ऑक्सालेट यूरिन टेस्ट क्या है?

ऑक्सेलेट यूरिन टेस्ट शरीर द्वारा पेशाब में निकाले जाने वाले ऑक्सेलेट की मात्रा का पता लगाता है।

ऑक्सेलेट कुछ विशेष खाद्य पदार्थों में प्राकृतिक रूप से मौजूद पदार्थ है। जब ये डाइटरी ऑक्सेलेट आंत तक पहुंचते हैं तो ये कैल्शियम से मिल कर कैल्शियम ऑक्सेलेट बनाते हैं। कैल्शियम ऑक्सेलेट मल द्वारा शरीर से निष्कासित कर दिया जाता है। हालांकि, अतिरिक्त ऑक्सेलेट किडनी द्वारा यूरिन से निकाल दिया जाता है। ऑक्सेलेट के प्रमुख स्रोत निम्न हैं :

जब यूरिन में बहुत अधिक ऑक्सेलेट और बहुत कम द्रव हो तो ये ऑक्सेलेट कैल्शियम के साथ मिलकर किडनी के अंदर कैल्शियम ऑक्सेलेट क्रिस्टल बनाते हैं। जैसे-जैसे अधिक क्रिस्टल बनते हैं वे एक साथ जुड़कर बड़े क्रिस्टल बनाते हैं जो कि पथरी में विकसित हो सकते हैं। यदि इनका इलाज न किया जाए तो गुर्दे क्षतिग्रस्त हो सकते हैं और गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।

  1. ऑक्सेलेट यूरिन टेस्ट क्यों किया जाता है - Oxalate Urine Test Kyu Kiya Jata Hai
  2. ऑक्सेलेट यूरिन टेस्ट से पहले - Oxalate Urine Test Se Pahle
  3. ऑक्सेलेट यूरिन टेस्ट के दौरान - Oxalate Urine Test Ke Dauran
  4. ऑक्सेलेट यूरिन टेस्ट के परिणाम का क्या मतलब है - Oxalate Urine Test Ke Parinam Ka Kya Matlab Hai

ऑक्सेलेट यूरिन टेस्ट क्यों किया जाता है?

यदि आपको बार-बार पथरी हो रही है तो डॉक्टर आपको इस टेस्ट को करवाने की सलाह दे सकते हैं। इस टेस्ट की मदद से डॉक्टर को पथरी का सही कारण पता लगाने में मदद मिलेगी जिससे सटीक ट्रीटमेंट दिया जा सकता है।

पथरी के कुछ सामान्य लक्षण निम्न हैं :

  • धुंधले रंग का और बदबूदार पेशाब आना
  • कमर के निचले भाग, आस-पास और पसलियों के नीचे बहुत तेज दर्द
  • पेट के निचले हिस्से और ऊसन्धि में दर्द 
  • पेशाब करते समय दर्द होना 
  • गुलाबी, लाल या भूरे रंग का यूरिन 
  • बार-बार पेशाब आना 
  • बुखार और कंपकंपी, मुत्राश्य संक्रमण के मामले में 
  • थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पेशाब आना 

ऑक्सेलेट यूरिन टेस्ट लो ऑक्सेलेट आहार के प्रभाव का पता लगाने के लिए भी किया जाता है जिसकी सलाह आमतौर पर पथरी के मरीजों को दी जाती है।

इसके अलावा यह टेस्ट हाइपरॉक्सलूरिया नामक एक दुर्लभ विकार की जांच करने के लिए किया जाता है। इस स्थिति में एक व्यक्ति का शरीर अत्यधिक मात्रा में ऑक्सेलेट बनाने लगता है जिससे उस व्यक्ति का शरीर किडनी और ब्लैडर स्टोन होने के लिए प्रवृत हो जाता है।

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ऑक्सेलेट यूरिन टेस्ट की तैयारी कैसे करें?

