भैंस को कोलिक होना एक प्रकार का पेट दर्द है। इसमें दर्द मध्यम से गंभीर हो सकता है और कुछ सेकेंड से कई मिनटों तक हो सकता है। भैंस को कोलिक होने के कुछ कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है। हालांकि, अफारा और आंतों संबंधी कई रोग हैं, जो कोलिक का कारण बन सकते हैं जैसे दस्त व कब्ज आदि।

भैंस के पेट में अचानक से दर्द होना ही कोलिक का सबसे स्पष्ट लक्षण है। कोलिक के लक्षण कई बार सामान्य पेट दर्द के समान प्रतीत होते हैं, इसलिए पशु चिकित्सक भैंस के स्वास्थ्य संबंधी पिछली जानकारी लेकर भी इस स्थिति की जांच कर सकते हैं।

स्थिति की गंभीरता और उसके अंदरूनी कारणों के अनुसार कोलिक का इलाज किया जाता है। यदि पेट फूलने के कारण कोलिक हुआ है, तो गैस को कम करने वाली दवाएं दी जाती हैं, जिनमें एंटीफोमिंग व अन्य कई प्रकार की दवाएं शामिल हैं। इसके अलावा भैंस के शारीरिक लक्षणों के अनुसार दवाओं का चुनाव किया जाता है।

(और पढ़ें - भैंस को अफारा होना क्या है)

  1. भैंस को कोलिक होना क्या है - Bhains ko colic hona kya hai
  2. भैंस को कोलिक होने के लक्षण - Bhains ko colic hone ke lakshan
  3. भैंस को कोलिक होने का कारण - Bhains ko colic hone ke karan
  4. भैंस को कोलिक होने का परीक्षण - Bhains ko colic hone ka parikshan
  5. भैंस को कोलिक होने का इलाज - Bhains ko colic hone ka ilaaj

कोलिक पेट में दर्द का कारण बनने वाली स्थिति है, जिसमें दर्द सामान्य पेट दर्द की तुलना में अधिक होता है। यह भैंस के जठरांत्र पथ को प्रभावित करने वाला रोग है, जिसमें होने वाला दर्द कुछ सेकेंडों से लेकर कई मिनट तक रह सकता है। इसमें आमतौर पर चुभन जैसा दर्द महसूस होता है, जो किसी भी समय विकसित हो सकता है।

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भैंसों व अन्य जानवरों में होने वाले कोलिक के लक्षण आमतौर पर रोग के अंतर्निहित कारणों और स्थिति की गंभीरता पर निर्भर करते हैं। कोलिक का सबसे प्रमुख लक्षण भैंस के पेट में दर्द होना ही माना जाता है। यदि भैंस निम्न संकेत दे रही है, तो यह कोलिक हो सकता है -

  • भैंस का बार-बार अपने पेट पर लात मारना
  • बार-बार उठना और बैठना
  • बार-बार गोबर और पेशाब करना

जैसा कि कोलिक विभिन्न स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण होता है, इसलिए कोलिक में पेट दर्द के साथ कुछ अन्य लक्षण भी विकसित हो सकते हैं। 

कई बार कोलिक अत्यधिक गंभीर हो जाता है, जिससे भैंस का स्वास्थ्य काफी प्रभावित हो जाता है। स्वास्थ्य प्रभावित होने पर कुछ अन्य लक्षण भी देखे जा सकते हैं -

  • भैंस का जुगाली न करना
  • आंख से पानी आना
  • सासें तेज होना
  • दांत पीसना
  • गोबर करने में जोर लगना
  • अचानक से दूध उत्पादन में कमी होना

भैंस को कोलिक होने के कई कारण हैं, जिनमें से कुछ के बारे में अभी तक पहचान नहीं हो पाई है। हालांकि, विशेषज्ञों के अनुसार भैंस को मुख्य रूप से अफारा और जठरांत्र प्रणाली के अंगों में किसी प्रकार की असामान्यता होना कोलिक के प्रमुख कारण हैं। कोलिक के दोनों मुख्य कारणों के बारे में नीचे बताया गया है।

