वैज्ञानिकों ने दिल की बीमारी से जुड़े रोगियों को लेकर एक बड़ा दावा किया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि हार्ट अटैक और इससे जुड़ी ज्यादातर मौत की घटनाएं निम्न आय वाले यानी गरीब देशों से सामने आती हैं। विशेषकर उन देशों में जहां डायबिटीज यानी शुगर का अत्याधिक प्रकोप है। लेकिन वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि इन घटनाओं के साथ जीवनशैली में बदलाव और दवाओं का कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं हैं। वो इसलिए क्योंकि या तो यहां दवा सही समय पर प्रिस्क्राइब या निर्धारित नहीं की जाती हैं। या फिर हो सकता है कि दवाएं सही खुराक में नहीं ली जाती हैं।

(और पढ़ें- हार्ट अटैक आने पर क्या करना चाहिए, प्राथमिक उपचार)

कैसे की गई रिसर्च?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मेडिकल जर्नल डायबिटीज केयर में प्रकाशित "द प्रोस्पेक्टिव अर्बन रुरल एपिडेमियोलॉजी" (पीयूआरई) के अध्ययन में इससे जुड़े कुछ तथ्यों का पता चला है। अध्ययन के तहत शोधकर्ताओं ने चार उच्च आय वाले देशों (एचआईसी), एक दर्जन मध्यम आय वाले देशों (एमआईसी) और पांच निम्न या कम आय वाले देशों (एलआईसी) से कुल 1,43,567 वयस्कों को पंजीकृत किया था। रिसर्च में शामिल सभी लोगों की उम्र 35 से 70 साल के बीच थी। इस दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि उच्च आय वालों देशों के मुकाबले कम आय वाले देशों में हृदय रोग से जुड़ी घटनाएं जैसे कि हार्ट अटैक के मामले लगभग 24 प्रतिशत अधिक थे जो कि अकेले डायबिटीज से जुड़े थे। शोधकर्ताओं की मानें तो इन आंकड़ों के तहत उन्होंने पाया कि अमीर देशों की तुलना में गरीब देशों में हृदय संबंधी घटनाओं के कारण होने वाली मौतें लगभग पांच गुना अधिक थी। 

क्या कहते हैं आंकड़े?
रिसर्च के दौरान अध्ययनकर्ताओं ने चार उच्च आय वाले (एचआईसी) देशों के विकल्प के तौर पर कनाडा, सऊदी अरब, स्वीडन और यूएई जैसे देशों को शामिल किया था। इन देशों में हृदय रोग से जुड़ी घटनाओं की दर (एक साल में) प्रति 1,000 व्यक्तियों पर 3.4 व्यक्तियों की थी। (घटनाओं की संख्या को पर्सन-टाइम ऑब्जर्वड की मात्रा के साथ विभाजित किया गया था)  साथ ही मधुमेह रोगियों और गैर-मधुमेह रोगियों के बीच यह घटनाएं 8.3 प्रति 1,000 व्यक्ति थी। वहीं, अर्जेंटीना, ब्राजील, चीन, कोलंबिया और ईरान जैसे मध्यम आय वाले देशों (एमआईसी) में बिना डायबिटीज वाले लोगों में यह घटनाएं बढ़कर 4.0 और डायबिटीज वाले लोगों में बढ़कर 9.2 व्यक्ति हो जाती है। इसके अलावा गरीब देशों में बिना डायबिटीज के लोगों में हृदय रोग से जुड़ी घटना की दर 5.3 है और डायबिटीज वाले रोगियों में घटना की दर प्रति एक हजार पर 10.3 हो जाती है।

(और पढ़ें- हार्ट अटैक के ये 6 संकेत महिलाएं न करें नज़रअंदाज़)

डायबिटीज से बचने के लिए myUpchar Ayurveda Madhurodh डायबिटीज टैबलेट का उपयोग करे।और अपने जीवन को स्वस्थ बनाये।

रिपोर्ट में बताया गया है कि अमीर देशों के अंदर डायबिटीज के रोगियों में हृदय रोग के चलते होने वाली मृत्यु दर प्रति 1,000 व्यक्ति पर महज एक ही थी। मतलब एक हजार रोगियों में से एक व्यक्ति की मौत होती है जबकि मध्यम आय वाले देशों में मृत्यु दर का यह आंकड़ा दो से अधिक (2.2) है। इसके साथ ही गरीब देश यानी निम्न आय वाले देशों में यह संख्या पांच से ज्यादा (5.7) है। अध्ययन के पहले लेखक, वरिष्ठ मधुमेह विशेषज्ञ और मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन के शोधकर्ता डॉ. आरएम अंजना का कहना है "मौतों में बहुत बड़ा अंतर हो सकता है क्योंकि गरीब देशों में लोगों को उचित स्वास्थ्य सेवा तक नहीं मिल पाती है। लेकिन यह अधिक चौंकाने वाला था कि लाइफस्टाइल एडजेस्टमेंट यानी जीवनशैली से जुड़ी व्यवस्था और दवाओं का भारत जैसे देश में कोई बड़ा फर्क नहीं पड़ता है।" 

उदाहरण के लिए उच्च आय वाले देशों में जीवनशैली समायोजन के साथ हृदय संबंधी घटनाओं का जोखिम 2.13 से घटकर 1.84 हो गया। वहीं, दवाओं के उपयोग ने इसे और कम करके 1.59 कर दिया। दूसरी ओर निम्न आय वाले देशों में जीवनशैली समायोजन के साथ जोखिम 1.94 से घटकर 1.86 हो गया जबकि दवाओं के उपयोग के साथ यह 1.82 था। विश्लेषण से पता चला कि गरीब देशों में (एलआईसी) में शुगर और उच्च रक्तचाप (हाई बीपी) जैसी समस्या के साथ दवा का अनुपालन खराब था। मतलब यहां समय पर दवा खाने का पालन नहीं किया गया। उदाहरण के लिए,अमीर देशों की तुलना में जहां 12 प्रतिशत लोगों ने इंसुलिन का उपयोग किया जबकि गरीब देशों (एलआईसी) में यह संख्या महज 2.8 प्रतिशत थी।

(और पढ़ें- टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों को हार्ट अटैक और हृदय रोग से बचा सकता है प्रिवेंटिव मेडिकेशन: वैज्ञानिक)

इसके अलावा अमीर देशों में डायबिटीज से पीड़ित लगभग 42 प्रतिशत लोगों ने बीपी कम करने वाली दवाएं और कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवाएं लीं। इसके मुकाबले गरीब देशों में (एलआईसी) महज 10 प्रतिशत शुगर के रोगियों ने बीपी कम करने वाली दवाओं का सेवन किया जबकि केवल 2 प्रतिशत ने कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने के लिए दवा ली। दवाओं के बारे में अपर्याप्त समय, वित्तीय कारणों और दवाओं के संबंध में रोगी / प्रदाता मान्यताओं की अपर्याप्त खुराक सहित कारणों का एक संयोजन दवाओं के अप्रभावी होने का एक कारण हो सकता है।

ऐप पर पढ़ें