फैक्टर VIII टेस्ट क्या है?

फैक्टर VIII या क्लॉटिंग फैक्टर VIII शरीर द्वारा बनाया जाने वाला ब्लड क्लॉटिंग प्रोटीन है। चोट लगी जगह पर रक्त प्रवाह रोकने के लिए ये अन्य क्लोटिंग फैक्टर के साथ मिलकर एक जाल जैसी संरचना बनाता है। यदि इनमें से किसी भी फैक्टर के स्तर में कमी होती है तो पूरी प्रक्रिया खराब हो जाती है और व्यक्ति का अनियंत्रित रूप से खून बहता रहता है। प्रत्येक क्लॉटिंग फैक्टर की जांच के लिए अलग टेस्ट मौजूद हैं। फैक्टर  VIII टेस्ट क्लॉटिंग प्रोटीन VIII की जांच करता है।

यह मुख्य रूप से हीमोफीलिया नाम के एक अनुवांशिक विकार का परीक्षण करने के लिए किया जाता है। जिस व्यक्ति को यह विकार होता है उसमें फैक्टर VIII की कमी होती है। उन्हें अत्यधिक नील पड़ने, नाक से खून बहने और चोट से अनियंत्रित रक्तस्राव होने जैसी समस्याएं होती हैं।

हीमोफीलिया ए रोग X क्रोमोजोम के एक जीन की असामान्यता से जुड़ा हुआ होता है। यह आमतौर पर पुरुषों में अधिक होता है क्योंकि पुरुषों में केवल एक ही एक्स क्रोमोजोम होता है। महिलाओं में दो X क्रोमोसोम होते हैं, इसलिए अगर उनमें से किसी एक जीन में खराबी होती है, तो दूसरी जीन उस कमी को पूरा कर देती है। महिलाओं को हीमोफीलिया ए तभी होता है जब उनमें माता-पिता दोनों से ही खराब जीन आते हैं।

हीमोफीलिया ए की गंभीरता का पता फैक्टर VIII की सक्रियता के स्तर से लगाया जा सकता है। हालांकि, चूंकि रक्त के थक्के जमाने में विभिन्न क्लॉटिंग फैक्टर शामिल होते हैं, इसलिए यह टेस्ट अन्य सभी टेस्टों के साथ एक संपूर्ण परीक्षण के भाग के रूप में किया जाता है।

  1. फैक्टर VIII टेस्ट क्यों किया जाता है - Factor VIII Test Kyu Kiya Jata Hai
  2. फैक्टर VIII टेस्ट से पहले - Factor VIII Test Se Pahle
  3. फैक्टर VIII टेस्ट के दौरान - Factor VIII Test Ke Dauran
  4. फैक्टर VIII टेस्ट के परिणाम और नॉर्मल रेंज - Factor VIII Test Result and Normal Range

फैक्टर VIII टेस्ट किसलिए किया जाता है?

आपके डॉक्टर इस टेस्ट को करवाने की सलाह तब भी दे सकते हैं, जब आपको पिछले काफी समय से अनियंत्रित रूप से रक्त स्त्राव हो रहा हो या आपके परिवार के अन्य सदस्यों में से किसी को आनुवांशिक रूप से रक्तस्राव संबंधी कोई विकार हो।

रक्त स्राव के विकार से जुड़े लक्षण निम्न हैं :

  • लंबे समय से छोटी चोटों, सर्जरी या डेंटल प्रक्रियाओं में अनियंत्रित रूप से रक्त स्राव
  • बार-बार मसूड़ों से खून आना या नकसीर होना
  • गंभीर रूप से कमर के निचले हिस्से में दर्द होना (आमतौर पर एक तरफ)
  • छोटी सी चोट लगने पर भी खून चढ़ाने की जरूरत पड़ना
  • जोड़ों में दर्द और अकड़न होना
  • मासिक धर्म में ज्यादा खून आना
  • बार-बार रक्त स्त्राव और संक्रमण होने के कारण घाव धीरे भरना
  • जोड़ों में सूजन और प्रभावित हिस्सा गर्म महसूस होना
  • आसानी से नील पड़ना

इस टेस्ट की सलाह हीमोफीलिया ए के लिए किए जा रहे इलाज का प्रभाव देखने के लिए भी दी जाती है।

फैक्टर VIII टेस्ट की तैयारी कैसे करें?

