अगर आप प्रोस्टेट डिजीज की दवा खाते हैं तो आपको टाइप 2 डायबिटीज का खतरा है। दरअसल, हाल ही में एक शोध से पता चला है कि प्रोस्टेट बीमारी की दवा खाने वालों में टाइप 2 डायबिटीज का खतरा ज्यादा होता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि ज्यादातर प्रोस्टेट के मरीजों को उन दवाओं का सेवन करना चाहिए, जो आमतौर पर अधिक उम्र के लोगों को दी जाती हैं लेकिन शोधकर्ता मरीजों को सुझाव देते हैं कि वो समय-समय पर अपने स्वास्थ्य की जांच करवाते रहें। यह शोध एडिनबर्घ और यूसीएल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने किया है।

  1. 5 अल्फा रिडक्टेज इन्हेबिटर्स लेने वालों पर शोध
  2. अभी जारी है शोध - प्रो. एंड्रयू

शोधकर्ताओं की टीम ने बताया कि मरीजों के स्वास्थ्य की जांच के आधार पर हाल में जारी की गई शोध रिपोर्ट को देखते हुए इस समय चल रहे ट्रीटमेंट की गाइडलाइन में बदलाव करने की जरूरत नहीं है। प्रोस्टेट बीमारियों के गंभीर मामलों में व्यक्तियों को आमतौर पर 5 अल्फा रीडक्टेज इन्हीबिटर्स नामक दवा दी जाती है। यह दवा एंड्रोजेंस नाम के हार्मोन के बनने में कमी लाता है। इससे यूरीनरी फ्लो में कमी के लक्षणों के इलाज में मदद मिलती है। 

पहले के कम अवधी के अध्ययनों में यह बात निकलकर सामने आई थी कि ये दवाइयां, जिनमें फाइनेस्टेराइड और डुटेस्टराइड शामिल हैं, मेटाबोलिज्म को प्रभावित कर सकती हैं। यह शरीर में इन्शुलिन के रिस्पॉन्स को कम करता है जो कि डाइबिटीज 2 के शुरूआती संकेत देते है। 

शोधकर्ताओं की टीम ने अमेरिका में लगभग 55,000 ऐसे आदमियों पर शोध किया, जो 11 साल से अधिक समय से 5 अल्फा रिडक्टेज इन्हेबिटर्स ले रहे थे। शोधकर्ताओं ने पाया कि इन दवाओं से उनमें से लगभग एक तिहाई लोगों में टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ा है। शोधकर्ताओं की टीम को ठीक इसी तरह का असर ताइवान के लोगों के आंकड़ों के अध्ययन में भी मिला।

इस शोध से एक बात सामने आई कि जो लोग इस तरह की दवाओं को सेवन कर रहे हैं, उन्हें समय-समय पर अपने स्वास्थ्य कती जांच करवाते रहना चाहिए ताकि उनमें अगर डायविटीज से किसी तरह की कोई शुरुआती समस्या हो तो समय पर उसका उपचार करवाया जा सके।  

यह  शोध ब्रिटिश मेडिकल जर्नल द्वारा प्रकाशित किया गया था। इसकी स्थापना एडिनबर्घ और लोथियन्स हेल्थ फाउंडेशन द्वारा की गई थी। इस शोध में अन्य विश्वविद्यालयों के शोधार्थी भी शामिल थे।

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ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रूथ एंड्रयू ने कहा कि हमने पाया कि प्रोस्टेट बीमारी में आमतौर पर सुझाई जाने वाली दवा टाइप 2 डायबिटीज के खतरे को बढ़ाने का काम करती है। शोध के ये नये रिपोर्ट, उन बुजुर्ग व्यक्तियों के स्वास्थ्य जांच के लिए महत्वपूर्ण हैं, जिन्हें पहले से ही टाइप 2 डायबिटीज का जोखिम अधिक है। उन्होंने कहा कि हम अपने शोध को आगे भी जारी रखेंगे ताकि हम किसी लॉन्ग टर्म आउटकम तक पहुंच सकें और टाइप 2 डाइबिटीज के अधिक खतरे वाले मरीजों के लिए कोई निष्कर्ष निकाल सकें।  

एक अन्य प्रोफेसर डॉ. ली वेई ने कहा कि अमेरिका और ताइवान के अलग-अलग लोगों पर किए गये शोध से मिले रियल वर्ड डेटा की स्टडी के बाद हमने पाया कि जो लोग बिनिंग प्रोस्टैटिक हाइपर प्लासिया के लिए डूटेस्टेराइड या फाइनेस्टेराइड दवाओं का सेवन करते हैं, उनमें डायबिटीज होने की 30 प्रतिशत अधिक संभावना होती है। ये बताता है कि हेल्थकेयर डेटा की मदद से किस तरह से लोगों में बीमारियों या क्लीनिकल खतरों का पता लगाया जा सकता है। इसलिए यह जरूरी है कि हर मरीज अपने द्वारा सेवन की जा रही दवाओं के खतरे और उनके फायदों से परिचित रहे। अगर वो इस तरह की किसी दवा का सेवन कर रहे हैं और उन्हें कोई आशंका हैं तो अपने डॉक्टर से अवश्य बात करनी चाहिए। 

(और पढ़ें - डायबिटीज में क्या परहेज करें)

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