एंडोमेट्रिओसिस एक ऐसी स्थिति है, जिसमें गर्भाशय के अंदर पाया जाने वाला एक ऊतक गर्भाशय के बाहर फैलने लगता है। अभी हाल ही में ब्रिटेन की एक मॉडल और टीवी प्रेजेंटर एलेक्सा चुंग ने बताया कि वे एंडोमेट्रिओसिस से ग्रस्त हैं। ये जानकारी उन्होंने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट के जरिए दी थी। 

फिलहाल दुनिया भर में एंडोमेट्रिओसिस से करीब 17.6 करोड़ महिलाएं प्रभावित हैं। अगर भारत की बात करें तो एंडोमेट्रिओसिस सोसायटी ऑफ इंडिया के अनुसार 2.5 करोड़ से अधिक भारतीय महिलाएं इस समस्या से पीड़ित हैं। 

एंडोमेट्रिओसिस की वजह से थकान, सेक्स के दौरान या बाद में दर्द, पीरियड्स में अधिक रक्तस्त्राव और बांझपन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। यहां तक कि एंडोमेट्रिओसिस से ग्रस्त अधिकांश महिलाओं को इस बारे में तब पता चलता है जब उन्हें गर्भधारण करने में दिक्कत आती है।

एंडोमेट्रिओसिस से अंडाशय कैंसर (ओवेरियन कैंसर) होने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है क्योंकि जब गर्भाशय के ऊतक (टिश्यू) अंडाशय से बाहर निकलने लगते हैं, तो ये एंडोमेट्रियल सिस्ट पैदा करते हैं। ये सिस्ट आस-पास के ऊतकों को प्रभावित कर सकते हैं। एक शोध से पता चला है कि एंडोमेट्रिओसिस से ग्रस्त 5 से 10 फीसदी महिलाओं में ओवेरियन कैंसर होने की संभावना होती है।

एंडोमेट्रिओसिस कई तरह से आपके जीवन को प्रभावित करता है। मई 2019 में, बीएमसी वुमेंस हेल्थ (ओपन-एक्सेस पीयर-रिव्यू जर्नल) ने एंडोमेट्रिओसिस के महिलाओं के स्वास्थ्य, नौकरी, सेक्स लाइफ, शिक्षा और जीवनशैली पर प्रभाव के बारे में जानने के लिए एक सर्वे किया था।

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सर्वे में सामने आया एंडोमेट्रिओसिस  का कारण

इस सर्वे के तहत शोधकर्ताओं ने एंडोमेट्रिओसिस के लिए शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली, पीरियड्स का जल्दी आना, बांझपन और जल्दी-जल्दी माहवारी होने को जिम्मेदार बताया।

ह्यूमन रिप्रोडक्टिव एंड प्रीनेटल जेनेटिक्स में लेखक लिंडा सी. ग्यूडिस, रिचर्ड ओ. बर्नी, क्रिश्चियन बेकर और स्टेसी मिसमर एट अल. ने लिखा है कि एंडोमेट्रिओसिस के 50 फीसदी मामले मरीज के जींस और बाकी के 50 फीसदी मामले पर्यावरणीय कारकों की वजह से पैदा होते हैं।  

कुछ शोधकर्ताओं का कहना है कि एंडोमेट्रिओसिस की समस्या तब उत्पन्न हो सकती है जब मासिक धर्म के दौरान निकलने वाला खून वापिस फैलोपियन ट्यूब और पेल्विस में चला जाता है। इसकी वजह से कोशिकाओं में रुकावट आ सकती है और इस स्थिति में वो वहीं पर बढ़ने लग जाती हैं।

फिलहाल कारण जो भी हो, लेकिन एंडोमेट्रिओसिस को नियंत्रित करना कठिन हो सकता है। हालांकि, यदि इसके लक्षणों को शुरुआत में ही पहचान लिया जाए और उपचार शुरु कर दिया जाए तो बहुत सी महिलाओं को असहनीय दर्द से बचाया जा सकता है। 

इस समस्या से निजात पाने के लिए कोई पुख्ता इलाज नहीं है, हालांकि एंडोमेट्रिओसिस को दवाओं से नियंत्रित किया जा सकता है। लेकिन अधिकतर उपचारों के साइड इफेक्ट्स की वजह से लंबे समय तक उनका इस्तेमाल उपयुक्त नहीं माना जाता है। बहरहाल, एंडोमेट्रिओसिस के कारण हुए घाव और निशान को हटाने के लिए सर्जरी प्रभावी हो सकती है, लेकिन ये सर्जरी कितनी सफल होगी यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी बीमारी किस हद तक बढ़ चुकी है और सर्जरी करने वाले सर्जन को कितना अनुभव है।

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