वैसे तो इन दिनों दुनियाभर में सिर्फ एक ही बीमारी की चर्चा हो रही है और वह है कोविड-19 और हो भी क्यों न इसने दुनियाभर के लाखों लोगों को अपनी चपेट में जो ले रखा है। चूंकि अब तक इस महामारी का कोई इलाज खोजा नहीं जा सका है इसलिए कोविड-19 के संक्रमण से जुड़े मामले और मौतें लगातार बढ़ रही हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि दुनिया इस वक्त एक महामारी से जूझ रही है, इसलिए बाकी की बीमारियां शांत बैठ जाएंगी- ऐसी ही एक बेहद खतरनाक और जानलेवा बीमारी है मलेरिया

विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO के आंकड़ों की मानें तो साल 2018 में दुनियाभर में मच्छरों से होने वाली बीमारी मलेरिया के 228 मिलियन केसेज सामने आए थे, जिनमें से करीब 4 लाख से ज्यादा लोगों की मौत भी हो गई थी। लेकिन अब मलेरिया को लेकर एक नई स्टडी सामने आयी है जो बीमारी को फैलने से रोक सकती है और इसका संबंध मच्छरों से ही है।

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वैज्ञानिकों ने खोजा नया माइक्रोब

जी हां, वैज्ञानिकों ने एक नए रोगाणु (माइक्रोब) की खोज की है जो मच्छरों को मलेरिया की बीमारी फैलाने से रोक सकता है। केन्या और यूके के वैज्ञानिकों की एक टीम ने यह स्टडी की जिसे साइंटिफिक जर्नल नेचर कम्यूनिकेशन्स में प्रकाशित किया गया है। वैज्ञानिकों की इस टीम की मानें तो स्टडी के नतीजों में 'बहुत अधिक संभावना' है जिसके जरिए मलेरिया को नियंत्रित किया जा सकता है। 

मच्छरों को संक्रमित होने से रोकने की कोशिश

दरअसल, मलेरिया संक्रमित मच्छरों के इंसान को काटने से फैलता है। ऐसे में अगर मच्छरों को ही संक्रमित होने से रोक लिया जाए तो इंसान को बीमार होने से बचाया जा सकता है। वैज्ञानिकों की इस टीम ने एक नए तरह के स्पोर (जीवाणु जो बढ़कर एक नया प्राणी हो जाता है) एक कोशिकीय रोगाणु की खोज की है जो मच्छरों में पाया जाता है और इसे माइक्रोस्पोरिडिया एमबी नाम दिया गया है। इस रोगाणु में प्लास्मोडियम फैल्सिपैरम (परजीवी प्रोटोजोओ जिससे मलेरिया होता है) के प्रसार को रोकने की क्षमता है।

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किस तरह से किया जाए इस माइक्रोब का इस्तेमाल?

आसान शब्दों में समझें तो वैज्ञानिकों ने मच्छरों के अंदर जिस रोगाणु की खोज की है वह मच्छरों को मलेरिया बीमारी का कैरियर यानी संवाहक बनने से रोक देगा। ऐसे में अब स्टडी से जुड़े वैज्ञानिक और अनुसंधानकर्ता इस बात की जांच कर रहे हैं कि उन्हें संक्रमित मच्छरों को अनियंत्रित ढंग से छोड़ देना चाहिए या फिर इस रोगाणु का इस्तेमाल बीमारी को समाप्त करने के लिए करना चाहिए। 
  
