सिस्टमिक ल्यूपस एरिथेमाटोसस (एसएलई) - Systemic Lupus Erythematosus in Hindi

Dr. Anurag Shahi (AIIMS)MBBS,MD

November 01, 2020

November 04, 2020

सिस्टमिक ल्यूपस एरिथेमाटोसस
सिस्टमिक ल्यूपस एरिथेमाटोसस

सामान्य रूप से हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली खतरनाक संक्रमण और बैक्टीरिया से मुकाबला करके शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करती है। सिस्टमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस (एसएलई) के मामले में इसका उल्टा है। एसएलई एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसका मतलब है कि इसमें प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर के ही ऊतकों पर हमला कर देती है। इसके कारण प्रभावित अंगों में सूजन और ऊतकों को क्षति हो सकती है। यह बीमारी जोड़ों, त्वचा, मस्तिष्क, फेफड़े, गुर्दे और रक्त वाहिकाओं को प्रभावित कर सकती है। वैसे तो इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है हालांकि, जीवनशैली में परिवर्तन और कुछ चिकित्सकीय उपायों को प्रयोग में लाकर एसएलई को नियंत्रित जरूर किया जा सकता है।

एसएलई, ल्यूपस बीमारी का सबसे आम प्रकार है। यह एक क्रोनिक बीमारी है, ज्यादातर लोगों को अगर समय पर उपचार प्राप्त हो जाए तो वह सामान्य जीवन जी सकते हैं। एसएलई के 90 फीसदी मामलों में महिलाएं इससे प्रभावित होती हैं। एसएलई बीमारी का असर लोगों में हल्के से गंभीर स्तर का हो सकता है। कुछ लोगों में यह स्थिति जानलेवा भी हो सकती है।

इस लेख में हम सिस्टमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस के लक्षण, कारण और इसके इलाज के बारे में जानेंगे।

सिस्टमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस के लक्षण- Systemic lupus erythematosus symptoms in Hindi

एसएलई वाले अलग-अलग लोगों में इसके लक्षण भी भिन्न हो सकते हैं। कई बार यह लक्षण समय के साथ बदलते भी हैं। सामान्य रूप से सिस्टमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस में निम्न लक्षण नजर आ सकते हैं।

इसके अलावा कुछ लोगों को सूर्य के प्रति संवेदनशीलता, मुंह का अल्सर, गठिया, फेफड़ों की समस्याएं, हृदय की समस्याएं, गुर्दे की समस्याएं, दौरे पड़ना, मनोविकार, तथा रक्त कोशिका और प्रतिरक्षा संबंधी असामान्यताएं हो सकती हैं।

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सिस्टमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस का कारण - Systemic lupus erythematosus causes in Hindi

सिस्टमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस किन कारणों से होता है यह स्पष्ट नहीं है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि कुछ कारक इस बीमारी से जुड़े हुए हो सकते हैं।

आनुवंशिक

यह बीमारी किसी निश्चित जीन से जुड़ी नहीं है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि ल्यूपस बीमारी से ग्रसित लोगों के परिवार के लोग ऑटोइम्यून बीमारियों से ग्रसित होते हैं।

वातावरण

कई प्रकार की पर्यावरणीय स्थितियां भी ट्रिगर में शामिल हो सकती हैं :

  • पराबैंगनी किरणें
  • कुछ दवाइयों का सेवन
  • वायरस
  • शारीरिक या भावनात्मक तनाव
  • चोट

लिंग और हार्मोन

पुरुषों की तुलना में महिलाएं एसएलई से ज्यादा प्रभावित होती हैं। मासिक धर्म और गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को एसएलई का खतरा अधिक रहता है। इन दोनों स्थितियों के आधार पर विशेषज्ञों का मानना है कि महिलाओं में पाया जाने वाला एस्ट्रोजन हार्मोन, एसएलई को विकसित कर सकता है। हालांकि, इसकी पुष्टि के लिए अभी और शोध की आवश्यकता है।

सिस्टमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस का निदान - Diagnosis of Systemic lupus erythematosus in Hindi

सिस्टमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस की पुष्टि और निदान के लिए डॉक्टर कुछ फिजिकल टेस्ट कर सकते हैं। जैसे

  • सूरज की रोशनी के प्रति संवेदनशीलता के कारण त्वचा पर मौजूद चकत्ते
  • म्यूकस मेंब्रेन अल्सर, यह अक्सर मुंह या नाक में मौजूद हो सकता है
  • गठिया के अलावा हाथ, पैर, घुटने और कलाई के जोड़ों में सूजन
  • बालों का झड़ना और पतला होना
  • हृदय या फेफड़ों से जुड़ी हुई स्थितियां जैसे मर्मर, रब्स या दिल की धड़कनों का अनियमित होना

आवश्यकतानुसार आपको रुमेटोलॉजिस्ट के पास भी भेजा जा सकता है। ये डॉक्टर जोड़ों, सॉफ्ट टिशू डिसऑर्डर और ऑटोइम्यून बीमारियों के विशेषज्ञ होते हैं। वैसे तो सिस्टमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस की पुष्टि के लिए कोई विशिष्ट परीक्षण उपलब्ध नहीं है। हालांकि कुछ निम्न प्रकार के परीक्षणों की मदद से स्थिति को समझने में आसानी हो सकती है।

सिस्टमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस का इलाज - Treatment of Systemic lupus erythematosus in Hindi

सिस्टमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस का कोई विशिष्ट इलाज नहीं है। इलाज का लक्ष्य लक्षणों को नियंत्रित करना होता है। लोगों में बीमारी की गंभीरता और प्रभावित अंगों के आधार पर इसके इलाज भी भिन्न हो सकते हैं। सामान्य रूप से इलाज की निम्न प्रक्रियाओं को प्रयोग में लाया जाता है। 

  • जोड़ों के दर्द और जकड़न को कम करने के लिए एंटीइंफ्लामेटरी दवाएं
  • चकत्तों को खत्म करने के लिए स्टेरॉयड युक्त क्रीम
  • प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को कम करने के लिए कार्टिकोस्टेरॉयड
  • त्वचा और जोड़ों की समस्याओं के लिए दवाएं

इलाज के विभिन्न माध्यमों के अलावा जीवनशैली में बदलाव करके भी लाभ प्राप्त किया जा सकता है। इस बारे में डॉक्टर से एक बार सलाह जरूर ले लें। खान-पान में परहेज और मानसिक तनाव को कम करके बीमारी को ट्र्रिगर होने से रोका जा सकता है। चूंकि स्टेरॉयड हड्डियों को पतला कर सकता है ऐसे में आपको ऑस्टियोपोरोसिस के लिए स्क्रीनिंग की आवश्यकता हो सकती है

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