका इस्तेमाल मरीज की स्वास्थ्य स्थिति के हिसाब से देश के कई राज्यों में हो रहा है। हालांकि देश में प्लाज्मा थेरेपी के इस्तेमाल पर अभी तक भारतीय आयुर्विज्ञान चिकित्सा अनुसंधान यानी आईसीएमआर ने कोई स्वीकृति नहीं दी है। लेकिन आईसीएमआर ने ऑफ लेबल प्लाज्मा को जारी रखने की अनुमति दी है।

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राज्य ऑफ-लेबल प्लाज्मा को जारी रख सकते हैं
ताजा मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो आईसीएमआर ने सोमवार को कहा कि राज्य किसी भी ताजा मानदंडों को जारी करने तक "ऑफ-लेबल प्लाज्मा" का उपयोग जारी रख सकते हैं। यहां ऑफ लेबल का मतबल है कि किसी स्वीकृत दवा का अस्वीकृत इस्तेमाल। साधारण शब्दों में समझें तो एक दवा जिसे किसी खास तरह की बीमारी या चिकित्सीय स्थिति के लिए बनाया गया है उसका अस्वीकृत तरीके से किसी दूसरी बीमारी में इस्तेमाल करना।

कॉन्वलेसेंट प्लाज्मा पर आईसीएमआर का एक अध्ययन, जो कि मृत्यु दर में कमी या कोविड-19 बीमारी के बढ़ने से नहीं जुड़ा है, उसकी समीक्षा कर उसे "ब्रिटिश जर्नल" में प्रकाशित किया गया है। मीडिया रिपोर्ट के हवाले से आईसीएमआर के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया, "हालांकि पेपर की समीक्षा ब्रिटिश जर्नल में की गई है और इसे जर्नल में प्रकाशित भी किया गया है, लेकिन हमने अभी तक राज्यों को इस बारे में कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किए हैं।" इसलिए जब तक इस विषय पर कोई और दिशा-निर्देश जारी नहीं होते तब तक राज्य ऑफ-लेबल स्तर पर प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल जारी रख सकते हैं।

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प्लाज्मा से अभी नहीं मिले ठोस सबूत
हालांकि, चिकित्सा शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि प्लाज्मा के प्रभावी उपयोग के नए दिशा निर्देश पर काम किया जा रहा है। “हम पहले से ही संवेदना के आधार पर ऑफ-लेबल प्लाज्मा थेरेपी के उपयोग पर विस्तृत दिशा निर्देश जारी कर चुके हैं। लेकिन प्लेटिना परीक्षण (ठोस स्तर पर) पर, हमें अभी तक कुछ भी नहीं मिल रहा है।” विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एक बार प्लेटिना का ट्रायल पूरा हो जाए उसके बाद दिशा निर्देश जारी किए जाएंगे।

कोविड-19 रोगियों के लिए सबसे बड़ा प्लाज्मा थेरेपी परीक्षण प्रॉजेक्ट प्लेटिना को जून में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य बीमारी के इलाज के लिए एक मजबूत डेटा तैयार करना था। प्लाज्मा थेरेपी या कॉन्वलसेंट प्लाज्मा थेरेपी (CPT) अन्य कोरोना वायरस बीमारियों से लड़ने में उपयोगी साबित हुई है। वहीं, कोविड -19 के खिलाफ इसके उपयोग ने देश और दुनिया भर के रोगियों पर उत्साहजनक परिणाम दिखाए हैं।

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क्या है प्लाज्मा थेरेपी?
इस तकनीक में बीमारी से ठीक हुए लोगों के शरीर के खून से प्लाज्मा निकाल कर उसी बीमारी से पीड़ित दूसरे मरीजों को दिए जाते हैं। प्लाज्मा रक्त में मौजूद पीले रंग का तरल पदार्थ होता है, जिसके जरिये रक्त कोशिकाएं और प्रोटीन शरीर के अलग-अलग अंगों तक पहुंचती हैं। प्लाज्मा थेरेपी को कॉन्वलेंसेंट प्लाज्मा थेरेपी भी कहते हैं।

कोविड-19 या अन्य संक्रामक रोग होने पर प्रतिक्रिया स्वरूप हमारा शरीर एंटीबॉडीज का निर्माण करता है। ये एंटीबॉडीज, बीमारी से लड़ने में अहम भूमिका निभाते हैं। जिन लोगों का इम्यून सिस्टम पहले से मजबूत होता है या इलाज के दौरान दुरुस्त हो जाता है, वे आसानी से कोरोना वायरस के संक्रमण को मात दे देते हैं। यही वजह है कि दुनियाभर में डॉक्टर और शोधकर्ता कोविड-19 की काट ढूंढने के लिए प्रयोग के तहत ऐसे लोगों के ब्लड सैंपल में से प्लाज्मा अलग करके उन लोगों को दे रहे हैं, जिनके शरीर में एंटीबॉडीज या तो बने नहीं हैं या वायरस को रोक पाने या खत्म करने में सक्षम नहीं हैं।


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: मरीजों के इलाज में ऑफ-लेबल प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल जारी रखने की आईसीएमआर ने दी अनुमति है

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