पूजा-पाठ के दौरान अगरबत्ती का इस्तेमाल तो हममें से हर कोई करता है, पर क्या आपने सोचा कि यह बनती कैसे है? इस लेख में हम ऐसी ही एक जड़ी-बूटी के बारे में जानेंगे जो न सिर्फ अगरबत्ती बनाने में महत्वपूर्ण घटक के रूप में प्रयोग में लाई जाती है, बल्कि यह कई मामलों में स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है। दक्षिण-पूर्व एशिया के क्षेत्रों में बहुतायत में पाई जाने वाली इस औषधि का नाम है-अगरू या अगरकाष्ठ। इसे कई स्थानों पर ईगल वुड के नाम से भी जाना जाता है। जिस प्रकार से आज के समय में लिखने के लिए कागज का इस्तेमाल किया जाता है उसी प्रकार पुराने समय में अगरू के पेड़ की छाल को प्रयोग में लाया जाता था। इसकी छाल से विशेष प्रकार की खुशबू भी आती है, इसीलिए अगरबत्ती बनाने में भी इसको प्रयोग में लाया जाता है।

आयुर्वेद और पारंपरिक चीनी चिकित्सा पद्धति में भी अगरकाष्ठ का जिक्र मिलता है। इसकी पत्तियां पतली और करीब तीन इंच तक लंबी होती हैं। कई संस्कृतियों में इस जड़ी-बूटी का प्रयोग बुरी ऊर्जाओं को दूर करने के लिए भी किया जाता रहा है। आइए अगरकाष्ठ के बारे में विस्तार से जानते हैं।

वानस्पतिक नाम : एक्यूलारिया अगालोचा

सामान्य नाम : अगरकाष्ठ, ईगलवुड

मूल : थिमिलिएसियायई

मूल क्षेत्र और भौगोलिक वितरण : उत्तर-पूर्व भारत, बांग्लादेश, भूटान और दक्षिण-पूर्व एशिया के कुछ हिस्से

उपयोग : कफ और वात दोष के निवारण के लिए जाना जाता है

  1. अगरकाष्ठ के स्वास्थ्य संबंधी लाभ - Agarkasth benefits for health in Hindi
  2. कब्ज में फायदेमंद है अगरकाष्ठ - Agarkasth for constipation in Hindi
  3. आर्थराइटिस के रोगियों के लिए फायदेमंद है अगरू - Agarkasth for arthritis in Hindi
  4. अगरकाष्ठ के उपयोग से पाएं साफ और निखरी त्वचा - Agarkasth for clear skin in Hindi
  5. छाती में जलन और मितली में करें अगरकाष्ठ का सेवन - Agarkasth for heartburn and nausea in Hindi
  6. मानसिक स्वास्थ्य में फायदेमंद है अगरकाष्ठ - Agarkasth for mental health in Hindi
  7. अस्थमा के रोगियों के लिए अगरकाष्ठ है काफी उपयोगी - Agarkasth for asthma in Hindi
  8. पाचन को सुधारने में अगरकाष्ठ का सेवन है फायदेमंद - Agarkasth for digestion in Hindi
  9. शरीर और सांसों की दुर्गंध को दूर करता है अगरकाष्ठ - Agarkasth for body odour and bad breath in Hindi
  10. अगरू का डोज और इसके दुष्प्रभाव - Agarkasth dosage and side effects
अगरकाष्ठ के फायदे और नुकसान के डॉक्टर

जैसा कि उपरोक्त पंक्तियों में बताया गया है कि अगरकाष्ठ का प्रयोग अगरबत्ती बनाने के अलावा कई स्वास्थ्य संबंधी लाभ प्राप्त करने के लिए भी किया जाता है। आइए जानते हैं कि यह औषधि किन मामलों में हमारे लिए लाभकारी हो सकती है।

  • एनालाजेसिक
  • सेडटिव
  • पाचन में सहायक
  • एंटी-माइक्रोबियल
  • कारमिनाटिव
  • कामोत्तेजना बढ़ाने में
  • एस्ट्रिंजेंट
  • एंटी-इंफ्लामेटरी
  • सुगंध के लिए

अगरू की छाल के साथ इसकी पत्तियों का भी प्रयोग कई प्रकार के लाभ प्राप्त करने के लिए किया जाता रहा है। इसकी पत्तियों से बनने वाली चाय को कई समस्याओं के उपचार के तौर पर उपयोग में लाया जाता है। इस प्रजाति के विभिन्न पेड़ों की पत्तियों में हेक्साडेकोनिक एसिड और स्क्वैलीन जैसे यौगिक पाए जाते हैं जो ऐंटिफंगल और एंटीऑक्सीडेंट गुणों के लिए मशहूर हैं। हालांकि, एक शोध से यह भी पता चला है कि इस प्रजाति के एक अन्य पौधे ए. मैलाकेंसिस में बहुत ही मामूली, पर सायटोटॉक्सिक और जीनोटॉक्सिक प्रभावों की मौजूदगी होती है, इसे इंसानों के लिए खतरनाक माना जाता है।

