डिफरेंशियल ल्यूकोसाइट काउंट (डीएलसी) क्या है?

डिफरेंशियल ल्यूकोसाइट काउंट (डीएलसी) को ब्लड डिफरेंशियल टेस्ट भी कहा जाता है ये रक्त में विभिन्न तरह की सफेद रक्त कोशिकाओं (डब्लूबीसी) की जांच करता है। डब्लूबीसी प्रणाली की कोशिकाएं होती हैं जो कि हमारे शरीर को संक्रमण, एलर्जी और बीमारियों से बचाती हैं। सफेद रक्त कोशिकाएं छह प्रकार की होती हैं:

  • बेसोफिल्स
  • इओसिनोफिल्स
  • न्यूट्रोफिल्स
  • बैंड (यंग न्यूट्रोफिल्स)
  • मोनोसाइट्स
  • लिम्फोसाइट्स

हर एक प्रकार की सफेद रक्त कोशिका का अपना एक विशेष कार्य होता है और इसके स्तर में कोई भी बदलाव किसी विशेष स्वास्थ्य स्थिति की ओर संकेत कर सकता है। उदाहरण के लिए इओसिनोफिल्स के स्तर में वृद्धि आमतौर पर एलर्जी का संकेत होता है। 

डीएलसी टेस्ट डब्लूबीसी के स्तर में इन्ही बदलावों की जांच करने के लिए किया जाता है ताकि विभिन्न स्थितियों का परीक्षण किया जा सके।

  1. डीएलसी क्यों किया जाता है - DLC (Differential leukocyte count) Kyu Kiya Jata Hai
  2. डीएलसी से पहले - DLC (Differential leukocyte count) Se Pahle
  3. डिफरेंशियल ल्यूकोसाइट काउंट के दौरान - Differential leukocyte count Ke Dauran
  4. डीएलसी के परिणाम और नॉर्मल रेंज - DLC Ke Result and Normal Range

डीएलसी क्यों किया जाता है?

डॉक्टर एनीमिया, संक्रमण, प्रतिरक्षी विकारों और ल्यूकेमिया जैसी स्थितियों में इस टेस्ट को करने की सलाह दे सकते हैं। शरीर में डब्लूबीसी के असामान्य स्तरों से निम्न लक्षण जुड़े हो सकते हैं:

आमतौर पर यह टेस्ट कम्पलीट ब्लड टेस्ट के साथ ही करवाने के लिए कहा जाता है। सीबीसी टेस्ट सामान्य रूटीन टेस्ट के रूप में भी किया जा सकता है या डॉक्टर कुछ संक्रमणों के लक्षण दिखने पर इस टेस्ट की सलाह दे सकते हैं। 

डीएलसी टेस्ट कुछ स्वास्थ्य स्थितियों के लिए चल रहे इलाज पर नजर रखने के लिए भी किया जा सकता है।

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डीएलसी की तैयारी कैसे करें?

डीएलसी के लिए किसी विशेष तैयारी की जरूरत नहीं होती। आप जो भी दवाएं ले रहे हैं इनके बारे में डॉक्टर को अवश्य बता दें क्योंकि कुछ विशेष तरह के स्टेरॉयड दवाएं टेस्ट के परिणामों को प्रभावित कर सकती हैं। यह ध्यान रहे कि डॉक्टर को आपकी पिछली स्वास्थ्य स्थिति के बारे में पता हो। डॉक्टर को अपने लक्षणों के बारे में विस्तार से बताएं, यदि आपको टेस्ट की प्रक्रिया से संबंधित कोई भी प्रश्न हो तो इसके बारे में डॉक्टर से पूछ लें।

डीएलसी कैसे किया जाता है?

टेस्टिंग सेंटर में नर्स आपकी बांह की नस में सुई लगाकर ब्लड सैंपल ले लेंगी। सुई लगने से आपको हल्का-सा दर्द हो सकता है हालांकि ये जल्द ही ठीक हो जाएगा। 

सैंपल को एक विशेष कंटेनर में डाला जाएगा और परीक्षण के लिए जल्द से जल्द लैब में भेज  दिया जाएगा। कुछ लोगों को इस प्रक्रिया के बाद नील भी पड़ सकता है। यह भी जल्दी ही ठीक हो जाता है। यदि नील ठीक नहीं होता है तो डॉक्टर को दिखा लेना चाहिए।

जिस लैब में टेस्ट किया जा रहा है उसके अनुसार सैंपल को या तो किसी मशीन द्वारा टेस्ट किया जाएगा (ऑटोमेटेड मेथड) या फिर सैंपल का परीक्षण डॉक्टर स्वयं करेंगे (मैन्युअल मेथड)। मशीन द्वारा टेस्ट के लिए ब्लड का एक पतला सैंपल मशीन में डाला जाता है और सेल स्कैटर पैटर्न से इसकी जांच की जाती है। हर कोशिका के लिए स्क्रीन पर एक विशेष पैटर्न बनाया जाता है। बिखरी हुई लाइट की मदद से सफेद रक्त कोशिकाओं की गणना की जाती है। मैन्युअल मेथड की तुलना में ऑटोमेटेड मेथड में अधिक सटीक परिणाम आते हैं।

