गर्भावस्था में महिलाओं को कई तरह की परेशानी से गुजरना पड़ता है। मोलर प्रेग्नेंसी (Molar pregnancy) भी महिलाओं की गर्भावस्था से जुड़ी समस्याओं में से एक समस्या है। यह एक प्रकार का गर्भनाल का विकार होता है। इसमें निषेचन में विकार उत्पन्न हो जाता है। महिलाओं में इस तरह की समस्या बेहद ही कम पाई जाती है।
यह समस्या अपने आप में कोई खतरा नहीं पैदा करती, लेकिन मोलर प्रेगनेंसी गर्भावधि ट्रॉफोब्लास्टिक रोग (Gestational trophoblastic disease/ GTD/ जीटीडी) रोग होने से पहले का चरण है।
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आगे आप जानेंगे कि मोलर प्रेग्नेंसी क्या होती है। इसके लक्षण, कारण, परीक्षण और इलाज के साथ-साथ इसके बचाव के उपाय।
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- मोलर प्रेग्नेंसी क्या है? - Molar pregnancy kya hai
- मोलर प्रेग्नेंसी के लक्षण - Molar pregnancy ke lakshan
- मोलर प्रेग्नेंसी के कारण - Molar pregnancy ke karan
- मोलर प्रेग्नेंसी के लिए परीक्षण - Molar pregnancy ke liye parikshan
- मोलर प्रेग्नेंसी का इलाज - Molar pregnancy ka ilaj
- मोलर प्रेग्नेंसी से बचाव के तरीके - Molar pregnancy se bachav ke tarike
मोलर प्रेग्नेंसी क्या है? - Molar pregnancy kya hai
मोलर प्रेग्नेंसी (दाढ़ गर्भावस्था/ मोलर गर्भधारण) को हाइडेटिडिफॉर्म मोल के नाम से भी जाना जाता है। महिलाओं के गर्भावस्था के दुर्लभ मामलों से संबंधित है। इस समस्या में ट्रोफोब्लास्ट्स (Trophoblasts/ गर्भनाल से संबंधित) में असामान्य वृद्धि हो जाती है। इससे महिला की गर्भनाल में कोशिकाएं बनने लगती हैं।
इस समस्या को दो प्रकार से विभाजित किया जाता है। पहली पूर्ण मोलर प्रेग्नेंसी और दूसरी आंशिक मोलर प्रेग्नेंसी। पूर्ण मोलर प्रेग्नेंसी में महिलाओं के गर्भानाल के ऊतक असामान्य हो जाते हैं, जिससे गर्भनाल में सूजन आ जाती है। इसके अलावा गर्भनाल में द्रव युक्त गांठे बनने लगती हैं। इतना ही नहीं इस समस्या में भ्रूण संबंधी ऊतक नहीं बन पाते हैं। जबकि, आंशिक मोलर प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भनाल में सामान्य ऊतकों के साथ ही असामान्य ऊतक बनने लगते हैं। इस अवस्था में भ्रूण बनना शुरू होता है, परंतु आगे चलकर उसका विकास रूक जाता है। जिससे प्रेग्नेंसी के शुरूआती दौर में ही महिला का गर्भपात हो जाता है। मोलर प्रेग्नेंसी एक गंभीर समस्या है। इससे दुर्लभ प्रकार का कैंसर भी हो सकता है। मोलर प्रेग्नेंसी के मरीज को जल्द ही उपचार की आवश्यकता होती है।
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मोलर प्रेग्नेंसी के लक्षण - Molar pregnancy ke lakshan
शुरूआती दौर में, पहली बार देखने में मोलर प्रेग्नेंसी किसी सामान्य प्रेग्नेंसी की तरह ही लगती है। लेकिन, अधिकतर मोलर प्रेग्नेंस निम्न तरह के विशिष्ट लक्षण और संकेत को दर्शाती है -
- पहली तिमाही के दौरान योनि से गहरे भूरे या गाढ़े लाल रंग का रक्तस्राव होना। (और पढ़ें - गर्भावस्था में रक्तस्राव)