अगरू की पत्तियों के लाभ पर कई शोध किए जा चुके हैं। 'जर्नल ऑफ हर्बल मेडिसिन' में प्रकाशित शोध के अनुसार, अगरवुड  की पत्तियों में 2-(2-फिनाइलेथल) क्रोमोसोमंस, फेनोलिक एसिड, स्टेरॉयड, फैटी एसिड, बेंजोफेनोन्स, जेन्थोनॉइड्स, फ्लेवोनॉइड्स, टेरपेनॉइड्स और एल्केन्स जैसे यौगिक पाए जाते हैं। यह यौगिक कई औषधीय गुणों जैसे दर्द और सूजन से राहत, एंटीकैंसर और एंटीट्यूमर, एंटीऑक्सिडेंट गुण, रोगाणुरोधी के तौर पर काफी प्रभावी हो सकते हैं।

आइए अब इस औषधि से होने वाले विभिन्न प्रकार के स्वास्थ्य संबंधी लाभ के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं।

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दैनिक जीवन में भागदौड़ के चलते खान-पान पर विशेष ध्यान न दे पाने के कारण कब्ज की समस्या होना आम बात है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति के लिए शौच कर पाना काफी मुश्किल हो जाता है। कब्ज की समस्या के कई कारण हो सकते हैं। अगरू की पत्तियां यहां आपकी मदद कर सकती हैं। कई शोध में पता चला है कि इसकी पत्तियां प्राकृतिक तौर पर लैक्सेटिव होती हैं, यानी यह मल त्याग करने की प्रक्रिया को आसान बनाने में मदद कर सकती हैं। अगरू की पत्तियों से बनी चाय भी कब्ज से राहत दिलाने में मदद कर सकती है।

आर्थराइटिस, जोड़ों के दर्द से जुड़ी हुई समस्या है। इसमें लोगों के लिए चलना, उठना और सामान्य कार्यों को करना कठिन हो जाता है। विशषज्ञों का मानना है कि अगरू इस गंभीर समस्याकारक रोग में भी फायदेमंद होता है। ऑस्टियोआर्थराइटिस और रुमेटाइड आर्थराइटिस दोनों ही समस्याओं में अगरकाष्ठ के पेड़ की छाल से बने पेस्ट को लगाने से काफी राहत मिलती है। चूंकि इसमें एंटी-इंफ्लामेटरी यानी सूजन को कम करने वाले गुण मौजूद होते हैं ऐसे में यह जोड़ों के सूजन को कम करने के साथ दर्द से भी राहत दिलाने में मददगार औषधि है।

साफ और दमकती त्वचा पाने की चाहत हर किसी की होती है। इसके लिए हम सब कई सारे प्रयास भी करते रहते हैं। इस बारे में जानकारों का मानना है कि अगरू की छाल आपकी इस चाहत को पूरी करने में मदद कर सकती है। तमाम गुणों के साथ अगरू में रोगाणुओं से लड़ने और इंफ्लामेशन को कम करने की भी शक्ति होती है। इन्हीं गुणों के कारण माना जाता है कि यह औषधि मुंहासे, एक्जिमा और सोरायसिस जैसी समस्याओं से राहत दिलाने में आपकी मदद कर सकती है। विशेषज्ञों के मुताबिक अगरकाष्ठ की छाल का पेस्ट बनाकर प्रभावित हिस्से में लगाने से लाभ मिलता है। इसके अलावा, छाल से बनी चाय रक्त को शुद्ध करने के लिए भी जानी जाती है, जिससे त्वचा स्वस्थ और चमकदार बनती है।

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अगरकाष्ठ के तमाम हिस्सों को अलग-अलग प्रकार से प्रयोग में लाकर लाभ प्राप्त किया जाता है। यह औषधि छाती में जलन और मितली की समस्या में भी आपके लिए फायदेमंद हो सकती है। अगरकाष्ठ की थोड़ी सी मात्रा को जलाने से उठने वाले धुएं को अंदर खींचने से अम्लता और उल्टी महसूस होने से राहत मिल सकती है। इसके अलावा अगरकाष्ठ से बने काढ़े को भी पीने से राहत मिलती है। जिन लोगों को अक्सर छाती में जलन की समस्या रहती हो उन्हें इसका सेवन करना चाहिए।

अगरवुड के कई सबसे आश्चर्यजनक लाभों में से एक है इसका तेल। इसके गुणकारी तेल का उपयोग अरोमाथेरेपी मे किया जाता है। यह थेरपी शारीरिक और मानसिक रूप से व्यक्ति को मजबूती देती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह चिंता और अवसाद सहित विभिन्न मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों से राहत प्रदान करने में भी सहायक हो सकती है।

