हर व्यक्ति अपने व परिवार के लिए स्वास्थ्य बीमा सिर्फ इसलिए खरीदता है, ताकि मेडिकल इमरजेंसी जैसी परेशानी की घड़ी में वह बिना पैसे की चिंता किए अपना या परिवार के किसी सदस्य का इलाज करा सके। कंपनी का भी यह दायित्व होता है कि अपने ग्राहक की जल्द से जल्द वित्तीय रूप मदद की जाए। जब पॉलिसी धारक को कोई मेडिकल इमरजेंसी होती है, तो वह अपनी बीमाकर्ता कंपनी में क्लेम करता है और कंपनी उसे मेडिकल खर्च के लिए एक निश्चित राशि देती है। इस प्रोसेस को क्लेम सेटलमेंट कहा जाता है।

हेल्थ इन्शुरन्स प्लान में क्लेम सेटलमेंट बहुत ही अहम चीज है, क्योंकि वास्तव में यही वह प्रोसेस है, जिसके लिए एक पॉलिसीधारक प्रीमियम भरता है। अधिकतर लोग स्वास्थ्य बीमा योजना खरीदने से पहले इन चीजों के बारे में पढ़ते नहीं हैं, जिस कारण से क्लेम रिजेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। इस लेख में हम क्लेम सेटलमेंट क्या है, क्लेम सेटलमेंट के लिए किन दस्तावेजों की आवश्यकता पड़ती है और क्लेम एसेसमेंट क्या है आदि के बारे में जानेंगे।

(और पढ़ें - हेल्थ इन्शुरन्स कंपनी क्लेम न दे तो क्या करें)

  1. क्लेम सेटलमेंट क्या है - What is Claim Settlement in Hindi
  2. हेल्थ इन्शुरन्स में क्लेम सेटलमेंट कितने प्रकार का होता है - What are the types of Claim Settlement in Health Insurance in Hindi
  3. हेल्थ इन्शुरन्स में क्लेम सेटलमेंट के लिए क्या दस्तावेज चाहिए होते हैं - Documents required for claim settlement in Health insurance in Hindi
  4. स्वास्थ्य बीमा में क्लेम एसेसमेंट क्या है - What is Claim Assessment in Health Insurance in Hindi

क्लेम सेटलमेंट किसी इन्शुरन्स कंपनी द्वारा अपने ग्राहक (बीमाकर्ता) को दी जाने वाली सबसे महत्वपूर्ण सेवा है। यदि सरल भाषा में कहें तो जब एक बीमाधारक व्यक्ति को कोई मेडिकल इमरजेंसी होती है, तो वह कंपनी में क्लेम करता है। इसके बाद जब कंपनी क्लेम रिकवेस्ट स्वीकार करती है, तो क्लेम सेटलमेंट के रूप में उसे उसके इलाज का खर्च दे दिया जाता है। क्लेम को जल्द से जल्द सेटल करना बीमाकर्ता कंपनी का दायित्व होता है।

बीमाधारक को क्लेम फॉर्म भरना होगा और कंपनी के सलाहकार से संपर्क करना होगा, जिससे आपने पॉलिसी को खरीदा है। क्लेम रिकवेस्ट करते समय आपको बीमाधारक की बीमारी से संबंधित सभी दस्तावेज कंपनी में जमा कराने पड़ते हैं। बीमाकर्ता कंपनी इन सभी दस्तावेजों की जांच करती है, जिस प्रोसेस को क्लेम एसेसमेंट कहा जाता है। क्लेम एसेमेंट के बाद ही सेटलमेंट किया जाता है। क्लेम सेटलमेंट आमतौर पर 7 दिन के भीतर हो जाता है। हालांकि, यदि आपकी बीमाकर्ता कंपनी किसी भी कारण से पूरा या क्लेम राशि का कुछ हिस्सा दे पाने में असमर्थ है, तो आपको लिखित में सूचित किया जाता है।

(और पढ़ें - क्लेम सेटलमेंट के दौरान पॉलिसीधारक की क्या जिम्मेदारियां होती हैं)

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स्वास्थ्य बीमा में क्लेम सेटलमेंट प्रमुख रूप से दो प्रकार का होता है, जिन्हें कैशलेस क्लेम और रिइम्बर्समेंट क्लेम प्रोसेस के नाम से जाना जाता है। इनके बारे में नीचे बताया गया है -

  • कैशलेस क्लेम सेटलमेंट
    यदि आपकी बीमाकर्ता कंपनी कैशलेस क्लेम सेटलमेंट की सुविधा प्रदान करती है, तो ऐसे में कोई मेडिकल इमर्जेंसी होने पर आप अस्पताल में भर्ती होते हैं तो बीमाकर्ता कंपनी सीधे अस्पताल से संपर्क करके आपके मेडिकल बिलों का भुगतान कर देती है। कैशलेस क्लेम सेटलमेंट की सुविधा में बीमाधारक को चिंता करने की आवश्यकता नहीं होती है, यदि उसके पास कैश नहीं हैं तो भी वह अस्पताल जाकर अपना इलाज करा सकता है, इसीलिए उसे कैशलेस क्लेम कहा जाता है।
     
  • रिइम्बर्समेंट क्लेम
    रिइम्बर्समेंट क्लेम प्रोसेस में आपको पूरे मेडिकल बिल का भुगतान अपनी जेब से करना पड़ता है। इलाज होने के बाद जब आप घर आ जाते हैं, तो आपको सभी बिल बीमाकर्ता कंपनी में जमा कराने पड़ते हैं, जिसके बाद कंपनी सभी बिलों की जांच करती है। सभी बिल व दस्तावेज वेरिफाई होने के बाद आपको क्लेम राशि दी जाती है। सरल भाषा में कहें तो रिइम्बर्समेंट क्लेम प्रोसेस में पहले सारा मेडिकल बिल आपको अपनी जेब से ही भरना पड़ता है।

