पर्णपाती झाड़ी के तनों पर गुच्छों में उगने वाली काले, नीले या बैंगनी रंग की बैरीज को बड़बेरी या एल्डरबेरी कहते हैं। बैरीज का मीठा-तीखा स्वाद होता है जिस वजह से इन्हें जैम, जैली, पाईज, वाइन और यहां तक कि चाय में इस्तेमाल किया जाता है।
बड़बेरी के दो सबसे सामान्य प्रकार हैं ब्लैक या यूरोपियन एल्डरबेरी और अमेरिकन एल्डरबेरी।
ब्लैक बड़बेरी यूरोप और एशियों एवं अफ्रीफा के कुछ हिस्सों में अपने औषधीयों लाभों के लिए उपयोगी की जाती हैं। अमेरिकन बड़बेरी भी अमेरिका में अपने औषधीय उपयोगों के लिए लोकप्रिय है। दोनों ही बड़बेरी पौधों का एक जैसा ही आकृति विज्ञान और गुण हैं और आमतौर पर दोनों लाभ भी एक जैसे हैं।
क्या आप जानते हैं?
हिप्पोक्रेट्स, जिन्हें आधुनिक चिकित्सा का जनक माना जाता है, वे एल्डरबेरी को इसके औषधीय गुणों के कारण "प्रकृति की प्रमुख औषधि" कहते थे।
बड़बेरी के कुछ तथ्य :
वैज्ञानिक नाम : सैंबेकस निग्रा, एस. कैनेडेंसिस
सामान्य नाम : एल्डरबेरी प्लांट, एल्डर प्लांट, ब्लैक एल्डर, अमेरिकन एल्डर, यूरोपियन एल्डर, ड्वार्फ एल्डर
उपयोगी हिस्से : फल, फूल, पत्तियां और छाल
कहां पाई जाती है और भौगोलिक विवरण : यूरोप, दक्षिण-पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका में ब्लैक एल्डर पाई जाती है जबकि अमेरिकन एल्डर उत्तरी अमेरिका में होती है।
- एल्डरबेरी के पोषक तत्व
- एल्डरबेरी के स्वास्थ्य को लाभ
- जुकाम और फ्लू के लिए एल्डरबेरी और एल्डरफ्लॉवर
- हार्ट और यूरिक एसिड के लिए एल्डरबेरी के फायदे
- डायबिटीज में एल्डरबेरी और एल्डरफ्लॉवर का प्रभाव
- स्किन के लिए एल्डरबेरी
- इम्यून सिस्टम पर एल्डरबेरी के प्रभाव
- मानसिक स्वास्थ्य पर एल्डरबेरी का प्रभाव
- एल्डरबेरी अन्य लाभ
- एल्डरबेरी का इस्तेमाल कैसे करें
- एल्डरबेरी के नुकसान
एल्डरबेरी के पोषक तत्व
एल्डरबेरी में कार्बोहाइड्रेट और फाइबर खूब होता है और फैट कम रहता है। यह एंटीऑक्सीडेंटों, खनिज पदार्थों और विटामिनों से भरपूर होती है। यूएस डिपार्टमेंट ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर एडमिनिस्ट्रेशन के हिसाब से 100 ग्राम कच्ची बड़बेरी में 73 kcal एनर्जी, 79.8 ग्राम पानी, 18.4 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 7 ग्राम फाइबर, 0.5 ग्राम फैट, 0.7 ग्राम प्रोटीन, 280 मिलीग्राम पोटैशियम, 38 मिलीग्राम कैल्शियम होता है।
पोषक तत्व |
प्रति 100 ग्राम के हिसाब से |
एनर्जी |
73 kcal |
पानी |
79.8 ग्राम |
कार्बोहाइड्रेट |
18.4 ग्राम |
फाइबर |
7 ग्राम |
फैट्स |
0.5 ग्राम |
प्रोटीन |
0.7 ग्राम |
खनिज पदार्थ |
|
पोटैशियम |
280 मिलीग्राम |
फास्फोरस |
39 मिलीग्राम |
कैल्शियम |
38 मिलीग्राम |
सोडियम |
6 मिलीग्राम |
मैग्नीशियम |
5 मिलीग्राम |
आयरन |
1.6 मिलीग्राम |
विटामिन |
|
विटामिन ए |
600 आईयू |
विटामिन सी |
36 मिलीग्राम |
फोलेट |
6 µg |
एल्डरबेरी के स्वास्थ्य को लाभ
एल्डरबेरी विटामिन ए और विटामिन सी से भरपूर होती है और यह एंथोसियानिन, टैनिन और एसेंशियल ऑयल का अच्छा स्रोत है। इसलिए इसे बहुत हेल्दी माना जाता है। बड़बेरी काे रेचक (पेट साफ करने वाली) और मूत्रवर्द्धक माना जाता है।
