ह्यूमन ग्रैनुलोसिटिक एर्लिकियोसिस (एचजीई) - Human Granulocytic Ehrlichiosis (HGE) in Hindi

Dr. Ajay Mohan (AIIMS)MBBS

December 16, 2019

December 10, 2021

ह्यूमन ग्रैनुलोसिटिक एर्लिकियोसिस
ह्यूमन ग्रैनुलोसिटिक एर्लिकियोसिस

ह्यूमन ग्रैनुलोसिटिक एर्लिकियोसिस (एचजीई) क्या है?

ह्यूमन ग्रैनुलोसिटिक एर्लिकियोसिस (एचजीई) एक दुर्लभ संक्रामक रोग है, जो ह्यूमन एरलिकियोसेस रोगों के समूह से संबंधित है। इसे ह्यूमन इर्लिचियल इन्फेक्शन के नाम से भी जाना जाता है। एर्लिकियोसिस एक ऐसा रोग है जो, "एर्लिकियल" परिवार के ही बैक्टीरिया के कारण होता है। ह्यूमन एर्लिचियल इन्फेक्शन के कई प्रकार ढूंढे जा चुके हैं, जैसे कि ह्यूमन ग्रैनुलोसिटिक एर्लिकियोसिस (एचजीई), सेनेत्सु बुखार और ह्यूमन मोनोसाइटिक एर्लिकियोसिस (एचएमई)। हालांकि, एर्लिचिया बैक्टीरिया के विभिन्न उपप्रकार होने के बावजूद भी विकार के सभी लक्षण एक समान होते हैं।

ह्यूमन ग्रैनुलोसिटिक एर्लिकियोसिस (एचजीई) के लक्षणों में एक सप्ताह के भीतर या प्रारंभिक संक्रमण के बाद अचानक तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, ठंड लगनाकमजोरी और थकान महसूस हो सकती है। यदि मानव ग्रैनुलोसाइटिक एर्लिकियोसिस को अनुपचारित छोड़ दिया जाए, तो इसमें मरीज की मृत्यु की आशंका वाले लक्षण दिखाई दे सकते हैं, जैसे कि गुर्दे खराब होना या श्वसन संबंधी समस्याएं। ह्यूमन ग्रैनुलोसिटिक एर्लिकियोसिस, एर्लिकियल परिवार के एक बैक्टीरिया के कारण होता है, जिसकी अभी तक कोई पहचान नहीं हो पाई है। एर्लिचियल जीवाणु कुछ टिक्स (रोगवाहक) द्वारा ले जाए और प्रेषित किए जाते हैं, जैसे कि डीयर टिक (Ixodes scapularis) और अमेरिकन डॉग टिक (Dermacentor varabilis)।

ह्यूमन ग्रैनुलोसिटिक एर्लिकियोसिस (एचजीई) के लक्षण और संकेत

ह्यूमन ग्रैनुलोसिटिक एर्लिकियोसिस (एचजीई) से ग्रस्त व्यक्तियों में लक्षणों की शुरुआत आमतौर पर लगभग एक सप्ताह के बाद होती है, ऐसा तब होता है जब किसी व्यक्ति को कोई ऐसा टिक (एक प्रकार का कीट) काट लेता है, जिसके शरीर में एर्लिचिया बैक्टीरियम नाम का बैक्टीरिया होता है। ज्यादातर मामलों में इसके लक्षणों में बुखार, ठंड लगना, मांसपेशियों में दर्द (मायल्जिया), कमजोरी और सामान्य रूप से थकान महसूस होना व सिरदर्द शामिल हैं। कुछ प्रभावित व्यक्तियों को खांसी, मितली, उल्टी, जोड़ों में दर्द (गठिया), या उलझन महसूस हो सकती है। बेहद दुर्लभ मामलों में त्वचा पर एक चकत्ता भी दिखाई दे सकता है।

इसके अलावा, एचजीई से ग्रस्त व्यक्ति कुछ लीवर एंजाइमों (हेप्टिक ट्रांसमिनेसिस) के स्तर में असामान्य वृद्धि दर्शाते हैं, रक्त में प्रोटीन एल्बुमिन का कम स्तर (हाइपोएल्ब्यूमिनीमिया) या ब्लड प्लेटलेट्स (थ्रोम्बोसाइटोपेनिया), लाल रक्त कोशिकाओं (एनीमिया) और कुछ ग्रैनुलर सफेद रक्त कोशिकाओं (ग्रैनुलोसाइटोपेनिया) में असामान्य रूप से कमी होना, जो रक्त से बैक्टीरिया को हटाने और उन्हें नष्ट करने में मदद करते हैं।

