अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (USFDA) ने डेंगू के पहले वैक्सीन ‘डेंगूवेक्सिया’ को अपनी मंजूरी दे दी है। यह पहला वैक्सीन होगा जो हर तरह के वायरस से फैलने वाले डेंगू की रोकथाम करेगा। विशेषकर 9 वर्ष से लेकर 16 वर्ष तक के बच्चे जो डेंगू प्रभावित इलाकों में रहते हैं और उनमें पहले ही प्रयोगशाला में डेंगू के संक्रमण की पुष्टि की जा चुकी हो। डेंगू अमेरिका के सामोआ, गुआम, पोर्टो रिको और वर्जिन आइसलैंड्स में एक स्थानिक बीमारी है।

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डेंगू की रोकथाम में कारगर है वैक्सीन
इस वैक्सीन की सुरक्षा और प्रभाविकता की जांच के लिए अचानक परीक्षण किया गया। इसमें डेंगू से प्रभावित प्यूर्टो रिको, लैटिन अमेरिका और एशिया प्रशांत क्षेत्र के 35,000 लोगों पर इस वैक्सीन की जांच की गई।

जांच में पाया गया कि 9 से लेकर 16 वर्ष तक की आयु वाले बच्चों में शुरुआती लक्षण और प्रयोगशाला में पहले ही डेंगू की पुष्टि होने वाले मामलों में यह लगभग 76 प्रतिशत डेंगू की रोकथाम करने में कारगर है। डेंगूवैक्सिया को पहले ही 19 देशों और यूरोपीय संघ में मंजूरी दी जा चुकी है।

डेंगूवैक्सिया एक जीवित और डेंगू कमजोर करने वाला वैक्सीन है, जिसे अलग-अलग तीन इंजेक्शन के रूप में दिया जाता है। इसके पहले इंजेक्शन के बाद दो अतिरिक्त इंजेक्शन 6 और 12 महीने बाद लगाए जाते हैं। सीडीसी के मुताबिक, हर साल दुनिभार में करीब 4 करोड़ लोग डेंगू के वायरस से संक्रमित होते हैं। इसमें से करीब 5,00,000 मामले डीएचएफ में तब्दील हो जाते हैं, जिससे करीब 20,000 बच्चों की मौत हो जाती है।

इस पर एफडीए में पॉलिसी, लेजिसलेशन और अंतरराष्ट्रीय मामलों के लिए डिप्टी कमिशनर ने कहा, ‘डेंगू विश्व में सबसे ज्यादा फैलने वाली मच्छर जनित वायरल संक्रमण है और हालिया दशकों में इसके मामलों में इजाफा हुआ है।’

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सामने आए मामूली दुष्प्रभाव
वहीं, इस वैक्सीन को लगवाने वाले लोगों में सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, जोड़ों में दर्द, थकावट, इंजेक्शन की जगह पर दर्द और हल्का बुखार जैसे दुष्प्रभाव देखने को मिले। हालांकि, प्रायौगिक दवाई और डेंगूवैक्सिया लेने वाले लोगों में दुष्प्रभाव का समय एक समान ही था और वैक्सीन का प्रत्येक डोज लेने के बाद दुष्प्रभाव में कमी आई।

सिर्फ डेंगू संक्रमित लोगों के लिए मंजूरी
जिन लोगों को पहले डेंगू का किसी भी प्रकार का संक्रमण नहीं हुआ हो या उनके बारे में जानकारी न हो, ऐसे लोगों में इसके इस्तेमाल की अनुमति नहीं है।

यह मंजूरी इसलिए नहीं दी गई थी क्योंकि जिन लोगों को डेंगू के वायरस का संक्रमण न हुआ हो, उन लोगों में डेंगूवैक्सिया डेंगू के पहले संक्रमण के रूप में काम करता है। असल में वह उस व्यक्ति को प्रभावित किए बिना जंगल में फैलने वाले डेंगू वायरस की तरह काम करता है, जिसके बाद उस व्यक्ति को डेंगू के गंभीर संक्रमण का खतरा हो सकता है।

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इसलिए डॉक्टरों को यह पता लगाना चाहिए कि लोगों को पहले डेंगू का संक्रमण न हुआ हो, जिससे उन्हें यह वैक्सीन देने से बचा जाए। लोगों को वैक्सीन देने से पहले लोगों के पिछले मेडिकल कागजातों की जांच जा सकती है, जिसमें प्रयोगशाला में या सीरोलॉजी जांच में डेंगू की पुष्टि की गई हो।

भारत की एक तिहाई आबादी डेंगू के खतरे में
दुनियाभर में डेंगू के खतरे वाली आबादी में भारत की जनसंख्या की हिस्सेदारी एक तिहाई है। यह एक वायरल बीमारी है, जो एंटीजेनिक और आनुवंशिक रूप से अलग-अलग डेंगू के चार वायरस के संक्रमण से होती है।

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