राजस्थान के जोधपुर स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में सर्जरी कर अलग किए गए जुड़वां बच्चों में से एक की मौत हो गई है। इससे पहले रविवार को जन्म से आपस में जुड़े दोनों शिशुओं (कन्जॉइन्ड ट्विन्स) को सफलतापूर्वक अलग कर दिया गया था। बाद में एक बच्चे की तबीयत बिगड़ने लगी। खबरों के मुताबिक बच्चे के ब्लड सर्कुलेशन में समस्या थी। डॉक्टरों ने उसे बचाने की काफी कोशिशें कीं, लेकिन आखिरकार बच्चे ने दम तोड़ दिया।

इससे पहले सोमवार को एक रिपोर्ट में बताया गया था कि रविवार को हुई इस सर्जरी में डॉक्टरों को कई घंटे लगे। खबर के मुताबिक एम्स के विभाग प्रमुख डॉक्टर अरविंद सिन्हा ने इसकी जानकारी देते हुए कहा, 'दोनों शिशुओं के सीने और पेट जुड़े हुए थे। दोनों का वजन लगभग तीन किलो था। यानि हरेक बच्चे का वजन करीब डेढ़ किलो था। आमतौर पर इस तरह के ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए तीन से छह महीनों का समय लगता है।'

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हालांकि, इस मामले में डॉक्टरों को तुरंत ऑपरेशन करने का फैसला लेना पड़ा। बीती 21 जनवरी को पैदा हुए दोनों बच्चों का वजन सामान्य से कम था। इसके चलते उन्हें उसी दिन एम्स रेफर कर दिया गया। आपात स्थिति में डॉक्टरों को शिशुओं की सर्जरी करनी पड़ी। उन्होंने बच्चों को 'ए' और 'बी' नाम दिए। रिपोर्ट की मानें तो इनमें से 'बी' की तबीयत ज्यादा खराब थी। हालांकि, वह अभी जीवित है। ऑपरेशन के बाद डॉक्टर सिन्हा ने बताया था कि एक बच्चे के हृदय, फेफड़े और गुर्दे के साथ कुछ समस्याएं थीं। इससे उसके बचने की संभावना काफी कम थी। उन्होंने कहा, 'ऐसी स्थिति में दूसरे बच्चे के जीवन के लिए भी खतरा पैदा हो जाता है। यही वजह थी कि सर्जरी इतनी देर तक चली।'

कैसे जुड़ जाते हैं शिशु?
बच्चों का शारीरिक रूप से जुड़ा होना आश्चर्यजनक नहीं है। यह एक अलग प्रकार की गर्भावस्था का परिणाम होता है। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब प्रजनन के बाद गर्भवती हुई महिला के पेट में बना भ्रूण शुरुआती चरण में ही दो हिस्सों में बंट जाता है। बाद में इसका परिणाम जुड़वां बच्चों के रूप में सामने आता है।

लेकिन यह जरूरी नहीं है कि भ्रूण के दोनों हिस्से पूरी तरह अलग हो जाएं। कभी-कभी अस्तित्व में आए दो भ्रूण एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं। इसी कारण ऐसे बच्चे जन्म के समय शारीरिक रूप से जुड़े पैदा होते हैं। दुर्लभ मामलों में यह शारीरिक जुड़ाव इतना जटिल होता है कि बच्चों को अलग करना मुश्किल हो जाता है।

विशेषज्ञों के मुताबिक यह जुड़ाव अक्सर शरीर के सीने और कूल्हों वाले हिस्सों से होता है। लेकिन कभी-कभी बच्चे सिर से भी जुड़े हुए होते हैं। वहीं, ऐसे मामले भी जानने में आए हैं जब बच्चे शरीर के अंदरूनी हिस्सों से जुड़े पाए गए। मेडिकल विशेषज्ञों की मानें तो प्रति एक लाख नवजात बच्चों में एक या दो बच्चे जुड़े हुए पैदा होते हैं। यहां दिलचस्प तथ्य यह है कि कन्जॉइन्ड ट्विन्स अधिकतर लड़कियां होती हैं।

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मुश्किल है इलाज
आमतौर पर ऐसे बच्चे ज्यादा दिन तक नहीं जी पाते। बहुत कम केस हैं जिनमें बच्चे जीवित बचे, सर्जरी द्वारा सफलतापूर्वक अलग किए गए और उसके बाद जीवित रहे। डॉक्टरों का कहना है कि यह सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि बच्चे शरीर के किस हिस्से से जुड़े हुए हैं। सीने, पीठ या कूल्हों से जुड़े बच्चों को ऑपरेशन कर अलग करना बहुत जटिल नहीं होता। सिर और अंदरूनी अंग से जुड़े बच्चों को अलग करना बेहद कठिन होता है। अगर दोनों बच्चे एक ही ऑर्गन पर निर्भर हैं तो सर्जरी करना असंभव हो जाता है। ऐसी स्थिति में बच्चे पूरा जीवन जुड़े हुए ही बिताते हैं।

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