कुछ गंभीर मामलों में, अगर ह्यूमन ग्रैनुलोसिटिक एर्लिकियोसिस को अनुपचारित छोड़ दिया जाता है, तो व्यक्ति की जान को भी खतरा हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ऐसी स्थिति में श्वसन प्रणाली के ठीक से काम ना कर पाने, गंभीर जठरांत्र संबंधी रक्तस्राव, किडनी फेल और लिवर खराब होने जैसी आशंकाएं बढ़ सकती हैं।

चिकित्सकों के अनुसार, दुर्लभ मामलों में एचजीई से ग्रस्त व्यक्ति साथ में लाइम रोग से भी संक्रमित हो सकते हैं। यह एक सामान्य जीवाणु रोग है, जो डीयर टिक्स (जिसे एचजीई के लिए टिक वैक्टर भी कहा जाता है) द्वारा फैलता है। ऐसे मामलों में व्यक्ति में एचजीई व लाइम रोग दोनों के लक्षण और भौतिक निष्कर्ष देखे जा सकते हैं, जिनमें अक्सर सिरदर्द, बुखार, मांसपेशियों में दर्द, कमजोरी, जोड़ों में दर्द (गठिया) और लीवर संबंधी समस्याएं होती हैं।

इसके अलावा बेहद कम मामलों में व्यक्ति अन्य प्रकार के लक्षण और निष्कर्ष महसूस करता है, जो एक दुर्लभ विकार के होते हैं और किसी दूसरे व्यक्ति में नहीं पाए जाते, जैसे कि त्वचा पर लाल घाव (एरिथेमा क्रॉनिक माइग्रेन), जो अक्सर लाइम रोग और/या खांसी, थ्रोम्बोसाइटोपेनिया व ग्रैनुलोसाइटोपेनिया से जुड़े होते हैं, जो अक्सर एचजीई से ग्रस्त लोगों को होते हैं।

ह्यूमन ग्रैनुलोसिटिक एर्लिकियोसिस (एचजीई) के कारण

ह्यूमन ग्रैनुलोसिटिक एर्लिकियोसिस (एचजीई) व ह्यूमन एर्लिकियोसिस, "एर्लिचिया" परिवार से संबंधित बैक्टीरिया के कारण होते हैं। संक्रमित टिक्स (एक प्रकार का कीट या कोई सूक्ष्मजीव जो किसी बैक्टीरिया या वायरस से संक्रमित हो) के काटने से ये बैक्टीरिया इंसानों में पहुंच जाते हैं। एचजीई के लिए जिम्मेदार जीवाणु को प्रसारित करने वाले टिक्स में हिरण टिक (Ixodes scapularis) और अमेरिकन डॉग टिक (Dermacentor varabilis) शामिल हैं।

एचजीई में, एर्लिचियल बैक्टीरिया संक्रमण पैदा कर देते हैं और यदि इनका इलाज ना किया जाए, तो ये उन सफेद रक्त कोशिकाओं (ग्रैनुलोसाइट्स) को नष्ट कर देते हैं जो हमे संक्रमण से बचाती हैं।

ह्यूमन ग्रैनुलोसिटिक एर्लिकियोसिस (एचजीई) का इलाज

ह्यूमन ग्रैनुलोसिटिक एर्लिकियोसिस के इलाज में आमतौर पर टेट्रासाइक्लिन या वैकल्पिक रूप से डॉक्सीसाइक्लिन की खुराक दी जाती है। जब एचजीई से प्रभावित व्यक्ति टेट्रासाइक्लिन एंटीबायोटिक्स (Contraindicated) लेने में असमर्थ होते हैं, तो क्लोरैम्फेनिकॉल एक प्रभावी विकल्प हो सकता है। मानव ग्रैनुलोसाइटिक एर्लिकियोसिस के गंभीर मामलों में, अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता पड़ सकती है।

मेडिकल लिट्रेचर के अनुसार, कुछ दुर्लभ मामलों में जब प्रभावित लोगों में एचजीई इन्फेक्शन और लाइम रोग के शुरुआती लक्षण की पुष्टि हो जाए, तो उन लोगों को डॉक्सीसाइक्लिन दवाएं देने पर विचार किया जाता है, जो टेट्रासाइक्लिन दवाएं सहन कर लेते हैं।