इस टेस्ट के लिए किसी विशेष तैयारी की जरुरत नहीं होती। यदि आप डॉक्टर की सलाह से या उसके बिना कोई भी दवा या सप्लीमेंट ले रहे हैं तो इसके बारे में डॉक्टर को अवश्य बता दें। यदि आप कुछ दर्दनिवारक और रक्त को पतला करने वाली दवाएं ले रहे हैं, तो डॉक्टर इन्हें लेने से मना भी कर सकते हैं।

हालांकि, डॉक्टर से पूछे बिना कोई भी दवा लेना बंद न करें।

फैक्टर VIII टेस्ट कैसे किया जाता है?

फैक्टर VIII टेस्ट एक सामान्य टेस्ट है इसके लिए एक ब्लड सैंपल लेने की जरुरत होती है। डॉक्टर आपकी बांह की  नस में सुई लगाकर रक्त की पर्याप्त मात्रा निकाल लेंगे। ब्लड सैंपल को एक विशेष कंटेनर में डाल कर लैब टेस्ट के लिए भेज दिया जाएगा।

टेस्ट के बाद आपको हल्का सा दर्द और सुई लगी जगह पर नील भी पड़ सकता है। हालांकि यह लक्षण जल्द ही ठीक हो जाएंगे। जिन लोगों को रक्त स्राव संबंधी विकार हैं, उन्हें ब्लड सैंपल देते समय अत्यधिक रक्त स्त्राव होने का खतरा होता है। यदि सुई लगी जगह से आपको लगातार रक्त स्त्राव हो रहा है तो इसके बारे में तुरंत डॉक्टर को बताएं।

फैक्टर VIII टेस्ट के परिणाम और नॉर्मल रेंज

सामान्य परिणाम

फैक्टर VIII टेस्ट के परिणाम प्रतिशत में लिखे जाते हैं, यह आपके ब्लड सैंपल में फैक्टर VIII के क्रिया स्तर को दिखाता है। जब संदर्भ वैल्यू 100% होती है तो परिणाम को सामान्य माना जाता है। 

आमतौर पर सभी लैब की सामान्य वैल्यू रेंज 50-200% होती है। हालांकि, यह वैल्यू हर लैब की अलग आ सकती है।

असामान्य परिणाम

यदि परिणाम में बताई गई वैल्यू सामान्य वैल्यू की रेंज से बाहर है तो रिजल्ट असामान्य माने जाएंगे। सामान्य से कम वैल्यू के निम्न कारण हो सकते हैं :

  • हीमोफीलिया ए (6-50% तक की क्रिया को कम माना जाता है, 1-5% क्रिया को सामान्य माना जाता है और 1% से कम को गंभीर माना जाता है)
  • वॉन विल्लेब्रांड डिजीज (रक्तस्त्राव से जुड़ा विकार)
  • रक्त में फैक्टर VIII के विरोध में बने एंटीबॉडीज का होना
  • डिसेमिनेटेड इंट्रावैस्कुलर कोएग्युलेशन (डीआईसी, एक विकार जिसमें क्लॉटिंग फैक्टर पर नजर रखने वाले प्रोटीन अत्यधिक सक्रिय हो जाते हैं)

सामान्य से अधिक वैल्यू निम्न मामलों में आ सकती है :

परीक्षण के लिए डॉक्टर आपको अन्य टेस्ट करवाने के लिए भी कह सकते हैं। यह जानने के लिए कि आपके परिवार में हीमोफीलिया ए रोग कहीं पीढ़ी दर पीढ़ी न चल रहा हो, डॉक्टर कुछ जेनेटिक टेस्ट करने के लिए भी कह सकते हैं।

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संदर्भ

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