परिएटल सेल एंटीबाडी टेस्ट क्या है?
परिएटल सेल एंटीबॉडी टेस्ट का उपयोग मुख्य रूप से यह जानने के लिए किया जाता है कि कहीं आपका शरीर परिएटल सेल के विरोध में एंटीबॉडीज तो नहीं बना रहा है। परिएटल सेल वे कोशिकाएं हैं जो कि पेट में हाइड्रोक्लोरिक एसिड (एचसीएल) को स्रावित करती हैं। यह ब्लड टेस्ट पर्निशियस एनीमिया के परीक्षण में भी मदद करता है। पर्निशियस एनीमिया एक ऑटोइम्यून रोग है जिसमें कमजोरी, जी मिचलाना, थकान, भूख कम लगना, दस्त, वजन कम होना और पेट भारी लगना आदि लक्षण दिखाई देते हैं।
ऑटोइम्यून रोग वे स्थितियां हैं जिसमें आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से स्वस्थ कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए एंटीबॉडीज (ऑटो एंटीबॉडी) बनाने लगती है।
एचसीएल के अलावा, परिएटल सेल इन्ट्रिंसिक फैक्टर (आईएफ) नामक प्रोटीन भी बनाता है यह प्रोटीन विटामिन बी12 के अवशोषण के लिए जरूरी होता है। इसीलिए इन कोशिकाओं में किसी भी तरह की क्षति होने पर विटामिन बी12 की कमी हो जाती है। विटामिन बी12 लाल रक्त कोशिकाओं को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और इस विटामिन की कमी से पर्निशियस एनीमिया होता है।
शुरू में जैसे ही एन्टीबॉडीज़ परिएटल सेल पर हमला करते हैं तो इससे एक स्थिति पैदा होती है जिसे ऑटोइम्यून एट्रोफिक गैस्ट्राइटिस (पेट में सूजन) कहा जाता है। हालांकि परिएटल सेल यदि लगातार क्षतिग्रस्त होते हैं तो इससे आईएफ के उत्पादन पर प्रभाव पड़ता है जिससे विटामिन बी12 का ठीक तरह से अवशोषण नहीं हो पाता जिससे अंतिम अवस्थाओं में इसकी कमी हो जाती है। ऑटोइम्यून एट्रोफिक गैस्ट्राइटिस से ग्रस्त केवल 10 से 15 प्रतिशत लोगों को ही पर्निशियस एनीमिया होता है। पर्निशियस एनीमिया तभी होता है जब विटामिन बी12 के स्तर कम हो जाते हैं। यह वृद्धावस्था में अधिक सामान्य है विशेषकर 60 वर्ष से अधिक के वयस्क।