एड्रेनो कोर्टिकोट्रोपिक हार्मोन टेस्ट क्या है?

एसीटीएच टेस्ट एक सामान्य परीक्षण है जो एड्रिनल ग्रंथि की कार्य प्रणाली की जांच करने के लिए किया जाता है। इस टेस्ट के दौरान व्यक्ति को एड्रेनो कोर्टिकोट्रोपिक हार्मोन का इंजेक्शन लगा कर उसमें कोर्टिसोल (एड्रिनल ग्रंथि का हार्मोन) की जांच की जाती है। इस टेस्ट को आमतौर पर एसीटीएच स्टिमुलेशन टेस्ट कहा जाता है। एसीटीएच एंटीरियर पिट्यूटरी ग्रंथि में कोर्टिकोट्रोफ्स द्वारा स्रावित होता है, इसके स्राव को एक कॉर्टिकोट्रोपिन-रिलीजिंग हार्मोन द्वारा उत्तेजित किया जाता है। कॉर्टिकोट्रोपिन-रिलीजिंग हार्मोन मस्तिष्क के एक छोटे से भाग हाइपोथैल्मस के द्वारा स्रावित किया जाता है।

तनाव, ग्लूकोज की कमी और चोट लगना आदि कुछ अन्य कारक भी हैं, जो एसीटीएच के स्राव को उत्तेजित कर देते हैं। यह एड्रिनल ग्रंथि में ग्लूकोकोर्टिकोइड्स और कोर्टिसोल हार्मोन बनने व इनके स्राव को नियंत्रित करता है। एसीटीएच और कोर्टिसोल का स्तर असामान्य रूप से बढ़ जाना या कम हो जाना मुख्य रूप से एड्रिनल, पिट्यूटरी और थाइराइड ग्रंथि से संबंधित समस्याओं का संकेत देता है। स्थिति का उचित रूप से परीक्षण करने के लिए ब्‍लड टेस्ट‍ व इमेजिंग स्‍कैन फायदेमंद होते हैं।

टेस्ट की समयावधि के आधार पर कुछ लेबोरेटरी द्वारा एसीटीएच टेस्‍ट को दो भागों में विभाजित किया जाता है: 

  • शॉर्ट साएनैक्थेन टेस्‍ट (Short Synacthen Test): इस टेस्ट को करने में 2 घंटे का समय लगता है और इसमें कृत्रिम एसीटीएच साएनैक्थेन को इंजेक्शन में भर के लगाया जाता है। 
  • लॉन्ग डिपोट टेस्ट (Long depot Test): इस टेस्ट को करने में दो दिन का समय लगता है।

यह शार्ट डोज़ टेस्ट और लॉन्ग डोज़ टेस्ट के रूप में उपलब्ध है। शार्ट डोज़ टेस्ट का एक इंजेक्शन 1 माइक्रोग्राम का और लॉन्ग डोज़ टेस्ट का एक इंजेक्शन 250 माइक्रोग्राम का होता है। इस टेस्ट के लिए दूसरे वैकल्पिक फार्मूलेशन उपलब्ध हैं।   

(और पढ़ें - लैब टेस्ट क्या है)

  1. एसीटीएच टेस्ट क्यों किया जाता है - Purpose of ACTH test in Hindi
  2. एसीटीएच टेस्ट से पहले - Before ACTH test in Hindi
  3. एसीटीएच टेस्ट के दौरान - During ACTH test in Hindi
  4. एसीटीएच टेस्ट के परिणाम और नॉर्मल रेंज - ACTH test results and normal range in Hindi

एसीटीएच टेस्ट किसलिए किया जाता है?

एसीटीएच टेस्ट को एड्रिनल हार्मोन की कमी का पता लगाने के लिए सबसे उत्तम दर्जे का टेस्ट माना जाता है, जो कि एक जानलेवा विकार है। एड्रिनल हार्मोन की कमी से ग्रस्त‍ व्यक्तियों की समय पर जांच करके और उन्हें जल्द से जल्द हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी देकर मृत्यु दर को कम किया जा सकता है और साथ ही साथ उनकी सेहत में भी सुधार किया जा सकता है। इस टेस्ट की सलाह अधिकतर उन मरीज़ों को दी जाती है जिनमे निम्न लक्षण दिखाई देते हैं :

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एसीटीएच टेस्ट से पहले की तैयारी

यह सामान्य व दर्दरहित प्रक्रिया होती और ना ही इसके दौरान शरीर में किसी प्रकार का चीरा लगाया जाता है। इसलिए इस टेस्ट में कोई विशेष प्रकार की तैयारी करने की आवश्यकता भी नहीं पड़ती है। टेस्ट से 12 से 20 घंटे पहले मरीज को शारीरिक कार्य कम करने और कार्बोहाइड्रेट से भरपूर भोजन खाने के लिए कहा जा सकता है। टेस्ट से छह घंटे पहले मरीज को भूखा रहने के लिए भी कहा जा सकता है। इतना ही नहीं यदि मरीज हाइड्रोकोर्टिसोन दवाएं ले रहा है, तो टेस्ट से पहले कुछ निश्चित समय तक उसकी सभी दवाएं बंद की जा सकती हैं। मरीज को कृत्रिम एसीटीएच का इंजेक्शन दिया जाता है और कोर्टिसोल सीरम का जमाव देखने के लिए नस से थोड़ी-थोड़ी देर में खून निकाला जाता है। यदि किसी मरीज को अस्थमा है, तो यह टेस्ट मेडिकल निरीक्षण के अंतर्गत किया जाता है।

एसीटीएच टेस्ट कैसे किया जाता है?

