डेंस डिपॉजिट डिजीज (किडनी का सही से कार्य न करना) - Dense Deposit Disease in Hindi

Dr. Anurag Shahi (AIIMS)MBBS,MD

December 30, 2019

January 30, 2024

डेंस डिपॉजिट डिजीज
डेंस डिपॉजिट डिजीज

डेंस डिपॉजिट डिजीज क्या है?
डेंस डिपॉजिट डिजीज (डीडीडी) एक ऐसी स्थिति है, जो मुख्य रूप से किडनी के कार्य करने की क्षमता को प्रभावित करती है। इस बीमारी के संकेत और लक्षण आमतौर पर 5 से 15 साल की उम्र के बच्चों में दिखाई देते हैं, कभी-कभी ये लक्षण वयस्क होने की शुरुआती अवस्था में भी दिखाई दे सकते हैं। यह बीमारी पुरुष व महिलाओं दोनों को एक समान रूप से प्रभावित करती है। आमतौर पर डीडीडी बच्चों और युवा वयस्कों को अपनी चपेट में लेता है। लक्षण दिखने के बाद प्रभावित लोगों में से लगभग 50 फीसदी लोग अगले 10 साल के अंदर 'एंड-स्टेज रीनल डिजीज' (यह लंबे समय से हो रहे किडनी रोग का अंतिम चरण है - इसे ईएसआरडी भी कहा जाता है) से ग्रस्त हो जाते हैं।

डेंस डिपॉजिट डिजीज के लक्षण
चूंकि डीडीडी सबसे पहले किडनी को प्रभावित करता है, इसलिए इसके प्रारंभिक लक्षण किडनी की बीमारी से मिलते-जुलते हैं। इसके मुख्य लक्षणों में प्रोटीनुरिया (पेशाब से प्रोटीन निकलना) और हेमाट्यूरिया (पेशाब में खून आना) शामिल हैं। जैसे-जैसे किडनी की बीमारी बढ़ती है, लक्षण भी बढ़ने लगते हैं:

  • किडनी शरीर से अतिरिक्त तरल पदार्थ को पेशाब के जरिए निकालने में असमर्थ हो जाती है, जिस कारण वजन बढ़ने लगता है। 
  • आंखों के आसपास, टखनों व पैरों में सूजन
  • उलझन और / थकान
  • भूख में कमी

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डेंस डिपॉजिट डिजीज के कारण
अक्सर यह समस्या किडनी में खराबी के कारण होती है, लेकिन प्रोटीन्यूरिया (पेशाब में प्रोटीन की असामान्य मात्रा), हेमाट्यूरिया (पेशाब में खून), पेशाब कम आना, खून में प्रोटीन का निम्न स्तर और शरीर के कई हिस्सों में सूजन भी इस समस्या के कारक हो सकते हैं। डॉक्टरों का मानना है कि इसके पीछे आनुवांशिक और पर्यावरणीय कारक हो सकते हैं। यह सी3 और सीएफएच जीन में गड़बड़ी के कारण भी हो सकता है।

डेंस डिपॉजिट डिजीज का निदान
डीडीडी का निदान किडनी की बायोप्सी के जरिए किया जा सकता है। इसमें कम मात्रा में किडनी के ऊतकों को निकालकर उनका लैब टेस्ट किया जाता है। किडनी में सूजन के कारकों को जानने के लिए ब्लड टेस्ट की जरूरत पड़ती है। इसके अलावा यह भी पता लगाया जाता है कि ऐसा शरीर में ऑटो-एंटीबॉडी (जो इम्यून सिस्टम को सही से कार्य करने में बाधा डालती है) की मौजूदगी की वजह से तो नहीं हो रहा। 

डेंस डिपॉजिट डिजीज का इलाज
वर्तमान में डेंस डिपॉजिट डिजीज के लिए कोई विशेष इलाज नहीं है, लेकिन ऐसी कुछ थेरेपी उपलब्ध हैं जो बीपी को नियंत्रित और प्रोटीन्यूरिया को कम करके स्थिति को बदतर होने से बचा सकती हैं। एंजियोटेनसिन-कंवर्टिंग एंजाइम (ब्लड प्रेशर, हार्ट फेल के उपचार के लिए उपयोग की जाने वाली दवा का एक वर्ग) और एंजियोटेंसिन II टाइप -1 रिसेप्टर ब्लॉकर्स (हाई बीपी, डायबिटीज और कंजेस्टिव हार्ट फेल के उपचार हेतु इस्तेमाल की जाने वाली दवा) का इस्तेमाल पेशाब में प्रोटीन की मात्रा को कम करने और किडनी के कार्य में सुधार लाने के लिए किया जा सकता है। ये दवाएं सफेद रक्त कोशिकाओं को किडनी द्वारा फिल्टर करने के कार्य को सीमित कर सकती हैं।
डीडीडी से ग्रस्त ऐसे लोग जो एंड-स्टेज रीनल डिजीज की चपेट में आ चुके हैं, उन्हें आमतौर पर पेरिटोनियल डायलिसिस (किडनी द्वारा सही से काम न कर पाने पर खून से अपशिष्ट उत्पादों को हटाने का एक तरीका) या हेमोडायलिसिस (खून से अपशिष्ट पदार्थों और पानी को फिल्टर करने का एक उपचार) की आवश्यकता होती है।

इस बीमारी के लक्षण हर व्यक्ति में भिन्न हो सकते हैं। यदि आपको लक्षण परेशान करते हैं और चिकित्सा सलाह की आवश्यकता है, तो आप डॉक्टरों या अन्य स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों से जाकर मिल सकते हैं।

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डेंस डिपॉजिट डिजीज (किडनी का सही से कार्य न करना) के डॉक्टर

Dr. Narayanan N K Dr. Narayanan N K एंडोक्राइन ग्रंथियों और होर्मोनेस सम्बन्धी विज्ञान
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