बाइल पिग्मेंट टेस्ट क्या है?

बाइल पिग्मेंट टेस्ट यूरिन में बाइल पिगमेंट की जांच करने के लिए किया जाता है। प्राथमिक तौर पर यह लिवर रोग और लिवर की कार्य क्षमता संबंधी समस्याओं की जांच करने के लिए किया जाता है।

बाइल पिग्मेंट हरे-पीले रंग का पदार्थ है, जो लिवर में हीमोग्लोबिन के पदार्थों के टूटने पर एक उप-उत्पाद (by-product) के रूप में विकसित होता है। पित्तरस लिवर द्वारा निकलने वाला एक द्रव है जो कि वसा को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ता है ताकि शरीर इसे आसानी से अवशोषित कर पाए।

बाइल पिग्मेंट के दो मुख्य प्रकार होते हैं :

  • बिलीरुबिन
  • यूरोबिलिनोजन

यूरोबिलिनोजन मुख्य रूप से बिलीरुबिन का मेटाबॉलिज्म होने के बाद बनता है। यूरिन में यूरोबिलिनोजन की थोड़ी सी मात्रा को सामान्य माना जाता है। लेकिन अगर यूरिन में यूरोबिलिनोजन या बिलीरुबिन की अधिक मात्रा है, तो यह लिवर संबंधी रोग होने का संकेत देती है। यदि लिवर ठीक से काम नहीं कर पा रहा है, तो ऐसे मामलों में ये पिग्मेंट लिवर से रक्त में रिसने लग जाते हैं। इसके बाद जब ब्लड को किडनी द्वारा फिल्टर किया जाता है, तो बाइल पिग्मेंट यूरिन में दिख जाते हैं।

  1. बाइल पिग्मेंट टेस्ट क्यों किया जाता है - Bile pigment Test Kyu Kiya Jata Hai
  2. बाइल पिग्मेंट टेस्ट से पहले - Bile pigment Test Se Pahle
  3. बाइल पिग्मेंट टेस्ट के दौरान - Bile pigment Test Ke Dauran
  4. बाइल पिग्मेंट टेस्ट के परिणाम का क्या मतलब है - Bile pigment Test Ke Parinam Ka Kya Matlab Hai

बाइल पिग्मेंट टेस्ट किसलिए किया जाता है?

डॉक्टर इस टेस्ट की सलाह निम्न लक्षण दिखने पर भी दे सकते हैं :

इनमें से अधिकतर लक्षण किसी न किसी लिवर रोग से जुड़े होते हैं।

बाइल पिग्मेंट टेस्ट की सलाह उन लोगों को भी दी जाती है जिन्हें :

  • हेरेडिटरी कोलेस्टेटिक सिंड्रोम (दुर्लभ लिवर विकारों का एक समूह)
  • गर्भावस्था के दौरान इंट्राहिपेटिक कोलेस्टेटिक (गर्भवती महिला को होने वाली एक लिवर समस्या जिसमें लिवर के अंदर पित्त बनने लगता है और उसकी कार्य क्षमता भी प्रभावित हो जाती है)
  • बाइलरी सिरोसिस (दीर्घकालिक लिवर रोग जिसमें धीरे-धीरे पित्त नलिकाएं नष्ट होने लगती हैं)
  • स्क्लेरोजिंग कोलेंजाइटिस (एक क्रोनिक रोग जिसमें पित्त नलिकाएं क्षतिग्रस्त होने लगती हैं)
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बाइल पिग्मेंट टेस्ट की तैयारी कैसे करें?

इस टेस्ट के लिए किसी खास तैयारी की जरूरत नहीं होती। हालांकि, यदि आपको किसी भी प्रकार की कोई एलर्जी या बीमारी है या फिर आप कोई भी दवा ले रहे हैं तो इसके बारे में डॉक्टर को बता दें।

बाइल पिग्मेंट टेस्ट कैसे किया जाता है?

इस टेस्ट के लिए चौबीस घंटे तक व्यक्ति का यूरिन जमा किया जाता है और फिर इस यूरिन की जांच की जाती है। इससे यह पता चलता है कि पूरे दिन में पेशाब में कितना बाइल पिग्मेंट निकला है। दिन में किसी समय लिए गए सैंपल की तुलना में चौबीस घंटे के यूरिन सैंपल से निकली औसत वैल्यू स्थिति के बारे में अच्छे से बता सकती है।

सैंपल जमा करने के लिए एक विशेष कंटेनर दिया जाएगा। सैंपल लेना सुबह से शुरू कर दें। हालांकि यह बात नोट करें कि दिन का पहला यूरिन सैंपल में नहीं लेना है। उसके बाद अगले चौबीस घंटे का सारा यूरिन सैंपल में भर लें।

इस दौरान यूरिन के कंटेनर को किसी ठंडे वातावरण में रखें, आप इसे रेफ्रीजिरेटर में भी रख सकते हैं। इससे सैंपल एनालिसिस से पहले ठीक बना रहेगा।

सैंपल ले लेने के बाद उसे तुरंत लैब में परीक्षण के लिए ले जाना चाहिए।

यदि यह टेस्ट किसी बच्चे का किया जाता है तो बच्चे के मूत्रमार्ग को ठीक प्रकार से साफ किया जाना चाहिए और यूरिन कलेक्शन बैग को ठीक प्रकार से लगाना चाहिए ताकि सैंपल किसी भी प्रकार से दूषित न हो। सैंपल लेने के बाद इसे जल्द से जल्द लैब में एनालिसिस के लिए भेज देना चाहिए।

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बाइल पिग्मेंट टेस्ट के परिणाम क्या बताते हैं?

सामान्य परिणाम

यदि टेस्ट के परिणाम से यह पता चलता है कि यूरिन सैंपल में बाइल पिग्मेंट या साल्ट नहीं है तो परिणामों को नेगेटिव माना जाता है। इसका मतलब सामान्य परिणाम होता है।

असामान्य परिणाम

चूंकि यूरिन में यूरोबिलिनोजन की थोड़ी सी मात्रा को सामान्य माना जाता है, इसीलिए यूरोबिलिनोजन की सामान्य रेंज हर उम्र के लोगों के लिए 0.2-1 mg/dl है। बाइल पिग्मेंट का अत्यधिक जमाव लिवर क्षतिग्रस्त होने का संकेत करता है। यदि यूरोबिलिनोजन का कम या बिलकुल भी जमाव न हो तो यह निम्न की ओर संकेत कर सकता है :

  • लिवर से बाइल ले जाने वाली संरचनाओं में अवरोध
  • लिवर का ठीक प्रकार से कार्य न करना

यूरिन में यूरोबिलिनोजन के उच्च स्तर निम्न कारणों से हो सकते हैं :

बिलीरुबिन (अन्य बाइल पिग्मेंट) या यूरोबिलिनोजन के उच्च स्तर निम्न की ओर संकेत कर सकते हैं :

  • लिवर रोग (जैसे हेपेटाइटिस)
  • लिवर का ठीक प्रकार से कार्य न करना
  • बाइलरी ऑब्स्ट्रक्शन
  • पीलिया

संदर्भ

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