ग्रीन कॉफी, कॉफी के कच्चे, अप्रसंस्कृत, बगैर भुने बीजों (बीन्स) से तैयार होती है। कॉफी के बीजों को भून देने से इनमें प्राकृतिक रूप से मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण खत्म हो जाते हैं।

लेकिन ग्रीन कॉफी के बीज में ये तत्व बरकरार रहते हैं इसलिए ये स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद माने जाते हैं। तो आइये जानते हैं इसके लाभ के बारे में -

  1. ग्रीन कॉफ़ी के फायदे
  2. ग्रीन कॉफी के नुकसान
  3. ग्रीन कॉफी बनाने की विधि

दिलाए शारीरिक ऊर्जा

वैज्ञानिक अध्ययनों के मुताबिक ग्रीन कॉफी में कुछ तत्व जैव-सक्रिय (bioactivity) होते हैं। ये मस्तिष्क की कई हिस्सों को सक्रिय करते हैं जिससे ऊर्जा, चित्त (मूड), बौद्धिक क्षमता (Cognitive Function) आदि के स्तर बढ़ता है।                                     

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करे वजन कम

वजन बढ़ना, इन दिनों, आम समस्या बनती जा रही है। ग्रीन कॉफी के बीजों (बीन्स) में क्लोरोजेनिक एसिड पाया जाता है जो चयापचय (Metabolism) की प्रक्रिया तेज कर वसा (फैट) को ऊर्जा में तब्दील करता है ताकि शरीर में फैटी एसिड का स्तर बरकरार रहे। इससे शरीर में वसा का जमाव दूर होता है फलस्वरूप वजन कम होता है।

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बचाए डायबिटीज से

ग्रीन कॉफी से टाइप 2 डायबिटीज का खतरा भी कम होता है। ग्रीन कॉफी के बीजों (बीन्स) से निकला अर्क, खून में शर्करा (शुगर) की मात्रा कम करने और वजन कम करने में मदद करता है।

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ग्रीन कॉफी के बीजों में मौजूद क्लोरोजेनिक एसिड, रक्त शर्करा (Blood Sugar) के स्तर को कम करता है जिससे डायबिटीज का खतरा कम होता है। इसलिए ग्रीन कॉफी का नियमित सेवन और विशेष रूप से दिन में दो बार किया जाए तो इससे टाइप 2  डायबिटीज का खतरा बहुत हद तक कम होता है।

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पार्किंसंस रोगियों के लिए फायदेमंद

पार्किंसंस रोग न्यूरोडिजेनरेटिव बीमारी है जिसमें तंत्रिका तंत्र और विशेष तौर पर मस्तिष्क के न्यूरॉन बुरी तरह प्रभावित होते हैं। गौरतलब है कि ग्रीन कॉफी के बीजों (बीन्स) के अर्क में जो एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं उससे पार्किंसंस बीमारी की तकलीफें कम करने में काफी मदद मिलती है।

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रखे लिवर स्वस्थ

ग्रीन कॉफी का सेवन लिवर की समस्या से ग्रस्त लोगों के लिए भी लाभकारी है। ग्रीन कॉफी के बीज (बीन्स) प्राकृतिक रूप से शरीर को टॉक्सिन मुक्त करने का काम करते हैं। ग्रीन कॉफी में मौजूद क्लोरोजेनिक एसिड जैसे एंटीऑक्सीडेंट लिवर से विषाक्त पदार्थों (टॉक्सिन) को बाहर निकालने में मदद करते हैं और लिवर को क्षतिग्रस्त होने के जोखिम से बचाते हैं। यह लिवर को टॉक्सिन, हानिकारक कोलेस्ट्रॉल, अनावश्यक फैट से मुक्त रखने में मदद करता है। नियमित रूप से ग्रीन कॉफी का सेवन शरीर को टॉक्सिन मुक्त करने में मदद करता है। इसके सेवन से लिवर कैंसर कैंसर समेत लिवर की अन्य परेशानियों का भी जोखिम कम होता है। 

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प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए फायदेमंद

ग्रीन कॉफी हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करती है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट शरीर को हर तरह के विषाक्त तत्व (टॉक्सिन) और नुकसानदेह तत्वों को बाहर निकालने में मदद करती है। इसके सेवन से रूखी-बेजान और मुंहासे (पिम्पल्स ) वाली त्वचा से निजात मिलती है।

