क्लिपेल ट्रेनोनय सिंड्रोम - Klippel-Trenaunay Syndrome in Hindi

Dr. Nadheer K M (AIIMS)MBBS

September 18, 2020

September 22, 2020

क्लिपेल ट्रेनोनय सिंड्रोम
क्लिपेल ट्रेनोनय सिंड्रोम

क्लिपेल ट्रेनोनय सिंड्रोम क्या है?

क्लिपेल ट्रेनोनय सिंड्रोम को केटीएस नाम से भी जाना जाता है। यह एक दुर्लभ विकार है जो रक्त वाहिकाओं, मुलायम ऊतकों (जैसे त्वचा और मांसपेशियां) और हड्डियों के विकास को प्रभावित करता है। इस विकार के तीन विशिष्ट विशेषताएं हैं : 

  • जन्म के समय लाल रंग का निशान (पोर्ट-वाइन स्टेन)
  • मुलायम ऊतकों और हड्डियों का असामान्य रूप से बढ़ना
  • नसों की विकृति

वैसे तो केटीएस का कोई इलाज नहीं है, लेकिन ट्रीटमेंट के तौर पर लक्षणों और जटिलताओं को प्रबंधित किया जाता है।

क्लिपेल ट्रेनोनय सिंड्रोम के संकेत और लक्षण क्या हैं?

क्लिपेल ट्रेनोनय सिंड्रोम से ग्रस्त अधिकांश लोगों के जन्म के समय लाल निशान होता है। इस तरह का निशान त्वचा की सतह के पास छोटी रक्त वाहिकाओं में सूजन के कारण होता है। आमतौर पर ये दाग सपाट होते हैं और इनका रंग हल्के गुलाबी से लेकर मरून तक हो सकता है। प्रभावित अंग समय के साथ हल्का या गहरे रंग का हो सकता है। कभी-कभी, यह दाग छोटे लाल फफोले जैसे विकसित हो सकते हैं, जो आसानी से फूट सकते हैं और खून बहने लगता है।

क्लिपेल ट्रेनोनय सिंड्रोम की दूसरी विशेषता नरम ऊतकों और हड्डियों का असामान्य रूप से बढ़ना है। आमतौर पर, यह असामान्य वृद्धि एक अंग (ज्यादातर पैर) को प्रभावित करती है। हालांकि, यह अतिवृद्धि बांह को भी प्रभावित कर सकती है। असामान्य वृद्धि की वजह से दर्द, भारीपन का एहसास और प्रभावित हिस्से की गतिविधि कम होने लगती है। यदि इस अतिवृद्धि के कारण एक पैर दूसरे से लंबा हो जाता है, तो इससे चलने में भी समस्या हो सकती है।

क्लिपेल ट्रेनोनय सिंड्रोम की तीसरी विशेषता नसों की विकृतियां हैं। इन असामान्यताओं में 'वैरिकोज वेन्स' शामिल हैं, जिसमें खून जमने की वजह से त्वचा की सतह के पास सूजन आ जाती है। अक्सर यह स्थिति दर्दभरी होती है। इन नसों को आसानी से त्वचा के ऊपर से देखा जा सकता है।

इसके अलावा केटीएस में मोतियाबिंद, ग्लूकोमा, जन्म के समय से कूल्हों का अपनी जगह से खिसकना और खून के थक्के जमने जैसी समस्याएं भी शामिल हो सकती हैं।

(और पढ़ें - नसों की कमजोरी के कारण)

क्लिपेल ट्रेनोनय सिंड्रोम के कारण क्या हैं?

क्लिपेल ट्रेनोनय सिंड्रोम एक आनुवंशिक स्थिति है जो कि पीआईके3सीए जीन में आनुवंशिक परिवर्तन (एक तरह से गड़बड़ी) की वजह से होती है। इन आनुवंशिक परिवर्तनों की वजह से असामान्य रूप से ऊतकों का विकास होने लगता है।

आमतौर पर केटीएस वंशागत नहीं है। जीन में यह गड़बड़ी जन्म से पहले शुरुआती विकास में कोशिकाओं के विभाजन के समय होता है।

क्लिपेल ट्रेनोनय सिंड्रोम का निदान कैसे होता है?

निदान के लिए सबसे पहले शारीरिक परीक्षण किया जाता है। इस दौरान डॉक्टर :

  • फैमिली और मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पूछ सकते हैं
  • सूजन, वैरिकोज वेन्स और जन्म के समय से मौजूद लाल रंग के निशान की जांच कर सकते हैं
  • नरम ऊतकों और हड्डियों की वृद्धि का मूल्यांकन कर सकते हैं

कई नैदानिक ​​परीक्षण की मदद से स्थिति की गंभीरता और प्रकार के आधार पर उपचार निर्धारित कर सकते हैं। इन परीक्षणों में शामिल हैं :

डुप्लेक्स स्कैनिंग : इस टेस्ट के जरिए यह पता किया जाता है कि खून धमनियों और नसों में कैसे आगे बढ़ता है।

स्कैनोग्राम : यह एक्स-रे तकनीक हड्डियों की छवियों को देखने और उनकी लंबाई को मापने में मदद करती है।

एमआरआई : मैग्नेटिक रेजोनेंस एंजियोग्राफी शरीर रचना और शारीरिक प्रक्रियाओं का चित्र तैयार करने की तकनी​क है।

सीटी स्कैन : सिटी स्कैन शरीर की 3डी छवियां बनाने की तकनीक, जिसके जरिये नसों में खून के थक्कों को देखने में मदद मिलती है।

कंट्रास्ट वेनोग्राफी : इसके जरिये खून में थक्के या ब्लॉकेज और असामान्य नसों के बारे में पता चलता है।

क्लिपेल ट्रेनोनय सिंड्रोम का इलाज क्या है?

क्लिपेल ट्रेनोनय सिंड्रोम के इलाज का लक्ष्य लक्षणों और जटिलताओं को प्रबंधित करना है। इसके लिए डॉक्टर कम्प्रेशन थेरेपी, फिजिकल थेरेपी, आर्थोपेडिक डिवाइस का इस्तेमाल करना, इंबोलाइजेशन, लेजर थेरेपी, स्केलोथेरेपी, सर्जरी और दवाइयों की मदद ले सकते हैं।

(और पढ़ें - थेरेपी क्या है)



क्लिपेल ट्रेनोनय सिंड्रोम के डॉक्टर

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