जिन लोगों को अस्थमा की समस्या होती है, उनके लिए विपरीत परिस्थितियों में सांस लेना काफी कठिन हो जाता है। रोगियों को इन्हेलर के उपयोग की सलाह दी जाती है। वहीं अगर हम आयुर्वेद की ओर देखें तो कई सारी ऐसी औषधियां हैं जो अस्थमा में काफी प्रभावी परिणाम दे सकती हैं, अगरकाष्ठ उन्हीं में से एक है। जानकारों की मानें तो अगरकाष्ठ का तेल अस्थमा की समस्या को नियंत्रित करने में काफी मददगार हो सकती है। इसका सेवन पान के पत्तों के साथ किया जा सकता है। कई बार अगरकाष्ठ का तेल आसानी से नहीं मिल पाता है, ऐसी स्थिति में इसके छाल को पानी में उबालकर काढ़ा बनाया जाता है, जिसे या तो नारियल के तेल में मिलाकर या फिर सीधे तौर पर अस्थमा के रोगी की खोपड़ी पर लगाया जाता है। माना जाता है कि यह अस्थमा के प्रभाव को नियंत्रित करने में सहायक हो सकती है।

हालांकि, यहां ध्यान रखें कि अस्थमा एक गंभीर समस्या है, ऐसे में इस बीमारी में अगरकाष्ठ या किसी भी हर्बल उपाय को प्रयोग में लाने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर ले लें। बिना सलाह के इन उपायों को प्रयोग में लाने से संभव है कि यह नियमित दवाओं के प्रभाव को कम कर दे। आपके स्वास्थ्य के हिसाब से ऐसा भी हो सकता है कि कुछ हर्बल उपचार आपके लिए उपयुक्त न हों। ऐसे में किसी भी औषधि या उपचार को प्रयोग में लाने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए।

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उपरोक्त पंक्तियों मे बताई गई समस्याओं के साथ अगरकाष्ठ का सेवन पाचन तंत्र को ठीक करने के लिए भी किया जाता है। आयुर्वेद पद्धति में अपच और गुर्दे की तमाम समस्याओं के साथ-साथ पीलिया और लिवर की तमाम बीमारियों में भी अगरकाष्ठ के सेवन को फायदेमंद बताया गया है। जिन लोगों को भूख न लगने की समस्या होती है उन्हें अगरवुड पाउडर को शहद के साथ मिलाकर सेवन करने के लिए दिया जाता है। माना जाता है कि कुछ दिनों तक इसे प्रयोग में लाने से भूख लगने के साथ पाचन संबंधी अन्य समस्याओं को ठीक किया जा सकता है।

जिन लोगों के शरीर से बदबू आती है उन्हें कई बार सामाजिक रूप से झेप और शर्म का सामना करना पड़ता है। ऐसी ही मुंह से आने वाली दुर्गंध के साथ भी है। जैसा कि इस लेख की शुरुआत में बताया गया था कि अगरकाष्ठ में प्राकृतिक रूप से विशेष प्रकार की सुगंध मौजूद होती है, इस आधार पर विशेषज्ञों ने पाया कि यह शरीर की गंध को बढ़ाने वाले कारकों से मुकाबला करने में भी सहायक है। जानकारों का मानना है कि अगरवुड को दूध अथवा गुलाबजल से मिलाकर बनाए गए पेस्ट को लगाने से ताजगी और स्फूर्ति महसूस होती है। इसे लगाने से शरीर से सुगंध भी आती है। इसके अलावा इसकी छाल को चबाने से सांस की बदबू से भी छुटकारा पाया जा सकता है।

उपरोक्त पंक्तियों में बताया गया है कि अगरू कई मामलों में स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकता है। इसकी छाल और पत्तियों को कई प्रकार की समस्याओं से निजात पाने के लिए प्रयोग में लाया जाता रहा है। अब सवाल उठता है कि आखिर इसकी कितनी मात्रा को उपयोग में लाने से लाभ मिलता है? तो इस बारे में विशेषज्ञों का मानना है कि अगरू का डोज आपके स्वास्थ्य और आवश्यकताओं पर निर्भर करता है। आमतौर पर, अगरू के तेल को तमाम उपयोगों में एक से चार बूंदों की मात्रा में प्रयोग में लाया जाता है। वहीं इसके पाउडर के 3 से 6 ग्राम की मात्रा को प्रयोग में लाने की सलाह दी जाती है। यदि अगरू का उपयोग निर्धारित मात्रा में किया जाए तो इसे सुरक्षित माना जाता है।

आमतौर पर इसके कोई दुष्प्रभाव देखने को नहीं मिलते हैं। कई समस्याओं में प्रभावी माने जाने वाले इस औषधि का उपयोग वैसे तो सुरक्षित होता है लेकिन यदि आपको स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या हो और उसकी दवाइयों का सेवन कर रहे हों तो किसी भी प्रकार के उपचार माध्यमों को प्रयोग में लाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर ले लेनी चाहिए।

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