कोविड-19 से ग्रस्त बच्चों में कावासाकी बीमारी से मिलते-जुलते रहस्यमय सिंड्रोम एमआईएस-सी (मल्टीसिस्टम इनफ्लेमेट्री सिंड्रोम इन चिल्ड्रेन) को लेकर एक नया तथ्य सामने आया है। नेचर मेडिसिन पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में बताया गया है कि यह सिंड्रोम कावासाकी और कोविड-19 दोनों ही बीमारियों से अलग है। अध्ययन के तहत शोधकर्ताओं ने एसआईएस-सी से पीड़ित सात से 14 वर्ष की उम्र के 15 लड़कों और 10 लड़कियों के इम्यून सेल्स का विश्लेषण किया है।

इसमें उन्हें पता चला कि बच्चे जब एमआईएस-सी की चपेट में आए तो उनके इम्यून सेल्स ने वैसा व्यवहार नहीं किया, जैसा कि कोविड-19 होते वक्त वयस्कों के इम्यून सेल्स करते हैं। यही नहीं, एमआईएस-सी के प्रभाव में इन बच्चों की रोग प्रतिरोधक कोशिकाओं में होने वाली प्रतिक्रिया का पैटर्न कावासाकी बीमारी के समय होने वाली प्रतिक्रिया से भी अलग पाया गया। कोविड-19 से जोड़ते हुए एमआईएस-सी को कावासाकी से मिलता-जुलता सिंड्रोम बताया जाता रहा है। हालांकि विशेषज्ञों के बीच राय बंटी हुई थी। कुछ का कहना है कि यह सिंड्रोम कावासाकी ही है, तो कुछ का कहना है कि यह कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते बच्चों में देखना वाला दुर्लभ सिंड्रोम है, जिसके लक्षण कावासकाी से मिलते हैं। लेकिन नया अध्ययन इन दोनों ही बातों को खारिज करता है।

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कोविड-19 संकट के दौरान एमआईएस-सी के सबसे पहले मामले यूरोप में सामने आए थे। बाद में अमेरिका में भी दर्जनों बच्चों में एमआईएस-सी के लक्षण दिखाई दिए। वहां कुछ मामलों में इस सिंड्रोम से बच्चों की मौत होने की भी खबरें आ चुकी हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट यह संकेत भी देती है कि अमेरिका में एमआईएस-सी के मामले और ज्यादा हो सकते हैं। इसकी वजह यह है कि अमेरिका में कोविड-19 की टेस्टिंग अभी भी लक्षण वाले वयस्क संक्रमितों को ध्यान में रखकर की जा रही है। गौरतलब है कि अमेरिका में कोविड-19 के अब तक जितने मरीजों का पता चला है, उनमें से 7.3 प्रतिशत बच्चों से ही जुड़े हैं। यह आंकड़ा तब है जब बच्चों की टेस्टिंग वयस्कों के मुकाबले काफी कम हुई है।

क्या है कावासाकी?
यह एक ऐसी बीमारी है जो ज्यादातर बच्चों को ही होती है। मेडिकल विशेषज्ञों के मुताबिक, आमतौर पर पांच वर्ष से कम आयु के बच्चे कावासाकी का शिकार होते हैं। इस बीमारी को म्यूकोक्यूटेनियस लिम्फ नोड सिंड्रोम भी कहा जाता है, जो बच्चों में दिल की बीमारी के प्रमुख कारणों में से एक है। हालांकि इस रोग का जल्दी पता चल जाने पर इसका इलाज किया जा सकता है। बताया जाता है कि अधिकांश बच्चे इस बीमारी से स्वस्थ हो जाते हैं। कावासाकी रोग क्यों होता है, यह अभी तक साफ नहीं हो पाया है। शोधकर्ताओं की मानें तो इसके कारणों के पीछे जेनेटिक और पर्यावरणीय कारक शामिल हैं। माना जाता है कि यह आमतौर पर किसी खास मौसम में होता है, लेकिन यह एक बच्चे से दूसरे बच्चों में नहीं फैलता है। इसके लक्षणों में त्वचा पर लाल चकत्ते, गर्दन में सूजन, सूखे और फटे होंठआंखें लाल होना आदि शामिल हैं।

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कोविड-19 से ग्रस्त बच्चों में कावासाकी बीमारी से मिलते-जुलते लक्षण सबले पहले अप्रैल में ब्रिटेन में सामने आए थे। तब वहां अचानक दर्जन भर बच्चों को शरीर के कई हिस्सों में तेज सूजन के चलते आईसीयू में भर्ती कराना पड़ा था। बाद में ऐसे मामले पूरे यूनाइटेड किंगडम, स्पेन, इटली और अमेरिका में भी सामने आए थे। जानी-मानी स्वास्थ्य पत्रिका जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिशन या जामा ने कोरोना वायरस और कावासाकी से ग्रस्त 58 बच्चों का अध्ययन करने के बाद इस दुर्लभ कॉम्बिनेशन को 'कोविड-19 से जुड़ा पेडियाट्रिक इन्फ्लेमेटरी मल्टीसिस्टम सिंड्रोम' बताया था। वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे 'मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम' कहा है। हालांकि, अध्ययनों और चर्चाओं के बाद भी इस 'रहस्यमय' बीमारी को औपचारिक नाम नहीं दिया जा सका है। कई डॉक्टरों का मानना रहा है कि यह सिंड्रोम कावासाकी रोग से मिलता है, लेकिन यह कावासाकी नहीं है। नेचर पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में यह बात फिर निकल कर आई है।

एमआईएस-सी या पीएमआईएस के मामले में एक विशेष तथ्य यह है कि यह बीमारी कोविड-19 से पीड़ित उन बच्चों में भी दिखाई दी है, जिनकी उम्र पांच साल से ज्यादा है। भारत की बात करें तो यहां 10 महीने से लेकर 15 साल तक बच्चों में पीएमआईएस के लक्षण दिखाई दिए हैं। केवल मुंबई में ही नहीं, बल्कि चेन्नई, दिल्ली और जयपुर में कोरोना वायरस के संक्रमण की चपेट में आए कुछ बच्चों में पीएमआईएस के लक्षण दिखे हैं। मेडिकल क्षेत्र के लोगों के लिए यह सिंड्रोम एक नई घटना है, जिस पर डॉक्टर और वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं।

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उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19 से पीड़ित बच्चों को होने वाला दुर्लभ सिंड्रोम कावासाकी नहीं है: अध्ययन है

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