अफारा

भैंस को अफारा होने के कई कारण हो सकते हैं, जिनके परिणामस्वरूप कोलिक भी हो जाता है। अफारा के प्रमुख कारणों में निम्न स्थितियों को शामिल किया जाता है -

  • बासी व सड़ा हुआ चारा खाना
  • दूषित व गंदा पानी पीना
  • अधिक मात्रा में अनाज खाना
  • कोई कपड़ा, पोलिथीन आदि निगल लेना

ऊपर बताई गई सभी स्थितियों में अफारा हो जाता है, जिसके कारण भैंस को कोलिक हो सकता है। हालांकि, ऐसा भी जरूरी नहीं है कि भैंस को अफारा होने पर कोलिक निश्चित रूप से होगा, क्योंकि अफारा से ग्रस्त कुछ भैंसों को कोलिक की समस्या नहीं होती है।

जठरांत्र संबंधी अन्य समस्याएं

भैंस के पेट में पाचन प्रणाली से जुड़े अंगों में किसी प्रकार की समस्या होने पर भी कोलिक हो सकता है। इन समस्याओं में निम्न शामिल हैं -

  • घास व अनाज पच न पाना (अपच)
  • भैंस को दस्त या कब्ज होना
  • आंत या आसपास के किसी अंग में संक्रमण होना
  • कुछ खाद्य पदार्थों से एलर्जी होना (जैसे किसी अनाज, घास या दवा आदि से)

ऊपर बताई गई समस्याओं को कोलिक का प्रमुख कारण माना जाता है। हालांकि, ऐसी कई समस्याएं हैं, जो कोलिक का कारण बन सकती है और उनके बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं मिल पाई है।

कुछ मामलों में कोलिक एक आम पेट दर्द समस्या के समान प्रतीत होता है, ऐसे में इसकी पहचान करना थोड़ा कठिन हो जाता है। ऐसी स्थितियों में परीक्षण से रोग की पुष्टि करने के लिए पशु चिकित्सक भैंस के स्वास्थ्य संबंधी पिछली जानकारी लेते हैं। साथ ही भैंस के लक्षणों के आधार पर कुछ विशेष टेस्ट भी किए जा सकते हैं।

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यदि भैंस में कोलिक दर्द की पुष्टि हो गई है, तो उसकी गंभीरता और अंदरूनी कारण के अनुसार स्थिति का इलाज किया जाता है। हालांकि, कुछ मामलों में कोलिक दर्द सिर्फ कुछ ही देर के लिए होता है, जिसका इलाज करने की आमतौर पर आवश्यकता नही होती है। यदि दर्द गंभीर है, तो पशु चिकित्सक कुछ दर्द निवारक दवाएं  दे सकते हैं जिससे दर्द को कम करने में मदद मिलती है।

इसके अलावा यदि कोलिक का इलाज करने की जरूरत है, तो सबसे पहले उसके कारण के अनुसार इलाज किया जाता है। यदि भैंस को अफारा हुआ है, तो सबसे पहले पशु चिकित्सक गाय के पेट की गैस को कम करते हैं। पेट की गैस को कम करने के लिए उसे कुछ विशेष प्रकार की एंटीफोमिंग दवाएं देते हैं। जिस दौरान अफारा का इलाज चल रहा होता है और यहां तक कि इलाज पूरा होने के कुछ दिन बाद तक भी चिकित्सक भैंस को कुछ विशेष आहार देने और कुछ आहार न देने की सलाह दे सकते हैं। ऐसे में पशु चिकित्सक आपको एक सूची तैयार करके भी दे सकते हैं।

इसके अतिरिक्त अपच, दस्त और कब्ज जैसे कारणों के अनुसार दवाएं दी जाती हैं, ताकि इनके लक्षणों और कोलिक के दर्द को नियंत्रित किया जा सके। कुछ मामलों में कोलिक के कारण का पता ही नहीं चल पाता है, ऐसी स्थिति में डॉक्टर मुख्य रूप से दर्द को नियंत्रित करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

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