फीटल वैल्प्रोएट सिंड्रोम - Fetal Valproate Syndrome in Hindi

Dr. Pradeep JainMD,MBBS,MD - Pediatrics

December 31, 2020

December 31, 2020

फीटल वैल्प्रोएट सिंड्रोम
फीटल वैल्प्रोएट सिंड्रोम

फीटल वैल्प्रोएट सिंड्रोम (एफवीएस) एक ऐसी समस्या है जो कि गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में भ्रूण को अपनी चपेट में ले लेती है। दरअसल गर्भावस्था के दौरान बच्चा वैल्प्रोइक एसिड (वीपीए) के संपर्क में आ जाता है जिससे यह स्थिति उत्पन्न होती है। 'नैशनल सेंटर फॉर एडवांसिंग ट्रांसलेशनल साइंसेज' की एक रिपोर्ट के मुताबिक वैल्प्रोइक एसिड जिसे वैल्प्रोएट भी कहा जाता है एक दवा है जिसका इस्तेमाल अक्सर मिर्गी, बाइपोलर डिसऑर्डर और माइग्रेन के इलाज के लिए किया जाता है। हालांकि गर्भावस्था के दौरान इस दवा के संपर्क में आने के बाद भी कई बच्चे सामान्य वृद्धि और विकास के साथ स्वस्थ पैदा होते हैं।

लेकिन कई अध्ययनों के जरिए वैज्ञानिकों ने पाया है कि जो महिलाएं गर्भावस्था के समय वैल्प्रोएट दवा का सेवन करती हैं, उनके बच्चे को जन्मदोष या अन्य स्वास्थ्य समस्याएं होने की अधिक आशंका बनी रहती है। इस बीमारी के (एफवीएस) लक्षण अलग-अलग होते हैं, लेकिन इसमें चेहरे की बनावट, स्पाइना बिफिडा, जन्मजात हृदय दोष, होंठों का कटा होना या फांक तालु, जननांग असामान्यताएं, कंकाल असामान्यताएं और विकास में देरी जैसी समस्याएं शामिल हैं।

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फीटल वैल्प्रोएट सिंड्रोम के लक्षण - Fetal Valproate Syndrome Symptoms in Hindi

वैसे तो कई रिपोर्ट्स बताती हैं कि कई भ्रूण जो गर्भावस्था के दौरान वैल्प्रोइक एसिड के संपर्क में आते हैं, वे स्वस्थ पैदा होते हैं और उन्हें फीटल वैल्प्रोएट सिंड्रोम (एफवीएस) नहीं होता। लेकिन कई अध्ययनों में यह पाया गया है कि गर्भवती महिलाएं यदि वैल्प्रोइक एसिड का इस्तेमाल करें तो बच्चे में गंभीर या हल्का जन्म दोष होने का खतरा बना रहता है। हालांकि, जिन बच्चों को यह समस्या होती है उनमें फीटल वैल्प्रोएट सिंड्रोम के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं जैसे-

चेहरे की बनावट से जुड़े लक्षण: माथे का अधिक चौड़ा और बाहर निकला हुआ होना, पलक के ऊपर की त्वचा का आंखों के कोने को ढंक लेना, भौंह का बेहद पतला होना और दोनों के बीच बहुत अधिक जगह होना, छोटी लेकिन ऊपर उठी हुई नाक, अपर लिप और नाक के बीच बेहद कम जगह और निचला होंठ मोटा होना। ये सभी लक्षण समय के साथ धीर-धीरे कम होने लगते हैं।

  • स्पाइना बिफिडा या मस्तिष्क, स्पाइन और रीढ़ की हड्डी से जुड़ा अन्य जन्मदोष (जिसे न्यूरल ट्यूब दोष भी कहा जाता है)
  • जन्मजात हृदय दोष
  • फांक होंठ या फांक तालु
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फीटल वैल्प्रोएट सिंड्रोम का कारण - Fetal Valproate Syndrome Causes in Hindi

फीटल वैल्प्रोएट सिंड्रोम एक दुर्लभ स्थिति है जो कि तब हो सकती है जब गर्भावस्था की पहली तिमाही के दौरान बच्चा वीपीए (दवाओं के ब्रांड नेम डेपेकिन, डेपेकाइन, कॉनबुलेक्स, डिपाकोट, एनकोरेट, वैल्पाकाइन इत्यादि) के संपर्क में आता है। यह माना जाता है कि वीपीए दवा प्लेसेंटा (गर्भनाल) को पार करती है और सामान्य विकास में हस्तक्षेप करती है जिससे भ्रूण (टेराटोजेनेसिस) में विकासात्मक असामान्यताएं पैदा होती हैं।

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अगर कोई महिला मिर्गी की समस्या से पीड़ित है और वह गर्भधारण करना चाहती है तो उसे यह सुझाव दिया जाता है कि वह वीपीए दवाओं से परहेज करे और सिर्फ एक दवा या कोई नई एंटीएपिलेप्टिक दवा का उपयोग करे। वैसे तो एफवीएस को रोकने के लिए अक्सर गर्भावस्था के दौरान वीपीए दवाओं का इस्तेमाल नहीं करने की सलाह दी जाती है। लेकिन कई बार ऐसी परिस्थितियां भी आ सकती हैं जब वीपीए दवाओं का उपयोग करना आवश्यक हो।

फीटल वैल्प्रोएट सिंड्रोम का निदान कैसे किया जाता है? - Diagnosis of Fetal Valproate Syndrome in Hindi

फीटल वैल्प्रोएट सिंड्रोम (एफवीएस) अक्सर ऐसे शिशुओं में देखने को मिलता है जिनमें एफवीएस से जुड़े एक या एक से अधिक लक्षण और संकेत दिखाई देते हैं या फिर अगर बच्चे की मां ने गर्भावस्था के दौरान वैल्प्रोइक एसिड लेने की बात स्वीकार की हो। लेकिन ऐसा कोई परीक्षण नहीं है जो फीटल वैल्प्रोएट सिंड्रोम के निदान की पुष्टि कर सकता हो। बच्चे में दिखाई देने वाले लक्षणों को अन्य संभावित कारणों से इनकार किया जाना चाहिए।

फीटल वैल्प्रोएट सिंड्रोम का इलाज कैसे किया जा सकता है? - Fetal Valproate Syndrome Treatment in Hindi

फीटल वैल्प्रोएट सिंड्रोम का इलाज हर बच्चे के लक्षणों पर आधारित होता है। मतलब पीड़ित बच्चे में दिखाई देने वाले लक्षणों का उपचार किया जाता है। वहीं, बीमारी के प्रबंधन में अक्सर चिकित्सा विशेषज्ञों की एक टीम शामिल होती है जो बच्चे में लक्षणों को मैनेज करने में मदद करती है। जन्म दोष जैसे स्पाइना बिफिडा और अन्य न्यूरल ट्यूब दोष, जन्मजात हृदय दोष, और फांक होंठ या फांक तालु जैसी समस्याओं को ठीक करने के लिए जन्म के तुरंत बाद सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।

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