नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 से होने वाले इंफेक्शन कोविड-19 ने दुनियाभर के देशों को अपनी चपेट में ले रखा है। 14 अप्रैल 2020 के आंकड़ों की मानें तो अब तक 19 लाख से ज्यादा लोग इस बीमारी से संक्रमित हो चुके हैं और करीब 1 लाख 20 हजार लोगों की मौत भी हो चुकी है। डॉक्टरों के साथ-साथ दुनियाभर के वैज्ञानिक भी इस बेहद संक्रामक बीमारी का इलाज खोजने के लिए दिन-रात जुटे हुए हैं। लोगों में मौजूद इस वायरस को निष्क्रिय करने के लिए कई तरह का शोध किया जा रहा है। वैज्ञानिक नई दवाइयां और वैक्सीन खोजने में जुटे हैं ताकि कोविड-19 इंफेक्शन का इलाज किया जा सके।

इन सभी नए शोधों के बीच वैज्ञानिक इस बात की भी कोशिश कर रहे हैं कि मौजूदा समय में अलग-अलग बीमारियों के लिए जो दवाएं पहले से मौजूद हैं, उनका इस्तेमाल कर किसी तरह कोविड-19 का इलाज किया जाए। इस आर्टिकल में हम आपको ऐसी ही दवाइयों के बारे में बताएंगे जिनका इस्तेमाल इस उम्मीद में किया जा रहा है कि इनसे कोविड-19 इंफेक्शन का इलाज हो पाएगा।

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  1. कोविड-19 इंफेक्शन के लिए इबोला की दवा रेम्डेसिविर का इस्तेमाल
  2. कोविड-19 के लिए रुमेटाइड आर्थराइटिस की दवा ओलुमिएंट
  3. कोविड-19 इंफेक्शन के लिए एंटी-पैरासिटिक दवा आइवरमेक्टिन
  4. जापानी फ्लू की दवा से कोविड-19 इंफेक्शन का इलाज
  5. कोविड-19: मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का इस्तेमाल
  6. कोविड-19 इंफेक्शन के लिए टीशू प्लाज्मिनोजेन ऐक्टिवेटर (टीपीए)
अलग-अलग बीमारियों के लिए मौजूद इन दवाइयों से खोजा जा रहा कोविड-19 का इलाज के डॉक्टर

इबोला का प्रकोप जब फैला था, उस वक्त रेम्डेसिविर दवा को गिलिड साइंसेज नाम की कंपनी ने विकसित किया था लेकिन इस दवा का इबोला वायरस पर कोई असर नहीं हुआ। बाद में साल 2017 में वैज्ञानिकों ने इसी दवा के असर का परीक्षण दूसरे कोरोना वायरस संक्रमणों के खिलाफ किया। यह रिसर्च लैब में टेस्ट ट्यूब में और रीसस मकाऊ बंदरों पर की गई थी जिन्हें mers-cov इंफेक्शन से संक्रमित किया गया था। रिसर्च में यह बात साबित हुई कि रेम्डेसिविर का इस्तेमाल करने से यह दवा आरएनए पॉलिमर्स एन्जाइम में रुकावट डालती है जिससे वायरस का रेप्लिकेशन यानी प्रतिकृति नहीं बन पाती और वायरस को बढ़ने से रोका जा सकता है।

शोध के बाद वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला कि रेम्डेसिविर दवा में sars और mers जैसे वायरस को रोकने की क्षमता है। कोविड-19 सार्स-सीओवी-2 वायरस की वजह से होता है और यह वायरस उसी परिवार का हिस्सा है जिसका हिस्सा sars और mers हैं। प्रीक्लीनिकल शोध में यह बात सामने आयी कि रेम्डेसिविर दवा कोरोना वायरस इंफेक्शन से बचाने और इसका इलाज करने में असरदार साबित हो सकती है। इस दवा के लिए इंसानों पर ट्रायल अप्रैल 2020 के शुरुआती दिनों में हो चुका है।

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रुमेटाइड आर्थराइटिस के इलाज में कई दवाइयों जैसे- बैरिसिटिनिब, फेड्राटिनिब, रुक्सोलिटिनिब और टोसिलिजुमाब का इस्तेमाल होता है। द लैन्सेट नाम की पत्रिका में हाल ही में प्रकाशित एक शोध में वैज्ञानिकों ने पाया कि दवाइयों के कॉम्बिनेशन जैसे- बैरिसिटिनिब के साथ एंटी-वायरल दवाइयां जैसे- लोपिनेविर, रिटोनेविर या रेम्डेसिविर का इस्तेमाल किया जाए तो कोविड-19 वायरस को खत्म किया जा सकता है। इसे अब तक मरीजों पर इस्तेमाल नहीं किया गया है लेकिन यह कॉम्बिनेशन अभी क्लीनिकल टेस्टिंग फेज में है।