इसके पौधे के तने, पत्तियां, बैरीज और छाल का उपयोग गले में खराश, जुकाम, दस्त, कब्ज और नाक में कफ जमने जैसी समस्याओं के लिए किया जाता रहा है।
यहां हम आपको बड़बेरी के कुछ फायदों के बारे में बता रहे हैं।
जुकाम और फ्लू के लिए एल्डरबेरी और एल्डरफ्लॉवर
जुकाम और फ्लू, दोनों ही श्वसन मार्ग में होने वाले वायरल इंफेक्शन हैं। फ्लू, इंफ्लूएंजा वायरस से होता है जबकि राइनोवायरस और कोरोना वायरस जैसे कई वायरस जुकाम का कारण बनते हैं।
आमतौर पर जुकाम के इलाज के लिए एल्डरबेरी और एल्डरफ्लॉवर को उपयोगी माना जाता है। इटली में हुई एक स्टडी के मुताबिक सैंबुकस नाइग्रा यानि यूरोपियन बड़बेरी में एंटीवायरल प्रभाव देने की शक्ति होती है।
यह स्टडी चूहों पर की गई थी जिसमें पता चला कि बड़बेरी फूलों में मौजूद पॉलीफेनॉल्स स्वस्थ कोशिकाओं में इंफ्लूएंजा ए वायरस एच1एन1 को घुसने से रोक सकता है। पॉलीफेनॉल्स जैविक तत्व होते हैं जो एंटीऑक्सीडेंटों से भरपूर माने जाते हैं।
एक क्लीनिकल स्टडी में फ्लू के लक्षण वाले 60 लोगों को दो ग्रुप में बांटा। इसमें से एक ग्रुप को पांच दिनों तक दिन में चार बार15 मि.ली एल्डरब्रेरी सिरप और दूसरे को प्लेसिबो दिया गया। जिन लोगों ने एल्डरबेरी सिरप लिया था, उन्हें प्लेसिबों लेने वालों की तुलना में चार दिन पहले ही लक्षणों से राहत मिल गई।
हालांकि, जुकाम या फ्लू में बड़बेरी के प्रभावों की पुष्टि के लिए और अध्ययन किए जाने की जरूरत है।
हार्ट और यूरिक एसिड के लिए एल्डरबेरी के फायदे
कई अध्ययनों में सामने आया है कि एल्डरबेरी हार्ट की सेहत में सुधार ला सकती है। पशुओं पर किए गए अध्ययनों में बड़बेरी के पॉलीफेनॉल्स टोटल कोलेस्ट्रॉल और एलडीएल लेवल और ब्लड प्रेशर को कम कर सकते हैं। पॉलीफेनॉल्स के एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव के कारण ऐसा होता है।
एंटीऑक्सीडेंट शरीर को फ्री रेडिकल डैमेज से बचाते हैं। फ्री रेडिकल वो अणु होते हैं जो नॉर्मल मेटाबॉलिज्म से बनते हैं। तनाव, बढ़ती उम्र और कई बीमारियों की वजह से फ्री रेडिकल की संख्या बढ़ती रहती है। इन रेडिकलों के जमने की वजह से ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और ऑर्गन डैमेज होता है।
ऑस्ट्रिया में एक कंट्रोल ट्रायल में 34 लोगों को 14 दिनों तक एल्डरबेरी एंथोसियानिन (जो कि 5 मि.ली बड़बेरी जूस के बराबर है) की 400 मि.ग्रा की गोली दी गई।
इसमें पाया गया कि स्प्रे-ड्राइड एक्स्ट्रैक्ट का सीरम एलडीएल लेवल पर थोड़ा प्रभाव पड़ा। स्टडी के अनुसार ज्यादा और पौष्टिक खुराक से कोलेस्ट्रॉल को कम करने में बेहतर लाभ हो सकता है।
एल्डरबेरी को शरीर में यूरिक एसिड कम करने में भी असरकारी पाया गया है। हाई ब्लड यूरिक एसिड लेवल का संबंध कार्डियोवस्कुलर सिस्टम समेत हाई ब्लड प्रेशर पर हानिकारक प्रभाव पड़ने से है।
डायबिटीज में एल्डरबेरी और एल्डरफ्लॉवर का प्रभाव
यूरोपियन या ब्लैक एल्डर का इस्तेमाल डायबिटीज में किया जाता है। लैब में हुए अध्ययनों में सामने आया है कि एल्डर प्लांट के अर्क से इंसुलिन के रिलीज को बढ़ावा देने में मदद मिलती है।
वहीं पशुओं पर किए गए अध्ययन में सामने आया है कि बड़बेरी का अर्क इंसुलिन रेसिस्टेंस को कम करके ब्लड शुगर लेवल को कम कर सकता है।
