बीते शुक्रवार की सुबह पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली को नई दिल्‍ली के एम्‍स अस्‍पताल में भर्ती किया गया। असल में अरुण जेटली को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी।

66 वर्षीय राजनीतिक नेता जेटली को एंडोक्रोनोलॉजिस्‍ट, कार्डियोलॉजिस्‍ट और नेफ्रोलॉजिस्‍ट की टीम मॉनिटर कर रही है। एम्‍स द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्‍ति के अनुसार इस समय जेटली हीमोडायनेमिकली स्‍टेबल हैं। इसका मतलब है कि डॉक्‍टरों ने जेटली के शरीर में रक्‍त प्रवाह में आ रही दिक्‍कत को दूर कर दिया है। उन्‍हें आईसीयू में भर्ती किया जा चुका है जहां पर उन्‍हें कम से कम दो से तीन दिनों के लिए निगरानी में रखा जाएगा।

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बीजेपी के वरिष्‍ठ नेता को पिछले 15 वर्षों में कई तरह की स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याएं घेर चुकी हैं। वर्ष 2014 में उनकी सफल बेरिएट्रिक सर्जरी हो चुकी है। अक्‍सर बेरिएट्रिक सर्जरी उन लोगों की होती है जिनका वजन बहुत ज्‍यादा होता है और वो आसानी से अपना वजन घटा पाने में असमर्थ होते हैं। जेटली के मामले में लंबे समय से चली आ रही डायबिटीज और हाई बीपी की बीमारी की वजह से उन्‍हें अपना वजन कम करने में दिक्‍कत आ रही थी।

बेरिएट्रिक सर्जरी में पेट के आकार को घटाया जाता है जिससे मरीज मोटापे से जुड़ी कई गंभीर बीमारियों को नियंत्रित एवं इनसे बच सके। आपको बता दें कि मोटापे की वजह से हाई बीपी से लेकर हृदय रोग एवं किडनी फेलियर तक हो सकता है। कभी-कभी सर्जन छोटी आंतों के मोर्फोलॉजी भी बदल देते हैं।

सिर्फ जेटली ही बीजेपी के एकमात्र ऐसे नेता नहीं हैं जिनकी बेरिएट्रिक सर्जरी हुई है बल्कि सड़क परिवहन मंत्री नीतिन गडकरी और भारत के उपराष्‍ट्रपति वेंकैया नायडू की भी वर्ष 2011 एवं 2012 में ये सर्जरी हो चुकी है।

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myUpchar.com की डॉ. शहनाज जाफर का कहना है कि “बेरिएट्रिक सर्जरी कुछ स्थितियों जैसे कि टाइप 2 डायबिटीज, हाई बीपी और हृदय रोग से ग्रस्‍त मरीजों की मदद कर सकती है। हालांकि, इसके कई साइड इफेक्‍ट भी हो सकते हैं जैसे कि संक्रमण, दस्त, पित्ताशय की पथरी, हर्निया और पोषण की कमी आदि। डॉक्‍टर आगे कहती हैं कि बेरिएट्रिक सर्जरी के बाद पोषण की कमी को दूर करने के लिए सप्‍लीमेंट का सेवन करना चाहिए।”

जेटली के मामले में वर्ष 2014 में हुई उनकी बेरिएट्रिक सर्जरी सफल रही थी लेकिन चूंकि उन्हें कई और स्वास्थ्य समस्याएं भी हैं और वो लंबे समय से इनसे जूझ रहे हैं, इसलिए आज उनकी सेहत इतनी कमजोर हो गई है। myUpchar.com के डॉक्‍टर आयुष पांडे का कहना है कि “डायबिटीज से होने वाले सबसे बड़े नुकसान में से एक किडनी फेलियर भी है लेकिन यहां पर आपको और अन्‍य कारणों पर भी ध्‍यान देने की जरूरत है। डायबिटीज, हाइपरटेंशन, किडनी फेलियर और मोटापे जैसी सभी स्थितियों के अपने अलग जोखिम और जटिलताएं होती हैं।”

वर्ष 2018 में जेटली की किडनी ट्रांसप्लांट का ऑप्रेशन हुआ था।

इससे पहले जेटली नरम ऊतक सरकोमा के इलाज के लिए अमेरिका गए थे। ये एक प्रकार का कैंसर है जो मांसपेशियों, टेंडन, फैट, लिंफ, रक्‍त वाहिकाओं और नसों के नरम ऊतकों में पैदा होता है। ये कैंसर शरीर के किसी भी हिस्‍से में पैदा हो सकता है लेकिन ये अधिकतर हाथों, पैरों, छाती और पेट में होता है। खबरों की मानें तो जेटली को जांघों में सरकोमा हुआ था।

रिसर्च की मानें तो लोगों में एक साथ ही कई बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। अब लोगों में घातक बीमारियों एवं स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं का जोखिम काफी बढ़ गया है।

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