समय के साथ मौसम में होने वाला परिवर्तन स्वाभाविक है। यह कई तरह से हमारे पर्यावरण के साथ-साथ हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छा हो सकता है। मतलब गर्मी के मौसम में गर्मी का होना जरूरी है तो सर्दी के मौसम में ठंड का होना, लेकिन मौसम में होने वाला यह बदलाव कई बार आपकी और हमारी सेहत को बिगाड़ सकता है। मतलब गर्मी के मौसम के बाद होने वाली बरसात का लुफ्त अधिकांश लोग उठाते हैं, लेकिन इसके बाद संक्रामक बीमारियों (खांसी-जुकाम) का जोखिम काफी हद तक बढ़ जाता है। विशेषकर छोटे बच्चे और बुजुर्गों में।

वहीं, इसके कुछ समय बाद आने वाली ठंड के साथ हमारे जीवन में कमोवेश यही स्थिति देखी जा सकती है। दिसंबर और उसके बाद जनवरी के महीने में पड़ने वाली सूखी ठंड कई प्रकार से बच्चों और बड़ों दोनों को परेशान करती है। वहीं ठंड के दौरान होने वाली बारिश लोगों की मुश्किलों को और बढ़ा देती है, लेकिन अगर आप ऐसा सोचते हैं कि सर्दी में बारिश के कारण बीमारियों का खतरा दोगुना हो जाएगा तो आप गलत हैं।

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दरअसल सर्दियों के मौसम में होने वाली बारिश को हमारे स्वास्थ्य के लिए एक प्रकार से अमृत कहा जा सकता है, क्योंकि यह बारिश वायरस और फ्लू के जोखिम को बढ़ाती नहीं, बल्कि कुछ हद तक उनसे हमारी सुरक्षा करती है।

बारिश कम करती है बीमारियों का जोखिम
myUpchar से जुड़ी डॉक्टर अर्चना निरूला के मुताबिक सूखी ठंड के दौरान इंफेक्शन और फ्लू के जरिए होने वाली बीमारियों (खांसी-जुकाम) का जोखिम अधिक होता है, क्योंकि सूखी सर्दी के दौरान हवा में नमी का स्तर काफी हद तक कम हो जाता है, जिससे सर्दी-जुकाम के वायरस ज्यादा एक्टिव होकर अधिक संख्या में एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलते हैं, लेकिन इस दौरान जब बारिश होती है तो हवा में नमी का स्तर बढ़ जाता है। इसके कारण वायरस फैलने का जोखिम कम हो जाता है।

सर्दी में बारिश कैसे कम करती है बीमारियों का खतरा
डॉक्टर अर्चना के मुताबिक हवा में नमी अधिक होने से संक्रामक रोग फैलने का खतरा हो जाता है। उदाहरण के तौर पर समझा जाए तो अगर कोई (सर्दी-जुकाम) संक्रमित व्यक्ति छींकता है तो सूखी ठंड के दौरान फ्लू के वायरस हवा में फैल जाते हैं और क्योंकि हवा में नमी कम होती है, इसलिए वायरस को छोटी-छोटी संख्या में तेजी से फैलने में मदद मिलती है।

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इसकी तुलना में जब सर्दी के मौसम में बारिश होती है तो किसी भी संक्रमित व्यक्ति के छींकने या खांसने पर वायरस हवा में फैल तो जाते हैं, मगर हवा में नमी ज्यादा होने की वजह से वह पानी की छोटी-छोटी बूंदों में मिलकर नीचे आ जाते हैं, जिससे बीमारियों के फैलने का खतरा कुछ हद तक कम हो जाता है।

सर्दी के मौसम में नमी कितनी जरूरी?
बीबीसी में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक,अमेरिका के मिनेसोटा में (रोचेस्टर) मायो क्लिनिक से जुड़े टायलर कोएप ने यह अनुमान लगाया। उन्होंने बताया कि बस एक घंटे के लिए एक स्कूल में एक एयर ह्यूमिडिफायर (हवा में नमी पैदा करने वाली मशीन) चलाने से लगभग 30 प्रतिशत वायरस हवा में उड़ सकते हैं, जिससे बीमारियों की रोकथाम में मदद मिल सकती है।

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इस रिपोर्ट के आधार पर देखा जाए तो ठंड के मौसम में होने वाली बारिश को जो लोग कोसते हैं। वह गलत हो सकते हैं, क्योंकि यह बारिश केवल बीमारियों से हमारी सुरक्षा ही नहीं करती, बल्कि रोग रहित रखने में भी यह हमारे लिए काफी सहायक है।

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