- गंभीर रूप से मतली और उल्टी होना। (और पढ़ें - उल्टी रोकने के उपाय)
- कई बार योनि के मार्ग में अंगूर के आकार की गांठे होना। (और पढ़ें - योनि में गांठ का इलाज)
- पेल्विक में दर्द या दबाव पड़ना। (और पढ़ें - गर्भावस्था में पेल्विक दर्द)
मोलर प्रेग्नेंसी के लक्षण महसूस होने पर आपको तुरंत चिकित्सीय सलाह लेनी चाहिए। जिसके बाद डॉक्टर मोलर प्रेग्नेंसी के अन्य लक्षणों का पता लगाते हैं। इनमें शामिल किए जाते हैः-
- गर्भाशय में निरंतर वृद्धि - गर्भावस्था के दौरान गर्भाशय का बहुत बड़ा हो जाना।
- उच्च रक्तचाप , (और पढ़ें - प्रेगनेंसी में हाई बीपी)
- प्री एक्लेमप्सिया - गर्भावस्था के 20 सप्ताह के बाद महिलाओं के मूत्र में उच्च रक्तचाप और प्रोटीन के कारण उत्पन्न होने वाली स्थिति होती है।
- अंडाशय में गांठ (Ovarian cysts / ओवेरियन सिस्ट)
- एनीमिया (Anemia) (और पढ़ें - खून की कमी के लिए उपाय)
- थायराइड का अधिक होना (हाइपरथायराइडिज्म)
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मोलर प्रेग्नेंसी के कारण - Molar pregnancy ke karan
गर्भावस्था में निषेचित अंडे में असामान्यता के कारण मोलर प्रेग्नेंसी होती है। सामान्य रूप से व्यक्ति की कोशिकाओं में क्रोमोसोम्स के 23 जोड़े (Pairs) होते हैं। इन क्रोमोसोम्स के प्रत्येक जोड़े (Pairs) में एक क्रोमोसोम्स पिता से मिलता है, तो दूसरा मां से प्राप्त होता है। लेकिन, इस प्रक्रिया में बाधा आने से मोलर प्रेग्नेंसी होती है। इसके मूल कारणों में पूर्ण मोलर प्रेग्नेंसी और आंशिक मोलर प्रेग्नेंसी को शामिल किया जाता है।
पूर्ण मोलर प्रेग्नेंसी में एक या दो शुक्राणुओं द्वारा अंडा निषेचित होता है और यह सभी आनुवांशिक पदार्थ पिता से ही मिलते हैं। इस स्थिति में अंडे में मां के क्रोमोसोम्स नहीं जा पाते है या वह निष्क्रिय हो जाते है। इस अवस्था में निषेचित अंडे में केवल पिता के ही क्रोमोसोम्स होने के कारण इनकी संख्या दोगुनी हो जाती है। (और पढ़ें - गर्भधारण कैसे करे)
जबकि, आंशिक मोलर प्रेग्नेंसी में अंडे से मां के क्रोमोसोम्स जाते तो हैं, पंरतु यहां पिता से प्राप्त होने वाले 23 क्रोमोसोम्स दोगुने हो जाते हैं। यानी पिता से 46 क्रोमोसोम्स प्राप्त होते हैं और मां के क्रोमोसोम्स मिलने के बाद इसकी संख्या 69 हो जाती है। जिससे भ्रूण में 69 क्रोमोसोम्स हो जाते हैं। इसमें पिता के दो शुक्राणु लगातार अंडे को निषेचित करते हैं। इससे पिता के आनुवांशिक पदार्थ मां की अपेक्षा अतिरिक्त (अधिक) हो जाते हैं।
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मोलर प्रेग्नेंसी के लिए परीक्षण - Molar pregnancy ke liye parikshan
मोलर प्रेग्नेंसी की संभावना होने पर आपके डॉक्टर आपको रक्त परीक्षण की सलाह देते हैं। जिसमें वह आपको रक्त में प्रेग्नेंसी के लिए जिम्मेदार ह्यूमन कोरिओनिक गोनाडोट्रोपिन (एचसीजी/ HCG) हार्मोन के स्तर की जांच कराने को कह सकते हैं। इसके साथ ही आपका अल्ट्रासाउंड भी करवाया जाता है।