(और पढ़ें - कैशलेस हेल्थ इन्शुरन्स क्या है)

स्वास्थ्य बीमा खरीदने के बाद हर व्यक्ति खुद को थोड़ा सुरक्षित महसूस करता है, क्योंकि उन्हें पता होता है कि हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी उन्हें अप्रत्याशित बीमारियों में होने वाले मेडिकल खर्च से बचाती है। लेकिन यह भी सच है कि सिर्फ क्लेम लेते समय ही हम अपनी पॉलिसी को महत्व देते हैं और खरीदते समय दस्तावेजों को ठीक से पढ़ते तक नहीं हैं। कोई भी हेल्थ इन्शुरन्स प्लान खरीदने से पहले उससे जुड़ी जानकारी अच्छे से जुटा लें और पॉलिसी लेने के बाद फ्रीलुक पीरियड में सभी कागजों को ध्यानपूर्वक पढ़ें। दस्तावेजों को ठीक से पढ़कर ही आप यह पता लगा पाएंगे कि यदि भविष्य में आपको क्लेम करने की आवश्यकता पड़ती है तो कौन से डॉक्यूमेंट्स आपके पास होने जरूरी हैं। नीचे कुछ दस्तावेजों की सूची दी गई है, जिनकी आवश्यकता आपको क्लेम रिकवेस्ट करते समय पड़ सकती है -

  • पूरी जानकारी के साथ भरा हुआ ऑरिजनल क्लेम फॉर्म जिस पर आपके हस्ताक्षर हों
  • वैध प्रमाण पत्र (आपका कोई आइडेंटी कार्ड)
  • डॉक्टर का पर्चा, जिसमें आपकी बीमारी और अस्पताल में भर्ती होने की पूरी जानकारी लिखी हो
  • डॉक्टर द्वारा दिया गया पर्चा, जिसमें दवाएं लेने और टेस्ट कराने की सलाह दी गई हो
  • खरीदी हुई दवाओं के ऑरिजनल बिल (फार्मेसी बिल)
  • एफआईआर रिपोर्ट (एक्सीडेंट के मामले में - यदि उपलब्ध है)
  • पॉलिसी संबंधी सभी डिटेल, जिसमें बीमाधारक का नाम, पता, बीमारी और पॉलिसी नंबर भी लिखा हो
  • एम्बुलेंस की रसीद
  • किसी धोखाधड़ी की आशंका में क्लेम का आकलन करने के लिए कंपनी द्वारा मांगा गया कोई अतिरिक्त दस्तावेज

इसके अलावा कैशलेस क्लेम सेटलमेंट में उपरोक्त के अलावा कुछ अन्य दस्तावेजों की आवश्यकता भी पड़ सकती है, जिनमें निम्न शामिल हैं -

  • प्री-ऑथोराइजेशन फॉर्म को सबमिट करने की आवश्यकता
  • फोटो के साथ एक वैध प्रमाण पत्र
  • वोटर कार्ड, पैन कार्ड, आधार कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस आदि

क्लेम सेटलमेंट के लिए उपरोक्त सभी दस्तावेजों को बीमाकर्ता कंपनी को सौंपना पॉलिसीधारक का दायित्व होता है। यदि वह किसी अन्य या थर्ड पार्टी को डॉक्यूमेंट्स सबमिट करता है या फिर अधूरे दस्तावेज देता है तो क्लेम रिजेक्ट होने का खतरा बढ़ जाता है।

(और पढ़ें - हेल्थ इन्शुरन्स में क्या-क्या कवर होता है)

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यह बीमाकर्ता कंपनी का एक प्रमुख प्रोसेस है, जिसे क्लेम सेटलमेंट से पहले किया जाता है। इस प्रोसेस में क्लेम रिकवेस्ट करने वाले पॉलिसीधारक के दस्तावेजों व अन्य स्थितियों का आकलन किया जाता है। इसमें कंपनी क्लेम रिकवेस्ट करने वाले की बीमारी की गंभीरता का पता लगाती है, जिसके बाद क्लेम राशि को निर्धारित किया जाता है। यदि सरल भाषा में कहा जाए तो क्लेम एसेसमेंट वह प्रोसीजर है, जिसकी मदद से बीमाकर्ता कंपनी यह पता लगाती है कि क्लेम रिकवेस्ट सही है या कोई धोखाधड़ी है।

इसके बाद यह भी प्रश्न उठता है कि क्लेम एसेसमेंट कैसे किया जाता है, तो चलिए इसके बारे में भी जान लेते हैं।

एक पॉलिसीधारक व्यक्ति कोई मेडिकल इमरजेंसी होने पर क्लेम रिकवेस्ट डालता है, तो कंपनी रिकवेस्ट के आधार पर घटना, बीमारी व अन्य स्थितियों को आकलन करती है। यह आकलन बीमाधारक के प्रमाण पत्र, मेडिकल बिल और दवाओं के बिल की जांच करके किया जाता है। इस आकलन में थोड़ा समय लग सकता है, क्योंकि बीमाकर्ता कंपनी को यह सुनिश्चित करना पड़ता है कि क्लेम रिकवेस्ट वास्तविक है और यह कोई फ्रॉड नहीं है।

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