खाने से जुड़ी आदतें सीधे तौर पर हमारी सेहत को प्रभावित करती हैं। इन आदतों से जुड़े साक्ष्यों (सकारात्मक और नकारात्मक दोनों) को अक्सर हेल्थ एक्सपर्ट्स ने लोगों के बीच रखा है। गुड हैबिट्स से अलग बुरी आदतों की बात करें तो अधिक मात्रा में खाना और सही समय पर नहीं खाना हमें बीमारियों की ओर धकेलता है। नई रिसर्च के जरिए शोधकर्ताओं ने एक बार फिर इसका खुलासा किया है। यह रिसर्च जापान की कानाजावा यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा की गई है। इसमें बताया गया है कि नाश्ता नहीं करने और रात का खाना देर से खाने से प्रोटीन्यूरिया बीमारी का अधिक जोखिम हो सकता है, जो क्रोनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) का एक प्रमुख कारक है।

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क्रोनिक किडनी डिजीज क्या है?
रिपोर्ट के मुताबिक क्रोनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) को किडनी की संरचनात्मक और कार्यात्मक असामान्यता या कम ग्लोमेरुलर फिल्टरेशन के रूप में परिभाषित किया गया है। सीकेडी आखिरी स्टेज की किडनी की बीमारी और हृदय रोग के लिए एक जोखिम कारक है, जो कई देशों में एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या है। सीकेडी के सबसे आम कारणों में डायबिटीज, हाई बीपी (उच्च रक्तचाप) और मोटापा हैं। हालांकि, दवा के जरिए इन बीमारियों का अलग-अलग तरीके से इलाज हो सकता है। हाल के सालों में आहार और व्यायाम जैसे विकल्पों के जरिए किया गया परिवर्तन आकर्षण का केंद्र भी रहा है। 

शोधकर्ता प्रोफेसर तकाशी वाडा का कहना है, "क्रोनिक किडनी डिजीज, हृदय संबंधी मृत्यु के एक उच्च जोखिम से जुड़ा है। इसलिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि इस घातक बीमारी के विकास में कौन सा फैक्टर अहम हो सकता है। हमारी रिसर्च का मकसद था कि खाने की आदतों और सीकेडी के बीच संबंधों की जांच की जाए।" रिसर्च के तहत शोधकर्ताओं ने प्रोटीन्यूरिया पर ध्यान केंद्रित किया जो सीकेडी का एक प्रमुख रोग-कारक है। प्रोटीन्यूरिया, किडनी की बीमारी का एक शुरुआती लक्षण है। लिहाजा इससे जुड़ी घटनाओं को रोकना हमारे स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। 

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कैसे की गई रिसर्च
यह एक प्रकार का रेट्रोस्पेक्टिव अध्ययन है, जिसमें 40 साल से अधिक उम्र के 26,000 रोगियों की जांच की गई। ये वो लोग थे जो साल 1998 से लेकर 2014 के बीच कानाजावा यूनिवर्सिटी की वार्षिक चिकित्सा जांच में शामिल हुए थे। इस दौरान शोधकर्ताओं ने अनहेल्दी डायटरी हैबिट्स को अलग-अलग तरह से परिभाषित किया था। जैसे -

  • रात का खाना देरी से खाना (हफ्ते में तीन या उससे ज्यादा बार सोने और डिनर के बीच 2 घंटे से कम का अंतर)
  • सुबह नाश्ता ना करना (सप्ताह में तीन या अधिक बार नाश्ता नहीं करना)
  • तेजी के साथ खाना खाना (अपनी आयु वर्ग के लोगों की तुलना में तेजी से खाना)
  • देर शाम का नाश्ता (सप्ताह में तीन या अधिक बार रात के खाने के बाद स्नैक्स खाना)

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इन अहम बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए शोधकर्ताओं ने पाया कि कुल रोगियों की संख्या में से तेजी से खाना खाने वालों की संख्या 29 प्रतिशत थी जो कि खाना खाने की सबसे आम अनहेल्दी आदतों में से एक थी। इसके बाद देर रात खाना खाने वालों की संख्या 19 प्रतिशत थी। डिनर के बाद स्नैक्स खाने वालों की संख्या 16 प्रतिशत और सुबह नाश्ता नहीं करने वालों की संख्या 9 प्रतिशत थी। तीन सालों की औसतन अवधि के दौरान पता चला कि इसमें से 10 प्रतिशत लोग प्रोटीन्यूरिन से ग्रसित हो चुके थे। इन आहार संबंधी आदतों में से सुबह का नाश्ता ना करना और रात का खाना देरी से खाना प्रोटीन्यूरिया के बढ़ने के जोखिम से जुड़ा था। हैरानी की बात है कि खाना खाने की खराब आदतों के बावजूद शरीर के वजन में कोई बदलाव का संकेत नहीं मिला। 

प्रोफेसर वाडा के मुताबिक "रिसर्च से जुड़े नतीजे बताते हैं कि शरीर के वजन में बदलाव से अलग सीकेडी के लिए अनहेल्दी डायटरी संबंधी आदतें जोखिम कारक से जुड़ी हो सकती हैं। हमारी इस रिसर्च के जरिए क्रोनिक किडनी डिजीज के विकास को रोका जा सकता है।"

क्या है प्रोटीन्यूरिया?
एक रिपोर्ट के मुताबिक यूरिन में प्रोटीन की मात्रा अधिक होने की स्थिति को प्रोटीन्यूरिया (Proteinuria) कहा जाता है। इस स्थिति के कारण खून में प्रोटीन की कमी हो जाती है, जिसका असर पूरे स्वास्थ्य पर देखने को मिलता है। किडनी के जरिए ठीक से फिल्टर न कर पाने के कारण अधिक प्रोटीन पेशाब में जाने लगता है, जिस स्थिति को यूरिन में प्रोटीन या प्रोटीन्यूरिया बीमारी कहा जाता है।

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