मेटानेफ्राइन ब्लड टेस्ट क्या है?

मेटानेफ्राइन टेस्ट को प्लाज्मा फ्री मेटानेफ्राइन टेस्ट भी कहा जाता है। यह मेटानेफ्राइन और नोरमेटानेफ्राइन के स्तर की जानकारी देता है। ये एड्रेनालाईन और नोरएड्रेनालाईन के टूटने पर बनते हैं।

एड्रेनालाईन और नोरएड्रेनालाईन एड्रिनल ग्रंथि द्वारा बनने वाले हार्मोन हैं। एड्रिनल ग्रंथि त्रिकोण के आकार की छोटी ग्रंथि होती है जो कि किडनी के ऊपर मौजूद होती है। ये ब्लड प्रेशर और मेटाबोलिज्म को नियंत्रित करती है। इसके अलावा बाहरी तनाव और उत्तेजनाओं के प्रति प्रतिक्रिया करने में भी एड्रिनल ग्रंथि शरीर की मदद करती है।

एड्रिनल हार्मोन की कुछ मात्रा रक्त में भी मौजूद होती है। हालांकि यदि आपकी एड्रिनल ग्रंथि में ट्यूमर है, तो आपका शरीर अत्यधिक कैटिकोलामिन बनाने लगेगा। इससे उच्च रक्त चाप या गंभीर रूप से सिरदर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं और इसके कारण आपको स्ट्रोक या हृदय रोगों का खतरा भी बढ़ जाता है। हालांकि चूँकि एड्रिनल हार्मोन तेजी से टूटते हैं इसीलिए इनके स्तर की जांच इसके ब्रेकडाउन से बने पदार्थों पर की जा सकती है। इस मामले में ये पदार्थ मेटानेफ्राइन और नोरमेटानेफ्राइन हैं।

इसीलिए मेटानेफ्राइन ब्लड टेस्ट आपके शरीर में एड्रिनल ट्यूमर जैसे फीयोक्रोमोसाइटोमा या पैरागैंग्लियोमा की जांच करने के लिए किया जाता है। बहरहाल जिन लोगों को टाइप 1 डायबिटीज है उनमें मेटानेफ्राइन के स्तर कम देखे जाते हैं।

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  1. मेटानेफ्राइन ब्लड टेस्ट क्यों किया जाता है - Metanephrines Blood Test Kyu Kiya Jata Hai
  2. मेटानेफ्राइन ब्लड टेस्ट से पहले - Metanephrines Blood Test Se Pahle
  3. मेटानेफ्राइन ब्लड टेस्ट के दौरान - Metanephrines Blood Test Ke Dauran
  4. मेटानेफ्राइन ब्लड टेस्ट के परिणाम और नॉर्मल रेंज - Metanephrines Blood Test Result and Normal Range

मेटानेफ्राइन ब्लड टेस्ट क्यों किया जाता है?

एड्रिनल ग्रंथि के ट्यूमर की आशंका का पता लगाने के लिए डॉक्टर आपको यह टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं।

इस टेस्ट की सलाह मुख्यतः 40 वर्ष से कम उम्र वाले लोगों को ही दी जाती है, खासतौर पर जिनका ब्लड प्रेशर अचानक से बढ़ जाता है। बढ़े हुए मेटानेफ्राइन से जुड़े कुछ लक्षण निम्न हैं:

मेटानेफ्राइन टेस्ट को यूरिन टेस्टब्लड टेस्ट दोनों के रूप में किया जाता है। हालांकि ज्यादातर मामलों में ब्लड टेस्ट की मदद से यूरिन टेस्ट किया जाता है, क्योंकि यह अपेक्षाकृत सटीक होता है और इसके गलत परिणाम आने की संभावना भी कम होती है।

मेटानेफ्राइन ब्लड टेस्ट की तैयारी कैसे करें?

मेटानेफ्राइन ब्लड टेस्ट के लिए कुछ विशेष तैयारियों की जरूरत होती है। डॉक्टर आपको रात के बाद कुछ भी खाने-पीने से मना कर सकते हैं। हालांकि इस दौरान डॉक्टर सिर्फ पानी पीने की छूट दे सकते हैं।

टेस्ट से पहले अत्यधिक शारीरिक व्यायाम या कैफीन युक्त पेय पदार्थ जैसे कॉफी, चाय या कोला पीने से मना किया जाता है। टेस्ट से पहले शराब पीने और धूम्रपान करने से भी बचें।

यदि आप किसी भी तरह की दवा ले रहे हैं तो इसके बारे में भी डॉक्टर को बता दें। टेस्ट से पांच दिन पहले पेरासिटामोल दवा न लें। यदि आप रक्त को पतला करने वाली या डिप्रेशन को कम करने वाली दवा ले रहे हैं, तो इसके बारे में भी डॉक्टर को बता दें। कुछ विशेष दवाएं जैसे लेवोडोपा, लिथियम और निट्रोग्लिसरीन आदि न लें। हालांकि बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी दवा लेना बंद न करें।

मेटानेफ्राइन ब्लड टेस्ट कैसे किया जाता है?

डॉक्टर आपको टेस्ट से 15-30 मिनट पहले लेटने के लिए कहेंगे। डॉक्टर आपकी बांह की नस में सुई लगाकर ब्लड सैंपल ले लेंगे। इससे आपको हल्का सा दर्द हो सकता है। इस प्रक्रिया में 45 मिनट का समय लगता है। 

ब्लड टेस्ट से जुड़े कुछ जोखिम निम्न हैं:

मेटानेफ्राइन ब्लड टेस्ट के परिणाम और नॉर्मल रेंज

सामान्य परिणाम :
सामान्य परिणाम का मतलब है कि आपको एड्रिनल ग्रंथि का ट्यूमर नहीं है। मेटानेफ्राइन और नोरमेटानेफ्राइन के सामान्य स्तर निम्न हैं:

  • मेटानेफ्राइन: 12-60 pg/mL
  • नोरमेटानेफ्राइन: 18-111 pg/mL

असामान्य परिणाम :
मेटानेफ्राइन के अधिक स्तर निम्न की ओर संकेत करते हैं:

  • यदि स्तर थोड़ा बहुत ही बढ़ा है: ऐसे में एड्रिनल ग्रंथि में ट्यूमर होने का खतरा कम होता है।
  • मेटानेफ्राइन: 61-236 pg/mL
  • नोरमेटानेफ्राइन: 112-400 pg/mL
  • अत्यधिक वृद्धि: यह एड्रिनल ग्रंथि के ट्यूमर फीयोक्रोमोसाइटोमा, पैरागैंग्लियोमा और न्यूरोब्लास्टोमा के होने की अधिक आशंका की तरफ संकेत करता है। 
  • मेटानेफ्राइन: 236 pg/mL से अधिक
  • नोरमेटानेफ्राइन: 400 pg/mL से अधिक

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