रेटिक्युलिन स्टेन क्या है?

रेटिक्युलिन स्टेन हिस्टोपैथोलॉजी लैब में प्रयोग किया जाता है। हिस्टोपैथोलॉजी, ऊतकों का सूक्ष्मदर्शी अध्ययन है जो कि रोग की जांच करने में मदद करता है। इस टेस्ट में शरीर के ऊतकों का सैंपल (बायोप्सी) लेकर उन्हें माइक्रोस्कोप में देखा जाता है। इस टेस्ट में आमतौर पर लिवर के ऊतकों की जांच की जाती है, लेकिन इनमें गुर्दे और प्लीहा (Spleen) के ऊतक भी शामिल होते हैं। इलाज के दौरान जब किसी रोग में ऊतकों के करीबी अध्ययन की जरूरत होती है तो हिस्टोपैथोलॉजिकल स्टेनिंग की जाती है। स्टेनिंग की मदद से परीक्षण किया गया ऊतक, अन्य ऊतकों से अलग दिखने लगता है। साथ ही यह ऊतक में कॉन्ट्रास्ट बढ़ा देता है, जिससे डॉक्टर और अधिक स्पष्ट रूप से इसे देख पाते हैं।

रेटिक्युलिन कोलेजन का एक प्रकार है जो कि भिन्न अंगों की झिल्ली में मिलता है। रेटिक्युलिन फाइबर अंगों में एक जाल की तरह का ढांचा बनाता है और नरम ऊतकों के ढांचे बनाने में मदद करता है। स्टेनिंग के बाद यह जाल जैसा ढांचा माइक्रोस्कोप में काले रंग का दिखाई देता है।

रेटिक्युलिन स्टेन अमोनायकल सिल्वर व फोर्मलिन का बना होता है और इस स्टेनिंग प्रक्रिया को मेटल संसेचन (इम्प्रेग्नेशन) कहा जाता है। सिल्वर धीरे-धीरे ऊतकों से जुड़ता है और फॉर्मलीन रंगों को उभारने के लिए ऊतकों के साथ प्रतिक्रिया करता है, जिससे टिशू अच्छे से दिखाई देते हैं।

जिस टिशू सैंपल की जांच की जानी होती है वह बायोप्सी की प्रक्रिया द्वारा लिया जाता है।

रेटिक्युलिन स्टेनिंग आमतौर पर ट्यूमर का पता लगाने के लिए की जाती है।

  1. रेटिक्युलिन स्टेन क्यों किया जाता है - Reticulin stain Kyu Kiya Jata Hai
  2. रेटिक्युलिन स्टेन से पहले - Reticulin stain Se Pahle
  3. रेटिक्युलिन स्टेन के दौरान - Reticulin stain Ke Dauran
  4. रेटिक्युलिन स्टेन के परिणाम का क्या मतलब है - Reticulin stain Ke Parinam Ka Kya Matlab Hai

रेटिक्युलिन स्टेन किसलिए किया जाता है?

रेटिक्युलिन स्टेन की प्रक्रिया रेटिक्युलिन फाइबर की पहचान और शरीर की कोशिकाओं (लिवर, किडनी और प्लीहा से ली गई) की जांच करने के लिए किया जाता है। यह जांच नेक्रोसिस (किसी ऊतक की कोशिकाओं का असामान्य रूप से नष्ट होना) और हाइपरप्लासिया (कोशिकाओं के अत्यधिक विभाजन के कारण ऊतक के आकार में वृद्धि) जैसी स्थितियों का पता लगाने के लिए किया जाता है।

यह स्टेन बोन मेरो की जांच करने के लिए भी किया जा सकता है।

रेटिक्युलिन स्टेन की तैयारी करें?

बायोप्सी करवाने से पहले कुछ विशेष तैयारी करने की जरूरत होती है। 

मुख्य तौर पर यदि आप निम्न में से कोई भी दवा ले रहे हैं तो इसके बारे में डॉक्टर को बताएं :

डॉक्टर आपको टेस्ट से आठ घंटे पहले कुछ भी खाने-पीने से मना कर सकते हैं।

अपने साथ अपने परिजन या दोस्त को लाएं और वापस जाते समय खुद गाड़ी न चलाएं।

रेटिक्युलिन स्टेन कैसे किया जाता है?

लिवर की बायोप्सी निम्न तरीके से की जाती है :

  • नर्स आपको टेस्ट के लिए एक गाउन देंगी
  • डॉक्टर आपको इंट्रावेनस प्रक्रिया से सीडेटिव देंगे, ताकि आप आराम महसूस कर सकें
  • यदि बायोप्सी में त्वचा के अंदर (परक्यूटेनियस) से सैंपल लेना है तो डॉक्टर आपके पेट के अंदर से लिवर में एक सुई लगाकर टिशू सैंपल ले लेंगे।
  • यदि ट्रांसज्युगुलर बायोप्सी की जानी है तो एक तार से जुड़ी हुई सुई को गर्दन में छोटा सा छेद करके डाला जाएगा। नस के माध्यम से इस सुई को लिवर टिशू का सैंपल लेने के लिए भेज दिया जाएगा। ये बायोप्सी तभी की जाती है जब मरीज को रक्तस्त्राव से जुड़े विकार होते हैं या छोटा सा चीरा लगने पर अधिक रक्त निकलता है।
  • लैप्रोस्कोपिक बायोप्सी में पेट पर एक छोटा चीरा लगाकर उसमें ट्यूब के जैसा उपकरण लगाया जाता है और उसके द्वारा सैंपल ले लिया जाता है।

बोन मेरो बायोप्सी के लिए आपको एक तरफ मुंह कर के लेट जाने को कहा जाएगा। इस दौरान आपके घुटने छाती तक मुड़े होने चाहिए। इसके बाद सुई आपके कूल्हों की हड्डी में लगाई जाएगी और बोन मेरो का सैंपल ले लिया जाएगा।

रेटिक्युलिन स्टेन के परिणाम क्या बताते हैं?

सामान्य परिणाम :

नॉर्मल रिजल्ट में रेटिक्युलर फाइबर की संरचना सामान्य रूप से जाल जैसी दिखाई देगी।

असामान्य परिणाम :

यदि रेटिक्युलर फाइबर के पैटर्न माइक्रोस्कोप में थोड़े खराब दिखाई देते हैं तो ये असामान्य परिणाम की ओर संकेत करता है। ये लिवर सिरोसिस या ट्यूमर की तरफ संकेत कर सकता है।

संदर्भ

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