प्रत्येक वर्ष 16 अक्टूबर को 'वर्ल्ड स्पाइन डे' मनाया जाता है। इस दिन को मनाए जाने का उद्देश्य पीठ दर्द और रीढ़ की हड्डी से संबंधित समस्याओं के बारे में जागरूकता फैलाना है। इस बार 'वर्ल्ड स्पाइन डे' 2019 की थीम 'गेट स्पाइन एक्टिव' यानी रीढ़ की हड्डी को स्वस्थ एवं एक्टिव रखना है। यदि साइड से देखने पर रीढ़ की हड्डी में हल्का-सा कर्व (झुकाव) नजर आ रहा है, तो इसका मतलब है कि उस व्यक्ति की रीढ़ की हड्डी स्वस्थ है। ऐसी कई स्वास्थ्य समस्याएं हैं, जिनकी वजह से रीढ़ की हड्डी सामान्य से अधिक झुक जाती है। आज 'वर्ल्ड स्पाइन डे' के मौके पर हम बात करेंगे कि रीढ़ की हड्डी को सीधा रखने के लिए कौन-से योगासन फायदेमंद साबित हो सकते हैं। 

वीरभद्रासन-1 

  • अधो मुख श्वानासन की मुद्रा में आ जाएं यानी दोनों पैर और हाथ के पंजे जमीन पर और कूल्हे ऊपर छत की ओर रहेंगे। इस दौरान हाथ के पंजे से लेकर कूल्हे तक और फिर कूल्हे से लेकर पैर के पंजे तक शरीर एकदम सीधा रहना चाहिए। इस दौरान हाथों की उंगलियां खुली रखें।
  • अब अपने किसी एक पैर के पंजे को दोनों हाथो के पंजे के बीच में रखें, जबकि दूसरे पैर की अवस्था में कोई बदलाव नहीं करना है।
  • सावधानी से कूल्हे के ऊपर के शरीर को सीधा कर लें, ध्यान रहे, रीढ़ की हड्डी को एकदम सीधा और दोनों हाथों को ढीला रहने दें।
  • जिस पैर को आपने आगे किया था (मान लीजिए बायां पैर) उसे घुटने पर से 90 डिग्री के बराबर मोड़ लें। आगे का पैर और पीछे का पैर एक लाइन में रखिए।
  • अब दोनों हाथ के पंजों को छत की ओर सीधे उठाएं, आप दोनों हथेलियों को आपस में चिपका सकते हैं लेकिन उंगलियों को खुला (फैलाकर) रखना है।
  • यदि बायां पैर आगे किया है तो बाएं हाथ को पीठ के पीछे से घुमाकर दाएं पैर की जांघ के पिछले हिस्से को पकड़ें, इस दौरान दूसरा हाथ ऊपर सीधा ही रहना चाहिए।
  • जांघ के पीछे के हिस्से को जितनी नीचे से पकड़ सकें उतना अच्छा है। अब जांघ को और नीचे से पकड़ने की कोशिश करते समय ऊपर छत की ओर देखें। 
  • यही मुद्रा अब दूसरे पैर को आगे की तरफ करके पूरा करिए।  

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मार्जरासन

  • मार्जरासन में जमीन पर अपनी दोनों हथेलियों और घुटनों के बल हो जाएं (पंजे पीछे की तरफ और हाथ एकदम सीधे होने चाहिए)।
  • अब धीमे-धीमे सांस को छोड़ते हुए सिर को छाती की तरफ झुकाएं और पीठ को छत की ओर अर्ध गोलाकार अवस्था में लाएं। इससे पीठ में खिंचाव आएगा। 
  • अब इसके विपरीत करें, यानी सांस लेते हुए सिर को छत की तरफ ले जाएं और पीठ को अंदर यानी जमीन की तरफ अर्ध गोलाकार अवस्था में लाएं। 
  • इसे पांच बार दोहराएं, शुरुआत में 2-3 मिनट से ज्यादा ना करें। 

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भुजंगासन

  • भुजंगासन शुरू करने के लिए पेट के बल लेट जाएं। पैरों के तलवे छत की तरफ होने चाहिए।
  • हथेलियां छाती के समीप रखें, अपनी छाती को धीरे -धीरे उठाएं, इस मुद्रा में आपके हाथ पूरी तरह सीधे नहीं किए जाते हैं।  
  • इस दौरान ध्यान रहे कि सिर से लेकर पेट के निचले हिस्से को हवा में उठाना है जबकि कमर से नीचे का हिस्सा जमीन पर ही रहना चाहिए। 
  • पैरों को उंगलियों के बल ही टिका रहने दें। पीठ जितनी आराम से मोड़ सकें, उतनी ही मोड़ें। 
  • कुल मिलाकर पांच बार सांस अंदर लें और बाहर छोड़ें ताकि आप आसन में 30 से 60 सेकेंड तक रह सकें। 

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अधो मुख श्वानासन

  • पेट के बल लेट जाएं और चेहरा नीचे जमीन की तरफ रखें। 
  • अब अपनी दोनों हथेलियों और घुटनों के बल हो जाएं, इस दौरान पीठ में झुकाव (कर्व) नहीं होना चाहिए।
  • अब कूल्हे को धीरे से छत की ओर उठाएं और इस दौरान पैर के दोनों पंजों को पीछे ले जाएं। संभव हो सके तो पैर के तलवे जमीन पर रखें। 
  • इस मुद्रा में टांग के पिछले हिस्से में खिंचाव महसूस होगा।
  • हाथ और पीठ को सीधा रहने दें और इस दौरान हाथों के पंजों की उंगलियों को फैलाकर रखें।
  • अब कूल्हों को धीरे से एड़ियों पर रखें, इस दौरान छाती जांघों के समीप और चेहरा नीचे की तरफ रहता है। हो सके तो नजरें अपनी नाभि पर रखें। 
  • इस मुद्रा में अब कंधों पर भी खिंचाव महसूस होगा।
  • कुल मिलाकर पांच बार सांस अंदर लें और बाहर छोड़ें, ताकि आप आसन में 30 से 60 सेकेंड तक रह सकें।

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धनुरासन

  • पेट के बल लेट जाएं।
  • दोनो पैरों को घुटने पर से इतना मोड़ लें कि एड़ियां कूल्हे को छू पाएं। इस दौरान दोनों हाथों से पंजो को पकड़ कर रखना है।
  • जितना हो सके आप अपनी जांघों और छाती को ऊपर उठाएं, लेकिन पंजों को पकड़कर ही रखें।
  • ऐसा करने से आपका सिर और छाती दोनों ऊपर की ओर उठ जाएंगे। 
  • इस मुद्रा को 30 से 60 सेकेंड तक के लिए करें। 
  • प्रारंभिक स्थिति में आने के लिए सारे स्टेप विपरीत क्रम में करें।

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