लिथियम टेस्ट क्या है?

लिथियम टेस्ट शरीर में लिथियम (एक प्रकार का खनिज) का स्तर जानने के लिए किया जाता है। इसकी मदद से लिथियम दवाओं की उचित खुराक को निर्धारित किया जाता है ताकि खून में लिथियम की मात्रा सही व सुरक्षित रेंज में रहे। यह टेस्ट लिथियम टॉक्सिसिटी का पता लगाने के लिए भी किया जाता है।

लिथियम को मूड स्टेबलाइजर के रूप में बाइपोलर डिसऑर्डर और डिप्रेशन के मरीज़ों को दिया जाता है, जो अन्य दवाओं पर प्रतिक्रिया नहीं करते। यह मूड स्विंग के लक्षणों को कम करने में मदद करता है। यह टेस्ट क्लस्टर सिर दर्द और स्किज़ोफेक्टिव डिसऑर्डर से बचाव रखने के लिए भी किया जा सकता है।

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  1. लिथियम टेस्ट क्यों किया जाता है - What is the purpose of Lithium test in Hindi
  2. लिथियम टेस्ट से पहले - Before Lithium test in Hindi
  3. लिथियम टेस्ट के दौरान - During Lithium test in Hindi
  4. लिथियम टेस्ट के परिणाम और नॉर्मल रेंज - Lithium test result and normal value in Hindi

लिथियम टेस्ट किसलिए किया जाता है?

जो लोग लिथियम की दवा ले रहे होते हैं उन्हें लिथियम टेस्ट हफ्ते में एक या दो बार करवाने की सलाह दी जाती है। यह टेस्ट दवा की सटीक डोज का पता लगाने के लिए भी किया जा सकता है। यह टेस्ट करवाने की सलाह उन लोगों को भी दी जा सकती है, जो कुछ समय से लिथियम दवाएं ले रहे हैं और उनकी खुराक में कुछ बदलाव करने की जरूरत है। यदि दवा की खुराक में कुछ बदलाव किया गया है, तो उसके पांच दिन या एक हफ्ते के बाद फिर से यह टेस्ट करवाने की सलाह दी जाती है। लिथियम टेस्ट की सलाह निम्नन स्थितियों में दी जाती है:

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यह टेस्ट ये भी निर्धारित करने में मदद करता है, दिखाई दे रहे लक्षण लिथियम के उच्च स्तर के कारण या किसी अन्य स्थिति के कारण विकसित हो रहे हैं।

इस के अतिरिक्त, इस टेस्ट की सलाह तब भी दी जाती है जब लिथियम टॉक्सिसिटी के अन्य लक्षण भी नजर आए, जैसे:

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लिथियम टेस्ट की तैयारी कैसे करें?

इस टेस्ट के लिए किसी विशेष तैयारी की जरूरत नहीं होती। हालाँकि, डॉक्टर को यह बताना जरूरी है की आपने लिथियम की आखिरी डोज़ कब ली थी। निम्न दवाएं टेस्ट के रिजल्ट को प्रभावित कर सकती हैं:

  • एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं
  • एंटीबायोटिक
  • डाइयूरेटिक
  • आर्थराइटिस की दवाएं
  • हृदय संबंधित दवाएं जैसे कैल्शियम चैनल ब्लॉकर और एंजियोटेन्सिन-कन्वर्टिंग एंजाइम इन्हिबिटर्स

इसलिए जो भी दवाएं आप ले रहें है, निश्चित रूप से उनके बारे में डॉक्टर को बता दें, जैसे कोई भी सप्लीमेंट, विटामिन, हर्ब्स, अवैध दवाएं (नशीली दवाएं) या डॉक्टर की सलाह के बगैर ली जाने वाली कोई भी दवा।

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लिथियम टेस्ट कैसे किया जाता है?

यह एक सामान्य ब्लड टेस्ट है, जिसमें ब्लड सैंपल हाथ की नस में सुई लगाकर ले लिए जाते हैं।

इस टेस्ट से कोई गंभीर जोखिम नहीं होता है। लेकिन जैसा कि इसमें ब्लड सैंपल सुई लगा कर लिया जाता है तो व्यक्ति को हल्का सा दर्द हो सकता है। इसके अलावा चक्कर आना, ब्लीडिंग, संक्रमण, नील पड़ना जैसा अनुभव हो सकता है।

कुछ लोगों को सुई लगने के दौरान एक चुभन सी महसूस होती है और बाद में भी थोड़ा दर्द रह सकता  है।

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लिथियम टेस्ट के परिणाम और नॉर्मल रेंज

सामान्य परिणाम: 

लिथियम की उपचारात्मक रेंज 0.6 से 1.2 mEq/L के बीच होती है। जिन लोगों में इस रेंज में लिथियम स्तर होता है उनमें लिथियम टॉक्सिसिटी के लक्षण नहीं होते हैं।

असामान्य परिणाम:

सामान्य से कम लिथियम का स्तर इस बात का सूचक है कि व्यक्ति को पर्याप्त और आवश्यक मात्रा में लिथियम नहीं मिल रहा है।

सामान्य से अधिक लिथियम का स्तर दिखाता है कि व्यक्ति को लिथियम की आवश्यकता से अधिक डोज़ दी गई है। जिन लोगों को लिथियम के साइड इफ़ेक्ट हुए हैं उन्हें जल्द से जल्द अपने डॉक्टर से मिल लेना चाहिए। लिथियम की अधिक मात्रा लिथियम पॉइजनिंग का कारण बन सकता है। जिसका जल्दी इलाज करवाना जरूरी है, क्योंकि यह गंभीर हो सकता है।

लिथियम के असामान्य स्तर हृदय और किडनी रोग का संकेत देते हैं। (और पढ़ें - किडनी रोग में परहेज)

लिथियम की आखिरी डोज लेने के 12 घंटे बाद लिथियम टेस्ट किया जाना चाहिए। अधिक नमक या कम नमक का आहार या पानी की कमी से टेस्ट के रिजल्ट पर प्रभाव पड़ सकता है। लिथियम का एक स्तर बनाए रखने से लिथियम से होने वाले साइज इफेक्ट को काफी हद तक कम किया जा सकता है और डॉक्टर को लिथियम की उचित खुराक निर्धारित करने में भी काफी मदद मिल जाती है।

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संदर्भ

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