सेरोटोनिनि सिंड्रोम - Serotonin Syndrome in Hindi

Dr. Nadheer K M (AIIMS)MBBS

October 14, 2020

November 05, 2020

सेरोटोनिनि सिंड्रोम
सेरोटोनिनि सिंड्रोम

सेरोटोनिन सिंड्रोम, दवाओं के कारण होने वाली प्रतिक्रिया है। कई प्रकार की दवाओं के कारण शरीर में सेरोटोनिन नामक रसायन की मात्रा बहुत अधिक बढ़ जाती है। रसायन की बढ़ी हई मात्रा सेरोटोनिन सिंड्रोम की स्थिति पैदा करती है। शरीर द्वारा सेरोटोनिन रसायन का उत्पादन होता है। यह रसायन तंत्रिका कोशिकाओं और मस्तिष्क के कार्यों के लिए बहुत आवश्यक होता है। सेरोटोनिन रसायन के बढ़ जाने के कारण कई प्रकार के लक्षण देखने को मिल सकते हैं। इसके हल्के स्तर में  कंपकपी और दस्त जबकि गंभीर स्थिति में मांसपेशियों की कठोरता, बुखार और दौरे की समस्या हो सकती है। सेरोटोनिन सिंड्रोम की गंभीर स्थिति में लोगों की जान भी जा सकती है।

कुछ दवाओं की खुराक बढ़ाने अथवा नए दवाओं को शामिल करने के कारण सेरोटोनिन सिंड्रोम की समस्या हो सकती है। कई अवैध दवाओं और सप्लीमेंट्स के कारण भी सेरोटोनिन सिंड्रोम की समस्या उत्पन्न हो सकती है।

इस लेख में हम सेरोटोनिन सिंड्रोम के लक्षण, कारण और इसके इलाज के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।

सेरोटोनिन सिंड्रोम के लक्षण - Serotonin syndrome symptoms in Hindi

नई दवाओं के लेने या मौजूदा दवा की खुराक बढ़ाने के कुछ ही मिनटों के भीतर आपमें लक्षण नजर आ सकते हैं।

गंभीर मामलों में निम्न लक्षण दिखाई दे सकते हैं -

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सेरोटोनिन सिंड्रोम का कारण - Serotonin syndrome causes in Hindi

सेरोटोनिन के स्तर को बढ़ाने वाली दो या उससे अधिक दवाओं अथवा सप्लीमेंट के सेवन के कारण  सेरोटोनिन सिंड्रोम की समस्या हो सकती है। उदाहरण के लिए यदि आप पहले से ही एंटीडिप्रेसेंट दवाएं ले रहे हैं और इसके साथ ही माइग्रेन की दवा ले लेते हैं तो इससे भी सेरोटोनिन रसायन के बढ़ने का खतरा हो सकता है। इसके अलावा एचआईवी और एड्स के इलाज के लिए एंटीबायोटिक्स और एंटीवायरल दवाएं, मतली और दर्द में प्रयोग की जाने वाली दवाएं भी सेरोटोनिन के स्तर को बढ़ा सकती हैं।

सेरोटोनिन सिंड्रोम से जुड़ी दवाएं और कुछ सप्लीमेंट्स निम्नलिखित हो सकती हैं।

  • एंटीडिप्रेसेंट
  • माइग्रेन की दवाएं
  • कई प्रकार की अवैध दवाएं
  • हर्बल सप्लीमेंट्स
  • सर्दी और जुकाम की दवाएं 

सेरोटोनिन के स्तर के बढ़ने के बाद दोबारा इसके सामान्य हो जाने की स्थिति में आमतौर पर किसी प्रकार की समस्या नहीं होती है। हालांकि, यदि इसपर ध्यान न दिया जाए और स्थिति को अनुपचारित ही छोड़ दिया जाए तो यह बेहोशी और कछ लोगों में मौत का कारण भी बन सकती है।