यह एक सामान्य टेस्ट होता है, जिसमें एक अनुभवी डॉक्टर मरीज की बाजू से खून का सेंपल लेता है। सबसे पहले बाजू में नस वाली जगह को एंटीसेप्टिक से साफ किया जाता है और फिर नस में सुई लगाकर खून निकालने की प्रक्रिया शुरू की जाती है। आर्टिफीशियल एसीटीएच का इंजेक्शन लगाने से पहले ब्लड सेंपल ले लेना आवश्यक है, ताकि सीरम में कोर्टिसोल की सघनता का पता लगाया जा सके। इस के बाद आर्टिफीशियल एसीटीएच का इंजेक्शन या तो मांशपेशियों के अंदर या नसों के अंदर लगाया जाता है फिर छोटी अवधि के टेस्ट के लिए हर 30 से 60 मिनट के बीच ब्लड सेंपल लिए जाते हैं। 

लॉन्ग एसीटीएच टेस्ट में, लगातार दो दिन आर्टिफीशियल एसीटीएच का इंजेक्शन लगाया जाता है और फिर टेस्ट से पहले एक बार ब्लड सेंपल निकाल लिया जाता है। इसके बाद फिर हर बार एसीटीएच का इंजेक्शन देने के 5 घंटे बाद ब्लड सेंपल निकाल लिया जाता है। इस टेस्ट का उपयोग मुख्य रूप से प्राइमरी या सेकेंड्री एड्रिनल फेलियर का अंतर पता करने के लिए किया जाता है।

दिनभर के दौरान एसीटीएच और कोर्टिसोल के घटते बढ़ते हुए स्तर को ध्यान में रखते हुए कोर्टिसोल के मूल स्तर को सुबह 9 बजे नोट किया जाता है।

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एसीटीएच टेस्ट के रिजल्ट क्या बताते हैं?

  • सामान्य परिणाम:
    एसीटीएच टेस्ट के सामान्य परिणाम को नेगेटिव रिजल्ट (नकारात्मक परिणाम) भी कहा जाता है। जिसका मतलब होता है कि शार्ट ड्यूरेशन (छोटी अवधि वाले) टेस्ट में 30 से 60 मिनट के बाद कोर्टिसोल की प्रतिक्रिया काफी बढ़ गई है (> 550 नेनोमोल्स/लीटर (nmol)/litre (L)
    लॉन्ग एसीटीएच टेस्ट में, दूसरे दिन के अंत तक कोर्टिसोल प्रतिक्रिया का स्तर आमतौर पर 1000 नेनोमोल्स/लीटर हो जाता है। सामान्य रूप से स्वस्थ लोगों में एसीटीएच का इंजेक्शन लगाने के बाद यह अपेक्षा की जाती है कि उनमें कोर्टिसोल अधिक मात्रा में जमा होगा।
  • कुछ लेबोरेटरी में, एसीटीएच के जमाव का विश्लेषण किया जाता है, क्योंकि एसीटीएच का स्तर सामान्य रहने या बढ़ जाने के बावजूद भी कुछ रोग कोर्टिसोल के जमाव को प्रभावित कर सकते हैं। एसीटीएच के जमाव का सामान्य मान 9 से 52 पिकोग्राम/मिलीलीटर की रेंज के बीच में आता है। अलग-अलग लैब के अनुसार कोर्टिसोल जमा होने का स्तर भिन्न हो सकता हैं।
     
  • असामान्य रिजल्ट:
    कोर्टिसोल जमा होने का स्तर सामान्य से कम होना, स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दर्शाता है। एसीटीएच का कम स्तर दर्शाता है कि यह कोर्टिसोल को स्रावित करने के लिए पर्याप्त उत्तेजना (स्टीमुलेशन) पैदा नहीं कर पा रहा है। एसीटीएच का असाधारण रूप से बढ़ा हुआ स्तर आमतौर पर नेल्सन सिंड्रोम, कुशिंग सिंड्रोम, एडिसन रोग या एसीटीएच पैदा करने वाला एक्टोपिक ट्यूमर होने का संकेत देता है।
    एसीटीएच का जमाव मुख्य रूप से एड्रिनल एडिमा (एक प्रकार का ट्यूमर) और सेकेंड्री एड्रिनल इन्सफीशियंशी (पर्याप्त मात्रा में एड्रिनल हार्मोन ना होना) में कम हो जाता है। कुछ प्रकार के रोग भी हैं, जो एड्रिनल ग्रंथि को क्षतिग्रस्त कर सकते हैं, जैसे टीबी हिस्टोप्लास्मोसिस या मेनिंगोकोकल सेप्सिस आदि। यदि एसीटीएच स्तर के प्लाज्मा का पता ना लग पाए तो यह, एड्रिनल ट्यूमर का संकेत हो सकता है।

एसीटीएच टेस्ट में कोर्टिसोल का असामान्य स्तर निम्न स्थितियों का संकेत दे सकता है:

अंतिम तौर पर, यह कहा जा सकता है कि एड्रिनल में कमी की जांच करने के लिए एसीटीएच टेस्ट एक अच्छा परीक्षण है। एड्रिनल ग्रंथि संबंधी विकार कुछ अन्य कारणों से भी हो सकते हैं इसीलिए विभिन्न प्रकार के परीक्षण करने जरूरी हैं। अन्य कई टेस्टों की मदद से भी इस स्थिति का परीक्षण किया जा सकता है, जैसे इन्सुलिन इंनडयूस्ड हाइपोग्लाइसेमिक टेस्ट। इसके अलावा एड्रिनल ग्रंथि में ट्यूमर की जांच एमआरआई और सीटी स्कैन की मदद से कर सकते हैं। एसीटीएच टेस्ट द्वारा समय पर जांच और सही इलाज से एड्रिनल क्राइसिस के खतरे को कम कम किया जा सकता है।

संदर्भ

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