एंटी-रुमेटाइड की एक और दवा टोसिलिजुमाब का भी वैज्ञानिक इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि कोविड-19 के लक्षणों का इलाज किया जा सके। चीन में हुए कोविड-19 के एक मामले में 21 चीनी मरीज जो गंभीर कोविड-19 निमोनिया से पीड़ित थे उन्हें टोसिलिजुमाब दवा दी गई जिसके बाद उनके बायोमार्कर्स में सुधार देखने को मिला था।

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टोसिलिजुमाब ह्यूम्नाइज्ड IgG1 मोनोक्लोनल एंटीबॉडी है जो शरीर के इम्यून सिस्टम द्वारा उत्पन्न किए गए एंटीबॉडीज की नकल करता है ताकि शरीर में प्रवेश करने वाले उन दूषित कोशिकाओं से लड़ा जा सके। टोसिलिजुमाब खुद को IL-6 रिसेप्टर से बांध लेता है जो शरीर में खुजली-जलन पैदा करता है और उसके बाद इसे निष्क्रिय कर देता है। टोसिलिजुमाब फिलहाल अंडर ट्रायल है जिसे tocivid-19 नाम दिया गया है। कोविड-19 निमोनिया के इलाज में टोसिलिजुमाब कितनी असरदार और सुरक्षित है इस बात की जांच की जाएगी।

मोनाश बायोमेडिसिन डिस्कवरी इंस्टिट्यूट (बीडीआई) और पीटर डोहर्टी इंस्टिट्यूट ऑफ इंफेक्शन एंड इम्यूनिटी में हाल ही में हुए एक शोध में यह बात साबित हुई कि आइवरमेक्टिन नाम की प्रभावकारी एंटी-पैरासिटिक दवा में कोविड-19 वायरस को महज 48 घंटे के अंदर ही मारने की पूरी क्षमता है। आइवरमेक्टिन एंटी-पैरासिटिक दवा है जिसका इस्तेमाल सिर में होने वाली जूं और आंत में होने वाले कीड़ों के इलाज में किया जाता है। यूनिवर्सिटी ऑफ मेल्बर्न और रॉयल मेल्बर्न अस्पताल के मिले-जुले इस वेंचर में यह बात साबित हुई कि जब आइवरमेक्टिन दवा को लैब में टेस्ट किया गया तो इस दवा ने महज 48 घंटे के अंदर ही कोशिका में मौजूद सार्स-सीओवी-2 वायरस के विकास पर रोक लगा दी।

इस शोध की हेड डॉ काइली वैगस्टाफ ने बताया कि इस दवा ने महज 48 घंटे के अंदर ही सार्स-सीओवी-2 वायरस के सभी आरएनए को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया। इससे पहले भी डेंगू, इन्फ्लूएंजा, जीका वायरस और एचआईवी जैसे वायरस पर भी आइवरमेक्टिन दवा लैब में बेहद असरदार साबित हो चुकी है। इस दवा को अब तक इंसानों पर ट्रायल नहीं किया गया है और ये अब तक प्रीक्लीनिकल फेज में है।

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वैज्ञानिक इस वक्त हर एक दवा की जांच कर रहे हैं यह देखने के लिए कौन सी दवा इस बेहद संक्रामक सार्स-सीओवी-2 वायरस के खिलाफ असरदार साबित हो सकती है। इसी क्रम में चीन के वैज्ञानिकों ने जापानी फ्लू में इस्तेमाल होने वाली दवा फैविपिराविर का इस्तेमाल कोविड-19 इंफेक्शन से संक्रमित मरीजों पर किया। फैविपिरिविर नाम की दवा को जापानी फर्मा कंपनी फुजीफिल्म टोयामा केमिकल ने इन्फ्लूएंजा के इलाज के लिए विकसित किया था। इसके बाद इस दवा को फरवरी 2020 में कोविड-19 इंफेक्शन के इलाज के लिए एक्सपेरिमेंट्ल ट्रीटमेंट के तौर पर मंजूरी दी गई।