इंसुलिन एक हार्मोन है जो शरीर की कोशिकाओं को खून से ग्लूकोज लेकर उससे एनर्जी में तब्दील करने में मदद करता है। हालांकि, इंसुलिन रेसिस्टेंस के मामले में शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति ठीक से प्रतिक्रिया नहीं करती हैं। इससे ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है।
जरनल ऑफ एग्रीकल्चर एंड फूड केमिस्ट्री में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार एल्डरफ्लॉवर में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट अल्फा एमिलेज और अल्फा ग्लूकोसिडेस के प्रभाव को कम कर सकते हैं। ये दो एंजाइम कॉम्प्लेक्स शुगर को ग्लूकोज में तोड़ने में शामिल होते हैं। इसलिए ये ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद कर सकते हैं।
स्किन के लिए एल्डरबेरी
एल्डरफ्लॉवर का अर्क स्किन पर लगाने से रंगत में निखार आता है और झाईयां एवं दाग-धब्बे कम होते हैं। यह घाव, जलने, रैशेज, कीड़े के काटने और एक्ने पर भी उपयोगी है।
हालांकि, इन प्रभावों को साबित करने के लिए कोई वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद नहीं है लेकिन जरनल साइटोटेक्नोलॉजी में प्रकाशित एक स्टडी में सामने आया है कि बड़बेरी के एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव से स्किन फोटोएजिंग और यूवी किरणों की वजह से स्किन को पहुंचे नुकसान को कम किया जा सकता है।
एल्डरबेरी के एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल प्रभाव होते हैं इसलिए यह एक्ने को ठीक करने में मदद कर सकती है जो कि स्किन के छिद्रों में बैक्टीरिया को पैदा कर सकता है। बड़बेरी के एंटी-इंफ्लामेट्री प्रभाव एक्ने के आसपास की सूजन और लालिमा को कम कर सकता है।
एल्डरबेरी से स्किन को होने वाले प्रभावों को लेकर प्रमाण की कमी की वजह से, आप एल्डरबेरी को स्किन डॉक्टर की सलाह से ही इस्तेमाल करें।
इम्यून सिस्टम पर एल्डरबेरी के प्रभाव
विशेषज्ञों का कहना है कि एल्डरबेरी का पौधा स्वस्थ और बीमार, दोनों तरह के लोगों के इम्यून सिस्टम को ठीक कर सकता है। पौधे के भाग का कौन-सा हिस्सा उपयोग हो रहा है, इसके आधार पर पौधा सूजन को कम या ज्यादा कर सकता है।
स्टडी में सामने आया है कि एल्डरबेरी पॉलीफेनॉल्स इंफ्लामेट्री मीडिएटर इंटरल्यूकिन-1 बीटा का लेवल 50 प्रतिशत तक कम कर सकता है। आईएल-1बीटा कई दीर्घकालिक बीमारियों में लंबे समय से चल रही सूजन के लिए जिम्मेदार होता है।
हालांकि, इनमें से ज्यादातर अध्ययन प्रीक्लीनिकल स्टडी थीं और इंसानों पर इस पौधे की प्रभावशीलता को जानने के लिए क्लीनिकल अध्ययन करने की जरूरत है।
मानसिक स्वास्थ्य पर एल्डरबेरी का प्रभाव
रिसर्च का कहना है कि बैरी एंथोसियानिन बौद्धिक और मोटर कार्य में सुधार कर सकता है और बढ़ती उम्र से होने वाले न्यूरोडिजेनरेशन में देरी करता है। इससे अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसी बीमारियों को कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है। एल्डरबेरी का नसों को सुरक्षा देने वाले प्रभाव एंथोसियानिन के एंटी-इंफ्लामेट्री प्रभाव और एंटीऑक्सीडेंट को बढ़ावा देते हैं।