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परीक्षण के दौरान अल्ट्रासाउंड में तीव्र आवृत्ति की ध्वनि तरंगों से पेट के निचले हिस्से और पेल्विक क्षेत्र के ऊतकों की जांच की जाती है। प्रेग्नेंसी के शुरूआती दौर में गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब पेट की सतह के मुकाबले योनि के करीब आ जाते हैं। इसमें योनि में विशेष तरह की मशीन के द्वारा अल्ट्रासाउंड किया जाता है।
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अल्ट्रासांउड के द्वारा पूर्ण मोलर प्रेग्नेंसी को गर्भावस्था के प्रारंभिक आठ या नौ सप्ताह में पहचाना जा सकता है। इसमें निम्न कारणों की जांच की जाती है।
- भ्रूण के न होने की पुष्टि। (और पढ़ें - pregnancy month by month in hindi)
- एमनियोटिक द्रव न होने की स्थिति।
- गर्भनाल के पास एक मोटी गांठ, जो गर्भाशय में मौजूद हो।
- अंडाशय में गांठ (Ovarian cysts / ओवेरियन सिस्ट)। (और पढ़ें - अंडाशय में गांठ के उपाय)
अल्ट्रासांउड के द्वारा आंशिक मोलर प्रेग्नेंसी में निम्न कारणों का परीक्षण किया जाता है।
- भ्रूण का विकास और बाधा। (और पढ़ें - गर्भ में भ्रूण का विकास)
- एमनियोटिक द्रव का स्तर।
- गर्भनाल में मोटी गांठ होना। (और पढ़ें - प्रेगनेंसी में पेट दर्द)
आपके डॉक्टर के द्वारा मोलर प्रेग्नेंसी की पुष्टि करने के बाद, इससे जुड़ी कई अन्य समस्याओं की जांच की जाती है। जिसमें शामिल हैः-
- प्री एक्लेमप्सिया
- थायराइड का अधिक होना (हाइपोथायरायडिज्म) (और पढ़ें - प्रेगनेंसी में थायराइड के लक्षण)
- एनीमिया, (और पढ़ें - खून की कमी के लिए योग)
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मोलर प्रेग्नेंसी का इलाज - Molar pregnancy ka ilaj
मोलर प्रेग्नेंसी को आप सामान्य प्रेग्नेंसी की तरह नियमित नहीं कर सकती है। गर्भनाल के असामान्य ऊतकों को हटाने से आप इस समस्या से अपना बचाव कर सकती हैं।
इस समस्या का उपचार या इलाज निम्न तरीकों से किया जा सकता है -
- डाइलेशन एंड क्यूरेटेज (Dilation and curettage/ D&C/ डी एंड सी) –
डाइलेशन और क्यूरेटेज (Dilation And Curettage) प्रक्रिया, जिसे डी&सी (D&C) भी कहा जाता है, यह एक सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसमें गर्भाशय ग्रीवा/ सर्विक्स (Cervix - गर्भाशय का निचला, संकीर्ण हिस्सा) को विस्तारित (Dilate) किया जाता है ताकि गर्भाशय की परत (Endometrium; एंडोमेट्रियम) को क्यूरेट (Curette - चम्मच जैसे आकार का उपकरण) की मदद से असामान्य ऊतकों को निकालने के लिए स्क्रैप (कुरेदना) किया जा सके। मोलर प्रेग्नेंसी होने पर डॉक्टर के द्वारा इसी प्रक्रिया से गर्भाशय के ऊतकों को हटाया जाता है। डी एंड सी प्रक्रिया को कुछ घंटों में पूरा कर लिया जाता है। इसके बाद रोगी महिला घर जा सकती है। इस प्रक्रिया में एनेस्थीसिया को आपके पैरों को स्थिर रखने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके बाद डॉक्टर स्पेक्युलम यंत्र की मदद से पेल्विक परीक्षण करते हैं और गर्भाशय ग्रीवा को देख पाते हैं। जिसके पश्चात गर्भाशय ग्रीवा से प्रभावित ऊतकों को हटाया जाता है।
