ताड़ का तेल अत्यंत उपयोगी वनस्पति तेल है जो विभिन्न प्रकार के ताड़ के पेड़ों से प्राप्त होता है। ताड़ का तेल के उत्पादन में उपयोग की जाने वाली मुख्य किस्मों में अफ्रीकी ताड़ का तेल (एलेईस गिनेंसिस - Elaeis guineensis) और अमेरिकन ताड़ का तेल (एलेयस ऑलिफेरा - Elaeis oleifera) हैं। ताड़ का तेल स्वाभाविक रूप से लाल या नारंगी रंग का होता है जो इसमें मौजूद उच्च बीटा कैरोटीन के कारण होता है। इसमें बहुत कम मात्रा में संतृप्त वसा पाया जाता है। इसका उपयोग शरीर में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल बढ़ाने के लिए किया जाता है जो हृदय सम्बंधित समस्या को रोकने में मदद करता है।

ताड़ के तेल का उपयोग आमतौर पर अफ्रीका, दक्षिण पूर्व एशिया और दक्षिण अमेरिका के कुछ देशों में एक खाना पकाने के तेल के रूप में किया जाता है। लेकिन कुछ वर्षों में दुनिया के अन्य हिस्सों में भी इसका उपयोग आहार में बहुत अधिक ट्रांस वसा होने के कारण स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं की वजह से किया जाने लगा है। जो लोग बहुत ज्यादा खराब कोलेस्ट्रॉल वाले आहार का सेवन करते हैं उनके लिए ताड़ के तेल का सेवन बहुत अच्छा होगा। 

ताड़ के तेल से जुड़े कई अन्य स्वास्थ्य लाभ भी हैं तो चलिए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

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ताड़ के तेल में बीटा कैरोटीन पाया जाता है। यही वजह है कि इसका रंग नारंगी या लाल होता है। बीटा-कैरोटीन शरीर में ऊर्जा स्तर में सुधार करने और हार्मोनल संतुलन बढ़ाने के लिए बहुत अच्छा होता है।

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बीटा-कैरोटीन दृष्टि में सुधार करने के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। ताड़ के तेल में बहुत सारे एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं जो हमारे शरीर को क्षति होने से बचाते हैं। ये एंटीऑक्सीडेंट सेलुलर चयापचय के लाभकारी उप-उत्पाद हैं और शरीर को मुक्त कण से बचाते हैं। फ्री रेडिकल्स के कारण कोशिकाओं की क्षति होती है, साथ ही दृष्टि संबंधी समस्याएं भी पैदा हो सकती हैं। ताड़ के तेल का सेवन धब्बेदार अध: पतन (macular degeneration) और मोतियाबिंद की समस्या को होने से रोकता है।

ताड़ के तेल में अच्छा कोलेस्ट्रॉल (HDL) और ख़राब कोलेस्ट्रॉल (LDL) की उच्च मात्रा होती है। फिर भी यह शरीर में एक स्वस्थ संतुलन बना सकता है। ख़राब कोलेस्ट्रॉल (LDL) के उच्च स्तर se धमनियों के जमने (एथिरोस्क्लेरोसिस) की संभावना बढ़ सकती है जिससे स्ट्रोक और दिल के दौरे जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं। शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्वस्थ संतुलन बनाए रखने से यह शरीर को हृदय सम्बंधित समस्या से सुरक्षित रखता है।

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ताड़ के तेल में टोकोफेरोल (Tocopherol) पाया जाता है जो विटामिन ए का एक प्रकार होता हैं और यह एक प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट हैं। यह एंटीऑक्सिडेंट एक शक्तिशाली रक्षात्मक यौगिक है जो मुक्त कणों को निष्क्रिय कर कैंसर को रोकने में मदद करता है। इसलिए ताड़ का तेल कैंसर से लड़ने में मदद करता है। 

गर्भवती महिलाओं और उनके अजन्मे बच्चे में विटामिन की कमी खतरनाक स्थिती पैदा कर सकती है। पाम तेल में विटामिन ए, डी, और ई पाए जाते हैं। इसके सेवन से गर्भवती महिलाओं और उनके बच्चों में इन सभी विटामिन की पूर्ति होती है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को अपने आहार में पाम तेल का उपयोग करना चाहिए।

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यह अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन द्वारा सिफारिश की गई है कि हमे प्रतिदिन अपने आहार के माध्यम से  2,000 कैलोरी और 16 ग्राम संतृप्त वसा के सेवन से अधिक नहीं खाना चाहिए। लेकिन एक बड़े चम्मच ताड़ के तेल में 120 कैलोरी और संतृप्त वसा का 6.7 ग्राम होता है। इसका मतलब है की इन सिर्फ पाम तेल के 2.5 चम्मच में आप की सिफारिश की दैनिक संतृप्त वसा से अधिक होता है। संतृप्त वसा शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाता है और धमनियों में पट्टिका का निर्माण करता है। साथ ही पामटिक एसिड एक टाइप का संतृप्त वसा है जो ताड़ के तेल में मौजूद फैट का सबसे बड़ा घटक है। इसके होने के कारन रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ा सकती है जिसके कारण हृदय संबंधी समस्याएं पैदा होती हैं। इसलिए ताड़ के तेल का अधिक सेवन नुकसानदायक होता है।


ताड़ का तेल उच्च रक्तचाप के खतरे को बढ़ा सकता है। यह न केवल कोलेस्ट्रॉल के स्तर का कारण होता है बल्कि इसे गर्म करने पर यह फ्री रेडिकल्स रिलीज करता है जो रक्त वाहिकाओं को उत्तेजित करते हैं और हाई बीपी की समस्या पैदा करते हैं।

ताड़ के तेल को प्राप्त करना बहुत मुश्किल होता है, जो कि भारी परिष्कृत नहीं किया गया है।
 रिफाइनिंग प्रक्रिया तेल के स्वाभाविक रूप से होने वाले कई पोषक तत्वों को समाप्त करती है और तेल को पचाने में बहुत अधिक मुश्किल होता है।


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें ताड़ का तेल है

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