इस टेस्ट के लिए आपको किसी भी तैयारी की जरूरत नहीं है। इसके लिए भूखे रहने की भी जरूरत नहीं है। यदि आप किसी भी तरह की दवा ले रहे हैं तो इसके बारे में डॉक्टर को बता दें। पालक, बादाम, चॉकलेट और मूंगफली जैसे भोजन न खाएं। विटामिन सी से युक्त आहार खाने से भी मना किया जा सकता है क्योंकि ये टेस्ट के परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं। यदि आपको इंफ्लेमेटरी बोवेल रोग है या फिर आपने इंटेस्टिनल या कोलन सर्जरी करवाई है तो टेस्ट से पहले डॉक्टर को सूचित कर दें।

ऑक्सेलेट यूरिन टेस्ट कैसे किया जाता है?

यूरिन में ऑक्सेलेट के स्तरों की जांच करने के लिए चौबीस घंटे के यूरिन सैंपल की जरूरत होगी। डॉक्टर या नर्स आपको टेस्ट की प्रक्रिया के बारे में समझा देंगे। आपको सैंपल लेने के लिए एक विशेष कंटेनर दिया जाएगा। ठीक तरह से एनालिसिस के लिए आप सुबह से ही यूरिन सैंपल लेना शुरू कर दें। 

  • यूरिन सैंपल लेने से पहले अपने हाथों को अच्छे से धोएं।
  • दिन के पहले यूरिन का सैंपल न लें। लेकिन इस समय को कलेक्शन प्रक्रिया के समय में लिख लें।
  • चौबीस घंटे का सारा यूरिन दिए गए कंटेनर में रखें।
  • कंटेनर को किसी ठंडी जगह पर रखें। जब तक यह लैब में न जाए, आप इसे रेफ्रीजिरेटर में भी रख सकते हैं।
  • लैब में भेजने से पहले कंटेनर पर लेबल लगा दें। 

यह एक सामान्य टेस्ट है जिसमें किसी भी प्रकार का कोई जोखिम नहीं है। इसीलिए टेस्ट करने के लिए घर पर ही सैंपल लेने की सलाह दी जाती है ताकि आप सैंपल को ठीक तरह से इकट्ठा और संचित कर सकें।

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ऑक्सेलेट यूरिन टेस्ट के परिणाम का क्या मतलब है?

सामान्य परिणाम

चौबीस घंटे के यूरिन सैंपल में 45 mg ऑक्सेलेट को सामान्य माना जाता है। सामान्य परिणाम का मतलब है कि आपको पथरी होने का खतरा नहीं है। 

असामान्य परिणाम

यूरिन में ऑक्सेलेट के 45 mg से  अधिक स्तर होने का मतलब परिणाम असामान्य हैं। यूरिन ऑक्सेलेट के अधिक स्तर इस बात की ओर संकेत करते हैं कि आपको पथरी होने का अधिक खतरा है। अन्य स्थितियां जो ऑक्सेलेट के अधिक स्तर से जुड़ी होती हैं वे निम्न हैं :

  • माइल्ड मेटाबोलिक हाइपरॉक्सलूरिया - यह ऑक्सेलेट और विटामिन सी के अत्यधिक सेवन से हो सकता है। 
  • एंटेरिक हाइपरॉक्सलूरिया - एंटेरिक हाइपरॉक्सलूरिया इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज, बाउल रिसेक्शन, जेजुनोइलियल बाईपास या कुअवशोषण के कारण हो सकता है। 
  • प्राइमरी हाइपरॉक्सलूरिया -  यह एक दुर्लभ अनुवांशिक विकार है जो कि अत्यधिक ऑक्सेलेट लेने से हो सकता है 
  • एक्यूट ईथीलीन ग्लाइकोल पोइज़िनिंग

संदर्भ

  1. National Kidney Foundation [Internet]. New York (NY). US; What are Oxalates and Why are They a Concern for Kidney Disease Patients?
  2. University of Rochester Medical Center [Internet]. Rochester (NY): University of Rochester Medical Center; Oxalate (Urine)
  3. Goldman L, et al., eds. Nephrolithiasis. In: Goldman-Cecil Medicine. 25th ed. Philadelphia, Pa.: Saunders Elsevier; 2016
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  6. Pearle MS, Goldfarb DS, Assimos DG, et al. Medical management of kidney stones: AUA guideline. J Urol. 2014;192(2):316–324. PMID: 24857648.
  7. Melmed S, et al. Kidney stones. In: Williams Textbook of Endocrinology. 12th ed. Philadelphia, Pa.: Saunders Elsevier; 2011
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