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रखे ब्लड प्रेशर नियंत्रित

ग्रीन कॉफी बीन्स में शत-प्रतिशत शुद्ध क्लोरोजेनिक एसिड पाया जाता है यानि इसमें एंटीऑक्सीडेंट प्रचुर मात्रा में होता है। ये एंटीऑक्सीडेंट हमारे शरीर को मुक्त मूलक (Free Radical- जो शरीर में खुद भी बनते हैं या फिर तम्बाकू, प्रदूषण आदि से शरीर इनके संपर्क में आता है) के हानिकारक प्रभाव से बचाते हैं। ग्रीन कॉफी में पोटैशियम और सोडियम की मात्रा भी कम होती है इसलिए यह हाई ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रित करने में मदद करती है।

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करे कोलेस्ट्रॉल कम

ग्रीन कॉफी के सेवन से कोलेस्ट्रॉल का स्तर काफी हद तक कम होता है। कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (एलडीएल) नुकसानदेह कोलेस्ट्रॉल कहलाता है। इसका स्तर बढ़े तो हृदय से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। लेकिन ग्रीन कॉफी के सेवन से एलडीएल का स्तर बढ़ने से रोका जा सकता है। इसलिए नियमित रूप से ग्रीन कॉफी का सेवन आपके हृदय और इससे जुड़ी समस्याओं को कम कर सकता है। कुछ अध्ययनों में पाया गया कि नियमित रूप से ग्रीन कॉफी के बीजों के अर्क के सेवन से इन समस्याओं से बचाव होता है।

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रक्त प्रवाह बढ़ाए

उच्च रक्तचाप के कारण स्ट्रोक, हृदय रोग, गुर्दे की विफलता जैसी कई घातक बीमारियां हो सकती है। लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक ग्रीन कॉफी के बीजों में बेहद सक्रिय और शक्तिशाली एस्पिरिन जैसा तत्व पाया जाता जिसका हमारे रक्त कोष्ठकों (Blood Vessels) पर सकारात्मक असर होता है। यह प्लेटलेट को एक जगह जमा होने से रोकने में मदद करता है। इससे धमनियां कठोर नहीं होती हैं और शरीर में रक्त संचार काफी हद तक बेहतर होता है

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होती है त्वचा स्वस्थ

ग्रीन कॉफी के बीजों में विभिन्न किस्म के एंटीऑक्सीडेंट के अलावा राइडिक एसिड, लिनोलेइक एसिड और ओलेइक एसिड और फैटी एसिड पाए जाते हैं। ये त्वचा को नमी प्रदान करने के लिए आवश्यक हैं। इसलिए यदि आप चाहते हैं कि आपकी त्वचा आकर्षक हो तो ग्रीन कॉफी का सेवन आज से ही शुरू कर दें।

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हम सभी जानते है कि कोई भी चीज का अधिक उपयोग हानिकारक होता है उसी तरह अधिक मात्रा में ग्रीन कॉफ़ी से सेवन भी नुकसानदायक होता है।

ग्रीन कॉफ़ी में क्लोरोजेनिक एसिड पाया जाता है जो प्लाज्मा होमोसिस्टीन का कारण बन सकता है। शारीर में प्लाज्मा होमोसिस्टीन बढ़ने से हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए ग्रीन कॉफ़ी का सेवन उचित मात्रा में करना चाहिए।

ग्रीन कॉफ़ी की अधिक मात्रा का सेवन चिंता जेसे रोग को और बत्तर बना सकता है। इसलिए अगर आप चिंता रोग से ग्रस्त है तो ग्रीन कॉफ़ी का सेवन बहुत कम मात्रा में करें।

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इसके अधिक उपयोग से दस्त की समस्या भी हो सकती है।

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ग्रीन कॉफी कैसे बनायें?

सामग्री 

  1. 10 ग्राम ग्रीन कॉफी के बीज
  2. तीन चौथाई कप गर्म पानी (और पढ़ें - गर्म पानी के फायदे)
  3. स्वादनुसार चीनी, शहद या इलायची

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बनाने की विधि

  1. ग्रीन कॉफी के बीज उस तीन चौथाई कप पानी में रात भर भिगो कर रखें।
  2. अगले दिन इस पानी को बीज के साथ उबाल आने के बाद कम आंच पर लगभग 15 मिनट तक रखें और बीच बीच में हिलाते रहें।
  3. फिर इसे लगभग एक घंटे तक ठंढा होने दें और इसे छान लें।
  4. और अब तैयार है, फायदेमंद, जायकेदार ग्रीन कॉफी। अपनी पसंद के मुताबिक इसमें चीनी, शहद या इलायची भी मिला सकते हैं।
    (और पढ़ें - इलायची के फायदे)                

उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें ग्रीन कॉफी है

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