सेरोटोनिन सिंड्रोम का निदान - Diagnosis of Serotonin syndrome in Hindi

सेरोटोनिन सिंड्रोम के निदान के लिए अब तक कोई विशिष्ट परीक्षण नहीं है। रोगी के लक्षणों और मेडिकल हिस्ट्री के आधार पर स्थिति की समीक्षा की जाती है। यदि आप किसी दवा का सेवन कर रहे हैं या हाल के दिनों में किसी अवैध दवाई का सेवन किया हो तो इस बारे में डॉक्टर को जरूर बताएं। इन जानकारी की मदद से समस्या का अधिक सटीकता से निदान किया जा सकता है। इसके अलावा कुछ अंगों या शरीर के कार्यों की समीक्षा करने के लिए डॉक्टर आवश्यकतानुसार कुछ टेस्ट कर सकते हैं।

कुछ स्वास्थ्य संबंधी स्थितियों और सेरोटोनिन सिंड्रोम के लक्षण समान होते हैं। इनमें संक्रमण, ड्रग ओवरडोज़ और हार्मोनल समस्याएं शामिल हैं। इसके अलावा न्यूरोलेप्टिक मैलिग्नेंट सिंड्रोम में भी सेरोटोनिन सिंड्रोम जैसे ही लक्षण नजर आते हैं। न्यूरोलेप्टिक मैलिग्नेंट सिंड्रोम, मनोवैज्ञानिक रोगों के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली दवाओं की प्रतिकूल प्रतिक्रिया के कारण होने वाली स्थिति है।

डॉक्टर आपको निम्न प्रकार के परीक्षणों की भी सलाह दे सकते हैं :

सेरोटोनिनि सिंड्रोम से बचाव और रोकथाम - Prevention of Serotonin Syndrome in Hindi

सेरोटोनिन-संबंधित एक से अधिक दवा के सेवन अथवा खुराक बढ़ाने से सेरोटोनिन सिंड्रोम का खतरा बढ़ जाता है।  यदि आपको या परिवार के किसी सदस्य को दवा लेने के बाद उपरोक्त बताए गए लक्षण नजर आ रहे हों तो इस बारे में डॉक्टर से अवश्य सलाह लेनी चाहिए। इसके अलावा संभावित जोखिमों के बारे में भी डॉक्टर से बात करें।

यदि डॉक्टर आपको कोई नई दवा लिख रहे हैं तो सुनिश्चित करें कि वह प्रयोग में लाई जा रही अन्य दवाओं के बारे में जानते हों। यदि आप दो अलग-अलग डॉक्टरों से बीमारियों की इलाज करा रहे हैं तो इस स्थिति में दवाओं के बारे में बताना और अधिक आवश्यक हो जाता है।

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सेरोटोनिनि सिंड्रोम का इलाज - Treatment of Serotonin syndrome in Hindi

यदि रोगी में सेरोटोनिन सिंड्रोम का स्तर बहुत हल्का है, तो डॉक्टर सबसे पहले समस्या का कारण बनने वाली दवाओं को बंद कर देते हैं। वहीं यदि लक्षण गंभीर हैं, तो आपको अस्पताल में भर्ती होना पड़ सकता है, जहां डॉक्टर स्थिति की बारीकी से निगरानी करते हैं।

इसके अलावा उपचार की निम्न विधियों को भी प्रयोग में लाया जा सकता है।

  • समस्या के कारक दवाइयों को बंद करना
  • निर्जलीकरण और बुखार की स्थिति में नसों के माध्यम से शरीर में तरल पदार्थ पहुंचाना
  • मांसपेशियों की जकड़न को कम करने वाली दवाएं
  • सेरोटोनिन को बढ़ने से रोकने वाली दवाएं

सेरोटोनिन बढ़ाने वाली दवाओं को रोकने के 24 से 72 घंटों के भीतर ही हल्के स्तर वाले सेरोटोनिन सिंड्रोम की समस्या ठीक हो जाती है। हालांकि, एंटीडिप्रेशेंट के कारण होने वाली सेरोटोनिन सिंड्रोम की समस्या को ठीक होने में कुछ सप्ताह तक लग सकते हैं।