भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) कोविड-19 के मद्देनजर जल्दी ही दूसरा राष्ट्रीय सेरोलॉजिकल सर्वे करने जा रहा है। इस सर्वे से जुड़ी नई जानकारी यह है कि इस बार के सर्वेक्षण में 10 साल और उससे ज्यादा उम्र के बच्चों को भी कवर किया जाएगा। इससे पहले हुए सर्वे में केवल वयस्क यानी 18 साल से ज्यादा की उम्र के लोगों के ब्लड सैंपल लिए गए थे। लेकिन इस बार बच्चों के भी सैंपल लिए जाएंगे।

दरअसल, हाल के दिनों में बच्चों में और उनके जरिये कोरोना वायरस के ट्रांसमिशन से जुड़ी कई अध्ययन रिपोर्टें सामने आई हैं। इन अलग-अलग रिपोर्टों में से किसी में कहा गया है कि बच्चे भी सार्स-सीओवी-2 वायरस के संक्रमण से सुरक्षित नहीं हैं तो किसी में दावा किया गया है कि वायरस की चपेट में आने के बाद बड़े बच्चे भी वयस्कों जितना ही संक्रमण फैला सकते हैं। वहीं, यह तथ्य भी सबके सामने है कि यूरोप और अमेरिका में बड़ी संख्या में बच्चे भी सार्स-सीओवी-2 वायरस की चपेट में आए हैं और कुछ मामलों में मौतें भी हुई हैं।

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संभवतः इसी कारण आईसीएमआर ने अपने दूसरे नेशनल सेरो सर्वे में बच्चों को शामिल करने का फैसला किया है। बता दें कि यह सर्वे उन्हीं 71 जिलों में किया जाएगा, जहां पहले सर्वे के तहत ब्लड सैंपल कलेक्ट किए गए थे। हालांकि इस बार का सर्वे इन जिलों की आबादी के एक अलग हिस्से पर किया जाएगा। वहीं, सैंपल साइज पिछली बार की तरह 26,400 रहेगा। इसके अलावा आईसीएमआर ने कहा है कि अगले महीने के पहले या दूसरे हफ्ते में सर्वे का काम पूरा हो जाना चाहिए। इसके बाद परिणामों का विश्लेषण का काम महीने के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है।

उधर, दिल्ली सरकार का सेरो सर्वे आगामी एक सितंबर से शुरू किया जाएगा। इस बार के सर्वे का पूरा काम सितंबर के पहले हफ्ते में ही पूरा करने लेने की योजना है। हालांकि इस सर्वे का सैंपल साइज दूसरे सर्वे से बड़ा होगा। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, तीसरे सेरो सर्वे में दिल्ली के सभी 11 जिलों के अलग-अलग इलाकों से कुल 17 हजार ब्लड सैंपल इकट्ठा किए जाएंगे। ऐसा करते हुए यह ध्यान रखा जाएगा कि हरेक इलाके का सैंपल साइज वहां की आबादी का उचित प्रतिनिधित्व करता हो।

खबरों के मुताबिक, पिछले सेरो सर्वे की तरह इस बार के सर्वे में भी दिल्ली सरकार मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज से तकनीकी मदद लेगी। सर्वेक्षण से जुड़े प्रबंधन के बारे में सरकार के एक अधिकारी ने बताया है, 'जिला स्तर की टीमें स्थानीय फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स की मदद से सैंपल इकट्ठा करेंगी। उन इलाकों से सैंपल नहीं लिए जाएंगे जहां पहले या दूसरे सर्वे के तहत सैंपल लिए जा चुके हैं।' अधिकारी के मुताबिक, सैंपलों को तीन आयु आधारित श्रेणियों के तहत इकट्ठा किया जाएगा- 18 वर्ष से कम, 18 वर्ष और 49 वर्ष के बीच और 50 वर्षा तथा उससे ज्यादा।

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गौरतलब है कि दिल्ली में कोरोना वायरस के ट्रांसमिशन की मात्रा को जानने के लिए अब तक दो सेरो सर्वे किए जा चुके हैं। जून-जुलाई के बीच किए गए पहले सेरो सर्वे में दिल्ली की 23 प्रतिशत से ज्यादा आबादी में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी पैदा होने के संकेत मिले थे। वहीं, अगस्त में किए गए दूसरे सेरो सर्वे में 29 प्रतिशत से ज्यादा या 58 लाख से ज्यादा की संख्या में लोग कोरोना वायरस की चपेट में आकर उसके खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता या इम्यूनिटी विकसित कर चुके थे। पहले सर्वे में जहां 21 हजार से ज्यादा सैंपल लिए गए थे, वहीं दूसरे सर्वेक्षण में 15 हजार से अधिक नमूने इकट्ठा किए गए। बता दें कि पहले सेरो सर्वे के परिणाम सामने आने के बाद दिल्ली सरकार ने राजधानी में हर महीने सेरो सर्वे कराने का एलान किया था।

सेरोलॉजिकल सर्वे क्या है?
किसी रोगाणु या एंटीजन के खिलाफ मानव शरीर का इम्यून सिस्टम जब काम करना शुरू करता है तो इससे संबंधित रोगाणु के संक्रमण को खत्म करने वाले एंटीबॉडीज का निर्माण होता है। ये एंटीबॉडीज या रोग प्रतिरोधक स्वयं को रोगाणुओं से अटैच कर उन्हें निष्क्रिय कर देते हैं। सेरोलॉजिकल टेस्ट शरीर में इन्हीं एंटीबॉडी की मौजूदगी की पुष्टि के लिए किया जाने वाला परीक्षण है। यह टेस्टिंग जब बड़े पैमाने पर अंजाम की जाती है, यानी जब किसी अभियान के तहत सैकड़ों-हजारों लोगों के ब्लड टेस्ट लेकर उनमें किसी संक्रामक रोग के खिलाफ पैदा हुए एंटीबॉडी का पता लगाया जाता है तो उसे सेरोलॉजिकल या सेरो सर्वे कहते हैं। यह सर्वे एंटीबॉडी के अलावा एंटीजन की पहचान करने के लिए भी किए जाते हैं।

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उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: दूसरे राष्ट्रीय सेरो सर्वे में बच्चों के सैंपल भी लेगा आईसीएमआर, दिल्ली में एक सितंबर से तीसरे सेरो सर्वे की शुरुआत है

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