चीन के विज्ञान और तकनीकी मंत्रालय के मुताबिक, 17 मार्च 2020 को यह दवा कोविड-19 के माइल्ड से लेकर मॉडरेट मामलों तक के इलाज में असरदार साबित हुई। इस दवा का इस्तेमाल कम से कम 340 संक्रमित मरीजों पर किया जा चुका है और इस दौरान यह पूरी तरह से सेफ और असरदार रही। डॉक्टरों की मानें तो इस दवा ने वायरस द्वारा अपनी प्रतिकृति बनाने की प्रक्रिया को रोक दिया, साथ ही फेफड़ों की स्थिति में भी सुधार हुआ जिसकी पुष्टि एक्स-रे से भी हुई।

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कोविड-19 वायरस के खिलाफ असरदार दवा खोजने के क्रम में वैज्ञानिकों ने मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की भी लैब में और इन-विवो स्टडीज में जांच की। प्रीक्लीनिकल आंकड़ों की मानें तो हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन कोविड-19 इंफेक्शन को रोकने में असरदार है। मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल होने वाली पहली दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन है। यह दवा न सिर्फ एंटी-मलेरिया दवा है बल्कि यह डिजीज-मॉडिफाइंग एंटी-रुमेटाइड ड्रग (dmard) भी है। आर्थराइटिस यानी गठिया के मरीजों में नियमित रूप से होने वाले दर्द और सूजन को भी कम करने में मदद करती है ये दवा। इस दवा में इम्यूनोसप्रेसेंट प्रॉपर्टीज पाई जाती है और इसलिए इस दवा का इस्तेमाल ऑटोइम्यून बीमारियों जैसे- ल्यूपस और रुमेटाइड आर्थराइटिस में भी किया जाता है।

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भारत के स्वास्थ्य एंव परिवार कल्याण मंत्रालय ने डॉक्टरों को इजाजत दी है कि वे रोगनिरोधी दवा के तौर पर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा प्रिस्क्राइब कर सकते हैं। इसे सिर्फ उन्हीं लोगों को दिया जाना चाहिए जो कोविड-19 पॉजिटिव मरीजों के सीधे संपर्क में आते हों और जिन्हें यह बीमारी होने का खतरा सबसे अधिक है जैसे- स्वास्थ्यसेवा से जुड़े कर्मचारी।

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चीन और इटली में कोविड-19 के गंभीर लक्षणों की वजह से जिन मरीजों की मौत हुई उनमें से कई ऐसे थे जिनके फेफड़ों में खून का थक्का जम गया था और इस वजह से उन्हें पल्मोनरी एम्बोलिज्म हो गया। रेस्पिरेटरी फेलियर यानी श्वसन तंत्र के काम न करने का एक बहुत बड़ा कारण खून का थक्का जमना है क्योंकि ऐसा होने पर शरीर के खून में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है।

ऐसे में इस क्लॉट यानी थक्का जमने की समस्या के इलाज के तौर पर वैज्ञानिक टीशू प्लाज्मिनोजेन ऐक्टिवेटर (टीपीए) का इस्तेमाल करने के बारे में विचार कर रहे हैं। टीपीए एक तरह का प्रोटीन है जो खून के थक्का जमने पर उसे तोड़ने में मदद करता है। वैसे लोग जिन्हें हार्ट अटैक  या स्ट्रोक हो चुका है उन लोगों में इसका खासतौर पर इस्तेमाल होता है क्योंकि टीपीए ऐसे मरीजों के हृदय या मस्तिष्क में खून का थक्का जमने से रोकता है।

अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने वैज्ञानिकों को इजाजत दी है कि वे सीधे इस दवा का एक्सपेरिमेंटल क्लीनिकल ट्रायल शुरू कर दें ताकि कोविड-19 के मरीजों के लिए यह दवा कितनी असरदार है इसका पता चल सके।

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उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें अलग-अलग बीमारियों के लिए मौजूद इन दवाइयों से खोजा जा रहा कोविड-19 का इलाज है

संदर्भ

  1. Cascella M, Rajnik M, Cuomo A, et al. Features, Evaluation and Treatment Coronavirus (COVID-19) [Updated 2020 Mar 20]. In: StatPearls [Internet].
  2. The Ministry of Health and Family Welfare. Govt. of India. Advisory on the use of hydroxy-chloroquine as prophylaxis for SARS-CoV-2 infection. [Internet]
  3. The Ministry of Health and Family Welfare. Govt. of India. MINISTRY OF HEALTH AND FAMILY WELFARE (Department of Health and Family Welfare) NOTIFICATION. [Internet]
  4. Science Direct (Elsevier) [Internet]; COVID-19: combining antiviral and anti-inflammatory treatments
  5. Sallard, Erwan et al. Type 1 interferons as a potential treatment against COVID-19. Antiviral research, vol. 178 104791. 7 Apr. 2020.
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