विश्वभर में हजारों-लाखों लोग ऐसे हैं, जो हृदय संबंधी बीमारियों से ग्रस्त हैं। हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर, हृदय वाल्व रोग और दिल में छेद उनमें से एक है। इसमें सभी के कारण और लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं और इलाज भी। हृदय रोग से जुड़े ज्यादातर मामलों में सर्जरी एक मात्र विकल्प होता है, लेकिन डॉक्टरों की कड़ी रिसर्च ने सर्जरी के साथ दवाइयों से होने वाले इलाज का भी विकल्प ढूंढ लिया है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (एएचए) की ताजा रिसर्च के मुताबिक अब सर्जरी के अलावा दवाइयों के जरिए भी हृदय रोग का इलाज संभव है।

दवाई से हृदय रोग का इलाज
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की रिपोर्ट के मुताबिक हृदय रोग के ज्यादातर मरीज जो हर दिन दर्द और परेशानी से जूझते हैं, वे इन दवाइयों का सेवन के साथ ही जीवनशैली में थोड़ा-बहुत परिवर्तन लाकर परेशानी से निजात पा सकते हैं।

परीक्षण से पता चला कि कोरोनरी आर्टरी (धमनी) के रोगी, जिनमें एनजाइना (हृदय मांसपेशियों में कम रक्त प्रवाह के कारण सीने में दर्द), हृदय में प्रतिबंधित रक्त प्रवाह जैसे लक्षण भी थे। ऐसे रोगियों में ऑपरेशन या सर्जरी से इलाज करने की तुलना में दवाइयों के जरिए उपचार करना अधिक प्रभावी था।

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क्या कहती है रिसर्च?
साल 2012 में शुरू हुई एएचए की इस रिसर्च के नतीजों को फिलाडेल्फिया में आयोजित अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के वैज्ञानिक सत्र में 16 नवबंर 2019 को जारी किया गया। रिपोर्ट के मुताबिक इस अध्ययन में 37 देशों के 320 जगहों पर 5,179 लोग शामिल हुए थे। एनवाईयू ग्रोसमेन स्कूल ऑफ मेडिसीन में एमडी और वरिष्ठ एसोसिएट डीन डॉक्टर जुडिथ होचमैन इस रिसर्च के अध्यक्ष थे। नेशनल हार्ट, लंग एंड ब्लड इंस्टीट्यूट ने इस स्टडी में 100 मीलियन डॉलर (10 करोड़ डॉलर यानि करीब 710 करोड़ रुपये) का निवेश किया था।

  • अध्ययन को मौजूदा क्लीनिकल ​प्रैक्टिस ​को हाईलाइट (रिफ्लेक्ट) करने के लिए डिज़ाइन किया गया था, जिसमें पाया गया कि कैसे धमनियों में गंभीर रुकावट वाले रोगी स्टेंट इम्प्लांट या बाईपास सर्जरी के साथ एंजियोग्राम से गुजरते हैं।
  • अब तक इस बात के कुछ वैज्ञानिक प्रमाण जरू  थे कि दिल से जुड़ी बीमारियों के लिए एस्प्रिन और स्टैटिंस जैसी दवाओं से ज्यादा प्रमाणिक इलाज सर्जरी ही है।

दवा से इलाज के मिले प्रमाण
शोधकर्ताओं ने अध्ययन के लिए रोगियों को दो समूहों में बांटा। दोनों समूहों को दवाएं और जीवनशैली से जुड़ी सलाह दी गई, लेकिन इन समूहों में से सिर्फ एक ही समूह सर्जरी या ऑपरेशन की प्रक्रियाओं से गुज़रा। इस अध्ययन के दौरान अध्ययनकर्ताओं ने डेढ़ से 7 साल के बीच रोगियों की हृदय संबंधी जांच की।

  • परिणामों से पता चला है कि जिन लोगों को दवाई दी गई थी उनकी तुलना में जो लोग सर्जरी या ऑपरेशन की प्रक्रिया से गुजरे, उनमें पहले वर्ष में हृदय की घटनाओं की दर लगभग 2% अधिक थी। शोधकर्ताओं ने बताया कि सर्जरी के साथ यह अतिरिक्त जोखिम आता है।
  • अध्ययन के दौरान दूसरे साल तक, कोई अंतर नहीं दिखा। चौथे वर्ष तक में अंतर देखने को यह मिला कि जिन लोगों को दवाइयों पर रखा गया था और जीवनशैली में कुछ बदलाव किया गया था, उनकी तुलना में जिनका ऑपरेशन किया गया उनमें हृदय से जुड़ी घटनाएं 2% कम पायी गईं।
  • जांचकर्ताओं ने बताया कि इस तरह से इलाज के परिणामस्वरूप दो उपचार रणनीतियों के बीच कोई महत्वपूर्ण अंतर नहीं था।
  • दैनिक या साप्ताहिक रूप से सीने में दर्द की शिकायत करने वाले मरीजों के साथ यह रिसर्च शुरू हुई। रिसर्च में शामिल जिन मरीजों का ऑपरेशन किया गया था, उसमें से 50 प्रतिशत मरीजों का दर्द एक साल तक बना रहा। जबकि उनकी तुलना में जिन लोगों की जीवनशैली में परिवर्तन कर दवा दी गई उनमें से 80 प्रतिशत लोगों को एक साल पहले ही दर्द से मुक्ति मिल गई।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
एनवाईयू लैंगोन कार्डियोलॉजिस्ट और रिसर्च की अध्यक्षता करने वाली डॉक्टर जुडिथ होचमैन के मुताबिक हर साल स्थिर कोरोनरी आर्टरी की बीमारी से जुड़े 5,00,000 नए मरीजों की पहचान की जाती है। इस दौरान हृदय में जमी वसा समय-समय पर एनजाइना या सीने में दर्द का कारण बनती है। यही वजह है कि मौजूदा समय में मरीजों को हृदय बाईपास सर्जरी या रक्त प्रवाह (ब्लड सर्कुलेशन) को बहाल करने के लिए डॉक्टर एक स्टेंट प्रत्यारोपित (इम्प्लांट) करने की सलाह देते हैं। दरअसल स्टेंट में छोटे ट्यूब होते हैं जो ब्लॉकेज-क्लींजिंग एंजियोप्लास्टी के बाद धमनी (आर्टरी) को खुला रखते हैं।

कुल मिलाकर इस रिसर्च के बाद उन लोगों को राहत होगी, जो सर्जरी या फिर ऑपरेशन से भय से हृदय रोग का इलाज नहीं करवाते थे। शोधकर्ताओं के इस अध्ययन के बाद हृदय रोगियों को दवाओं के जरिए पर्याप्त और पूरा इलाज मिल सकेगा।  

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