चूहों पर की गई स्टडी में सामने आया है कि एल्डरबेरी अर्क से डिप्रेशन को कम कर सकते हैं। हालांकि, मस्तिष्क पर एल्डरबेरी के प्रभाव को जानने के लिए और अध्ययन किए जाने की जरूरत है।
जरनल यूरोपियन रिव्यू फॉर मेडिकल एंड फार्माकोलॉजिकल साइंसेस में प्रकाशित स्टडी के अनुसार ब्लैकबेरी के फल, छाल और पत्तियों के मेथानोलिक अर्क से न्यूरोट्रांसमीटर GABA के लेवल को बढ़ाकर मिर्गी के दौरों को कम किया जा सकता है। न्यूरोट्रांसमीटर वो केमिकल होते हैं जो मस्तिष्क में सिग्नलों के पारगमन में मदद करते हैं।
एल्डरबेरी अन्य लाभ
एल्डरबेरी पौधे के कुछ अन्य लाभ :
- एल्डरबेरी के रेचक प्रभाव को लेकर ज्यादा प्रमाण मौजूद नहीं हैं, ज्यादातर फलों में कुछ मात्रा में फाइबर होते हैं जो पाचन को बढ़ावा देते हैं और मल को निकालने में मदद करते हैं।
- एल्डरबेरी के पौधे की पत्तियों को पुल्टिस के रूप में लगाने से दर्द से राहत मिलती है।
- चूहों पर किए गए अध्ययन में सामने आया है कि एल्डरबेरी से पेशाब ज्यादा आता है जिससे शरीर से विषाक्त पदार्थ भी बाहर निकलने में मदद मिल सकती है।
- एल्डरबेरी की छाल, पत्तियों को पुल्टिस में कैमोमाइल में मिक्स करके लगाने से जोड़ों में सूजन, जोड़ों में अकड़न और जोड़ों में दर्द से राहत मिलती है।
- एल्डरबेरी एंथोसियानिन के कैंसर की कोशिकाओं पर एंटीप्रोलिफरेटिव और एपोप्टोटिक प्रभाव होते हैं। इसलिए कहा जाता है कि ये कैंसर कोशिकाओं को मारने और इसे बढ़ने से रोकने का काम करती है।
एल्डरबेरी का इस्तेमाल कैसे करें
एल्डरबेरी को पका कर और पाईज, जैम, जैली और वाईन में इस्तेमाल कर सकते हैं। एल्डरबेरी के फूलों की चाय भी बना सकते हैं। यहां हम आपको एल्डरबेरी की चाय बनाने का तरीका बता रहे हैं :
क्या चाहिए :
- 3 से 5 ग्राम एल्डरबेरी के सूखे फूल
- स्वादानुसार चीनी या शहद
- एक कप पानी
कैसे बनाएं :
- पैन में एक कप पानी को उबालें।
- इसमें 10 से 15 मिनट के लिए एल्डरबेरी के फूलों को उबालें।
- अब इसमें छानकर पी लें।
- आप दिन में तीन बार ये चाय पी सकते हैं।
एल्डरबेरी के नुकसान
एल्डरबेरी के कुछ नुकसान भी हो सकते हैं, जैसे कि :
- कच्ची एल्डरबेरी, इसके तने, छाल और पत्तियों में सियानोजेनिक ग्लाइकोसाइड होता है जो विषाक्त हो सकता है। हालांकि, पकाने के बाद बैरीज खा सकते हैं।
- कुछ लोगों को एल्डर प्लांट से एलर्जी होती है।
- एल्डरबेरी में ब्लड शुगर लेवल को कम करने का गुण होता है। अगर आपको हाई ब्लड शुगर है, या आप ब्लड शुगर कम करने की दवा ले रहे हैं, तो एल्डरबेरी न लें या इसे किसी भी रूप में लेने से पहले डॉक्टर से पूछ लें।
- एल्डरबेरी इम्यून सिस्टम को उत्तेजित कर सकता है। अगर आपको ऑटोइम्यून बीमारी है, तो पहले डॉक्टर से बात कर लें।
- प्रेग्नेंसी या ब्रेस्टफीडिंग में एल्डरबेरी न खाएं।
- चूंकि, एल्डरबेरी में कई औषधीय गुण होते हैं जो कई दवाओं खासतौर पर मूत्रवर्द्धकों, रेचक और इम्यूनिटी को दबाने वाली दवाओं के असर को प्रभावित कर सकते हैं।
उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें एल्डरबेरी है
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