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- गर्भाशय उच्छेदन (Hysterectomy/ हिस्टेरेक्टॉमी) -
हिस्टेरेक्टॉमी (Hysterectomy) यह एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसका उपयोग करके महिला के शरीर से गर्भाशय को निकाला जाता है। यदि गर्भावधि ट्रॉफोब्लास्टिक नेपलाशिया (जीटीएन) का खतरा बढ़ जाए और भविष्य में महिला को गर्भधारण की इच्छा नहीं हो, तो हिस्टेरेक्टॉमी से गर्भाशय को हटाया जा सकता है।
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- ह्यूमन कोरिओनिक गोनाडोट्रोपिन (Human chorionic gonadotropin/ HCG/ एचसीजी) की जांच –
एचसीजी रक्त में मौजूद प्रेग्नेंसी से संबंधित हार्मोन्स होते हैं। मोलर ऊतकों को हटाने के बाद आपके डॉक्टर दोबारा से एचसीजी की जांच बार-बार करते हैं, जब तक इनका स्तर सामान्य नहीं हो जाता है। अगर इलाज के बाद भी एचसीजी का स्तर बना रहे तो आपको अतिरिक्त इलाज की आवश्यकता होती है।
इलाज के बाद करीब छह महीनों से एक साल तक एचसीजी के स्तर की जांच की जाती है। जिसमें मोलर ऊतकों के दोबारा न बनने की स्थिति को देखा जाता है। सामान्य प्रेग्नेंसी के दौरान एचसीजी के स्तर में बढ़ोतरी होती है। इसीलिए डॉक्टर अगली प्रेग्नेंसी तक अपको छह महीनों से साल भर तक रूकने का सुझाव देते हैं। इस समय आपके डॉक्टर आपको प्रेग्नेंसी रोकने के लिए जन्म नियंत्रण का कोई सुरक्षित तरीका बता सकते हैं।
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मोलर प्रेग्नेंसी से बचाव के तरीके - Molar pregnancy se bachav ke tarike
अगर आपको मोलर प्रेग्नेंसी हो तो आपको दोबारा गर्भाधारण करने से पूर्व अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए। इस समय आपके डॉक्टर आपको छह महीनों से लेकर एक साल के बाद प्रेग्नेंट होने की सलाह देते हैं। इसके दोबारा होने का जोखिम कम होता है, लेकिन जिन महिलाओं को यह समस्या पहले नहीं होती है उनको इसके होने का जोखिम अधिक होता है।
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दोबार से प्रेग्नेंट होने से पूर्व आपको अल्ट्रासाउंड करवा लेना चाहिए, इससे आप अपनी प्रेग्नेंसी को लेकर आश्वस्त हो जाएंगी। इसके अलावा मोलर प्रेग्नेंसी के लिए किए जाने परीक्षण (Prenatal genetic testing / जन्म के पूर्व आनुवांशिक परीक्षण) पर भी आपको अपने डॉक्टर से बात कर लेनी चाहिए।
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संदर्भ
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- CardioSmart: American College of Cardiology [Internet]. Washinton D.C. US; Vacuum Aspiration for Molar Pregnancy
- American Pregnancy Association [internet]; Molar Pregnancy
- Ministry of Health: Government of New Zealand [Internet]. New Zealand; Molar Pregnancy: Patient information booklet