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डीएलसी के परिणाम और नॉर्मल रेंज

सामान्य परिणाम :
एलसी के परिणाम प्रतिशत के अनुसार आते हैं। डब्लूबीसी के नॉर्मल रेंज निम्न हैं :

  • बेसोफिल्स: 0.5%-1%
  • इओसिनोफिल्स: 1%-4% 
  • न्यूट्रोफिल्स: 40%-60  
  • बैंड (यंग न्यूट्रोफिल्स): 0%-3%
  • मोनोसाइट्स: 2%-8%
  • लिम्फोसाइट्स: 20%-40%

असामान्य परिणाम :
असामान्य डब्लूबीसी किसी स्वास्थ्य स्थिति या बीमारी का संकेत हो सकते हैं। कभी-कभी डब्लूबीसी के किसी एक प्रकार के स्तर में वृद्धि से अन्य डब्लूबीसी के स्तर में कमी आ सकती है। आमतौर पर डब्लूबीसी के स्तर में वृद्धि सूजन संबंधी स्थिति, संक्रमण के प्रति प्रतिरक्षी प्रतिक्रिया या ट्यूमर के कारण हो सकता है। निम्न टेबल में विभिन्न डब्लूबीसी के स्तर में बदलाव और इससे जुड़े घटकों की विस्तृत जानकारी दी गई है। 

 

कोशिका के प्रकार 

बढ़े हुए स्तरों से जुड़े घटक 

घटे हुए स्तरों से जुड़े घटक 

न्यूट्रोफिल्स

लिम्फोसाइट्स 

  • संक्रामक हेपेटाइटिस 
  • मोनो (संक्रामक मोनोन्यूक्लिओसिस, एक वायरल संक्रमण जिसमें गले में दर्द और बुखार होता है )
  • मल्टीपल मायलोमा 
  • लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया 
  • दीर्घकालिक बैक्टीरियल संक्रमण
  • वायरल इन्फेक्शन
  • एचआईवी/एड्स 
  • कीमोथेरेपी 
  • रडिएशन थेरेपी या रेडिएशन से संपर्क 
  • ल्यूकेमिया 
  • सेप्सिस 
  • स्टेरॉयड का प्रयोग 

मोनोसाइट्स 

कोई जानकारी नहीं है।

इओसिनोफिल्स

  • एलर्जिक प्रतिक्रिया
  • एडिसन रोग  
  • कैंसर 
  • क्रोनिक मायलोजीनस ल्यूकेमिया 
  • हाइपर इओसिनोफिलिक सिंड्रोम 
  • कोलेजन वैस्कुलर डिजीज 
  • परजीवी संक्रमण 

कोई जानकारी नहीं है।

बेसोफिल्स 

  • एलर्जिक प्रतिक्रिया 
  • कोलेजन वैस्कुलर  डिजीज 
  • चेचक 
  • स्प्लेनेक्टोमी के बाद 
  • मायलोप्रोलाइफरेटिव डिजीज (बोन मेरो से जुड़े विकारों का समूह)
  • क्रोनिक मायलोजीनस ल्यूकेमिया
  • गंभीर चोट 
  • तीव्र संक्रमण 
  • कैंसर 

अपने परिणामों की सही जानकारी के लिए अपनी रिपोर्ट्स डॉक्टर को दिखाएं। ऐसा इसलिए क्योंकि डब्लूबीसी के स्तर हर व्यक्ति की उम्र, लिंग और स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार अलग आ सकते हैं। डब्लूबीसी के स्तर गर्भावस्था के दौरान अलग आ सकते हैं।

संदर्भ

  1. Mount Sinai [Internet]. Icahan School of Medicine. New York City (NY), U.S.A. Blood differential test
  2. University of Rochester Medical Center [Internet]. Rochester (NY): University of Rochester Medical Center; What are white blood cells?
  3. American Academy of Family Physicians [Internet]. Leawood (KS); Evaluation of Patients with Leukocytosis
  4. MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Blood Differential
  5. Muniz V, Weller P, et al. Eosinophil crystalloid granules: structure, function, and beyond. J Leukocyte Biol. 2012 August;92(2):281-288. PMID: 22672875
  6. Legrand F, Driss V, et al. Human eosinophils exert TNF-α and granzyme A-mediated tumoricidal activity toward colon carcinoma cells. J Immunol. 2010 December 15;185(12):7443-7451. PMID: 21068403.
  7. Harmening D. Clinical Hematology and Fundamentals of Hemostasis. 5th ed. Philadelphia, PA: F. A. Davis Company. 2009. Pp:305-328.
  8. UCSF health: University of California [internet]; Blood Differential
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