क्या है यह रोगाणु?
मलेरिया-ब्लॉकिंग यानी मलेरिया को रोकने वाला यह रोगाणु जिसे माइक्रोस्पोरिडिया एमबी नाम दिया गया है कि खोज केन्या के लेक विक्टोरिया के किनारे मच्छरों का अध्ययन करते वक्त हुई थी। यह रोगाणु मच्छरों की आंत (गट) और जेनिटल्स में रहता है। अनुसंधानकर्ताओं को ऐसा एक भी मच्छर नहीं मिला जिसके अंदर माइक्रोस्पोरिडिया मौजूद हो और उसने मलेरिया परजीवी को पनाह दी हो। माइक्रोस्पोरिडिया, फंगी या फफूंद है और इनमें से ज्यादातर परजीवी होते हैं। हालांकि यह नई प्रजाति मच्छरों के लिए फायदेमंद हो सकती है और स्टडी किए गए करीब 5 प्रतिशत मच्छरों में यह प्राकृतिक रूप से पाया गया।

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कितनी महत्वपूर्ण है ये खोज?
केन्या में मौजूद इंटरनैशनल सेंटर ऑफ इंसेक्ट फिजिओलॉजी एंड इकोलॉजी से जुड़े डॉक्टर जेरेमी हेरेन कहते हैं, अब तक हमारे पास जो आंकड़े मौजूद हैं उसके मुताबिक यह मलेरिया को 100 प्रतिशत रोकने में कामयाब हो सकता है। लोग इसे एक बहुत बड़ी नई खोज के रूप में देख सकते हैं। स्टडी में यह दिखाया गया है कि यह रोगाणु (माइक्रोब) माइक्रोस्पोरिडिया एमबी मच्छरों को मलेरिया प्रतिरोधी (मलेरिया रेजिस्टेंट) बना देता है और इस तरह से यह मलेरिया बीमारी के प्रसार को रोकने में काफी हद तक प्रभावशाली माना जा सकता है।   

मलेरिया को रोकने के लिए कैसे काम करता है माइक्रोब?
माइक्रोस्पोरिडिया एमबी मच्छरों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भड़काने का काम करता है ताकि यह संक्रमण से लड़ने के लिए और ज्यादा तैयार हो सके। या फिर मच्छर में इस रोगाणु की मौजूदगी की वजह से मच्छर के मेटाबॉलिज्म पर गहरा असर पड़ता है जिस वजह से यह मलेरिया परजीवी की सहायता कर उसका संवाहक नहीं बन पाता। माइक्रोस्पोरिडिया एमबी इंफेक्शन जीवनभर मौजूद रहता है और धीरे-धीरे और अधिक गहरा होता जाता है इसलिए मलेरिया को रोकने का असर लंबे समय तक बना रहता है।

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मलेरिया के खिलाफ इस रोगाणु का इस्तेमाल कब हो सकता है?
मलेरिया पर इस रोगाणु का कोई असर नजर आए, इसके लिए किसी क्षेत्र के कम से कम 40 प्रतिशत मच्छरों को माइक्रोस्पोरिडिया एमबी से संक्रमित करना होगा। इस रोगाणु को वयस्क मच्छरों और मादा मच्छरों में भी ट्रांसफर किया जाता सकता है। लिहाजा अनुसंधानकर्ता माइक्रोस्पोरिडिया एमबी से संक्रमित मच्छरों की संख्या बढ़ाने के लिए 2 तरह की स्ट्रैटजी अपनाने पर विचार कर रहे हैं:

  • माइक्रोस्पोरिडिया स्पोर को एक साथ सामूहिक रूप से रिलीज कर दिया जाए ताकि मच्छर इससे संक्रमित हो सकें
  • नर मच्छर जो काटते नहीं हैं उन्हें लैब में इससे संक्रमित किया जा सकता है और उन्हें बाहर छोड़ सकते हैं ताकि वे मादा मच्छरों को संक्रमित कर सकें।

यह एक नई खोज है और इसमें मलेरिया को नियंत्रित करने की काफी क्षमता है। हालांकि जीवित रोगाणुओं का इस्तेमाल कर बीमारी को नियंत्रित करने का यह तरीका नया या अनोखा नहीं है। इससे पहले वोल्बाचिया नाम के बैक्टीरिया का इस्तेमाल किया गया था जिसने मच्छरों के लिए डेंगू बुखार को फैलाना मुश्किल कर दिया था।

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