यूनिवर्सिटी ऑफ बफ्लो के नए शोध में पाया गया कि जिन प्रतिभागियों ने लाल मांस (रेड मीट), तले हुए व्यंजन, परिष्कृत अनाज (रिफाइंड फूड) और अधिक वसा वाले आहारों का सेवन किया था उनमें आंखों का गंभीर रोग विकसित हुआ। इनमें व्यक्ति के रेटिना और उसके देखने की केंद्र क्षमता प्रभावित पाई गई। इस स्थिति को लेट-स्टेज ऐज-रिलेटेड मैक्युलर डीजनरेशन (एएमडी) कहा जाता है। एएमडी एक अपरिवर्तनीय स्थिति है, जिसमें व्यक्ति के देखने की केंद्रित दृष्टि प्रभावित होती है, ऐसे में व्यक्ति वाहन चलाने और अन्य कई गतिविधियों को करने में असमर्थ हो जाता है।

इस रोग का इलाज बेहद मुश्किल और महंगा होता है, इसके अलावा एएमडी के अन्य प्रकार जियोग्राफिक एट्रोफी का कोई इलाज नहीं है इस स्थिति में भी व्यक्ति अपने देखने की क्षमता खो देता है। इस विषय पर यूनिवर्सिटी ऑफ बफ्लो के डिपार्टमेंट ऑफ एपिडेमियोलॉजी और एनवायरनमेंटल हेल्थ की श्रुति दिघे का कहना है, “हमारी लगातार यही कोशिश रहती है कि हम इस रोग को जल्द ही पकड़ कर इसका इलाज कर सकें, इससे पहले कि यह बढ़कर गंभीर रोग जैसे लेट एएमडी का रूप ले ले।”

इस स्टडी में आहार और एएमडी के बीच के संबंध के बारे में बताया गया है और बताया गया है कि खराब व असंतुलित आहार खाने से लोगों में इस रोग का जोखिम कई गुना बढ़ जाता है। शोधकर्ताओं ने 18 वर्ष के परीक्षण में अर्ली एएमडी और लेट एएमडी के विकसित होने का पता लगाया। दिघे और उनके सहयोगियों ने 66 अलग-अलग प्रकार के व्यंजनों का डेटा इकट्ठा किया जिनका प्रतिभागियों ने 1987 से लेकर 1995 तक स्वयं सेवन किया था। इसमें उन्होंने दो अलग प्रकार के डाइट पैटर्न का पता लगाया, पहला वेस्टर्न यानि अस्वस्थ दूसरा प्रूडेन्ट यानि स्वस्थ।

वेस्टर्न व्यंजनों से भरपूर आहार के सेवन से एएमडी विकसित होने का जोखिम बढ़ सकता है। हालांकि, इसके सेवन से अर्ली एएमडी के कोई लक्षण नहीं देखे गए। इस शोध में विशेषज्ञों ने देखा कि जिन लोगों में शोध के शुरुआत में एएमडी या अर्ली एएमडी के कोई लक्षण नहीं थे और उनके लगातार अस्वस्थ भोजन खाने से 18 वर्ष बाद दृष्टि संबंधित रोग और लेट-स्टेज डिजीज विकसित होने की अधिक आशंका पाई गई।

यूनिवर्सिटी ऑफ बफ्लो में डिपार्टमेंट ऑफ एपिडेमियोलॉजी और एनवायरनमेंटल हेल्थ के एक विशेषज्ञ और सहयोगी एमी मिलैन ने कहा कि हमारे शोध और कार्य से इस बात के अतिरिक्त सबूत मिलते हैं, जिनके अनुसार आहार काफी मायने रखता है। सामान्य लोगों को बेहतर स्वास्थ्य दृष्टिकोण प्रदान करने के लिए हम सलाह देंगे कि यदि कोई व्यक्ति अर्ली एएमडी से ग्रस्त है तो वह खुद को स्वस्थ व लेट एएमडी को विकसित करने से बचने के लिए प्रोसेस्ड मीट, तला हुआ खाना, परिष्कृत अनाज और अधिक वसा वाले डेयरी प्रोडक्टस के सेवन को समय के साथ-साथ बंद कर देना चाहिए।

यह शोध ब्रिटिश जर्नल ऑफ ऑपथैल्मोलॉजी में छापी गई है, जिसका नाम डाइट पैटर्न एंड दी इंसीडेंस ऑफ ऐज-रिलेटेड मैक्युलर डीजनरेशन इन दी आर्टिरीओस्क्लरोसस रिस्क इन कम्युनिटी (एआरआईसी) रखा गया है।

संतुलित आहार खाने से सिर्फ एएमडी जैसे रोग ही नहीं बल्कि इसके कई अन्य स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं। जैसे इससे वजन नियंत्रित रखने में मदद मिलती है, इम्यून सिस्टम मजबूत बनता है, शारीरिक ऊर्जा बढ़ती है और हृदय रोगडायबिटीज जैसी गंभीर बीमारियों का जोखिम भी कम होता है।

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