थायराइडिटिस प्रोफाइल थारायइडिसि का पता लगाने के लिए किए जाने वाले कई तरह के टेस्‍टों का ग्रुप है। इसमें टोटल (टी3, टी4 और टीएसएच), एंटी-थायरोग्लुबलिन (एंटी-टीजी) और एंटी-थायराइड पैरॉक्‍सीडेज (एंटी-टीपीओ) टेस्‍ट शामिल हैं।

थायराइड ग्रंथि में सूजन आने को थायराइडिटिस कहते हैं। थायराइड हार्मोन के कम या अधिक उत्‍पादन की वजह से यह स्थिति उत्‍पन्‍न हो सकती है।

गले के निचले हिस्‍से में थायराइड ग्रंथि होती है। यह तितली के आकार की ग्रंथि होती है और मेटाबॉलिज्‍म में मदद करने वाले हार्मोंस बनाती है।

थायराइडिटिस के कुछ संभावित कारणों में इंफेक्‍शन या रेडिएशन या दवाओं के साइड इफेक्‍ट शामिल हैं। थायराइडिटिस जेनेटिक हो सकता है या ऑटोइम्‍यून विकार के रूप में हो सकता है जिसमें शरीर अपने ऊपर ही अटैक करने लगता है।

थायराइडिटिस के प्रकार हैं :

  • हशिमोटो थायराइडिटिस : यह एक ऑटोइम्‍यू‍न स्थिति है जो पुरुषों से ज्‍यादा महिलाओं को प्रभावित करती है। जब इम्‍यून सिस्‍टम थायराइड कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है, तब यह स्थिति उत्‍पन्‍न होती है। इसकी वजह से हायपोथायराइडिज्‍म होता है और इसके अलाज के लिए थायराइड रिप्‍लेसमेंट थेरेपी दी जाती है।
  • साइलेंट थायराइडिटिस : यह थायराइडिटिस का दूसरा सबसे आम प्रकार है। यह भी ऑटोइम्‍यून बीमारी है जो शरीर में एंटी-थायराइड एंटीबॉडीज की मौजूदगी पर होती है।
  • पोस्‍ट-पार्टम थायराइडिटिस : यह ऑटोइम्‍यून स्थिति कम ही होती है और डिलीवरी के बाद महिलाओं में दिख सकती है।
  • दवा से होने वाला थायराइडिटिस : कुछ दवाओं जैसे कि लिथियम, साइटोकिंस, इंटेरफेरॉन्‍स और एमिओडेरोन की वजह से इस प्रकार का थायराइडिटिस कुछ लोगों में हो सकता है।
  • रेडिएशन से होने वाला थायराइडिटिस : हायपरथायराइडिज्‍म के इलाज के लिए इस्‍तेमाल होने वाली कैंसर या रेडियोएक्टिव आयोडीन में प्रयोग होने वाली रेडिएशन की वजह से इस प्रकार का थायराइडिटिस हो सकता है।
  • एक्‍यूट थायराइडिटिस या सपुरेटिव थायराइडिटिस : यह दुर्लभ ही होता है और यह बैक्‍टीरिया या संक्रामक जीवों से होता है।
  • सबएक्‍यूट थायराइडिटिस या डी क्‍यूरवेन थायराइडिटिस : यह एक दर्दभरी स्थिति होती है जो वायरल इंफेक्‍शन होने के कुछ हफ्तों बाद दिखती है।

ब्‍लड टेस्‍ट की एक सीरीज से थायराइडिटिस का पता चल सकता है जिससे शरीर में थायराइड हार्मोन, टीएसएच और एंटीबॉडीज की मात्रा का पता चलता है, जैसे कि :

  • टी3 (ट्रिओडोथायरोनिन) टेस्‍ट : इस टेस्‍ट से खून में टी3 का लेवल पता चलता है। टी3 फ्री (किसी चीज से जुड़ा नहीं होता) और बाउंड (प्रोटीन से जुड़ा) होता है। टोटल टी3 लेवल में बाउंड और फ्री टी3 दोनों शामिल है।
  • टी4 (थायरॉक्सिन) टेस्‍ट : यह एक ब्‍लड टेस्‍ट है जो शरीर में टी4 लेवल को मापता है। टी3, टी4 की तरह यह भी बाउंड और फ्री रूप में होता है। टी3 के साथ थायराइड ग्रंथि इसे भी बनाती है। टी4 टोटल में फ्री और बाउंड दोनों होते हैं। टी4, टी3 के साथ मिलकर मेटाबॉलिज्‍म को कंट्रोल करता है और शरीर के तापमान, मस्तिष्‍क के विकास, हार्ट के कार्य और सांस लेने जैसी प्रक्रियाओं को कंट्रोल करता है।
  • टीएसएच टेस्‍ट : इस टेस्‍ट से खून में थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन के लेवल का पता चलता है। मस्तिष्‍क में स्थित पिट्यूटरी ग्रंथि टीएसएच हार्मोन बनाती है। यह हार्मोन शरीर में थायराइड हार्मोनों के स्‍तर को कंट्रोल करने के लिए जिम्‍मेदार होता है। अगर थायराइड गंथि बहुत ज्‍यादा थायराइड हार्मोन बनाने लगे, तो पिट्यूटरी ग्रंथि टीएसएच की मात्रा कम कर देता है जिससे थायराइड हार्मोनों का लेवल घट जाता है। जब थायराइड हार्मोन बहुत कम हो जाएं तो पिट्यूटरी टीएसएच ज्‍यादा बनाती है जिससे थायराइड ग्रंथि उत्तेजित होकर थायराइड हार्मोनों के उत्‍पादन को बढ़ा देती है।
  • एंटी-टीपीओ एंटीबॉडी टेस्‍ट : यह टेस्‍ट एंजाइम थायराइड पैरॉक्‍सीडेज के विरोध में एंटीबॉडीज के लेवल को चेक करता है। थायराइड पैरॉक्‍सीडेज थायराइड गंथि में टी3 और टी4 बनाने में मदद करता है। थायराइड पैरॉक्‍सीडेज की कमी से हाइपोथायराइडिज्‍म होता है।
  • एंटी-टीजी एंटीबॉडी टेस्‍ट : यह ब्‍लड टेस्‍ट है जो थायराइड ग्रंथि द्वारा बनने वाले प्रोटीन यानि थायरोग्‍लुबलिन के विरोध में बन रहे एंटीबॉडीज के लेवल का पता लगाने के लिए किया जाता है। थायरोग्‍लुबलिन थायराइड हार्मोनों के स्‍टोरेज और उत्‍पादन में अहम भूमिका निभाता है।
  1. थायरॉयडिटिस टेस्ट क्‍यों किया जाता है - Thyroiditis Test karne ka kaaran
  2. टेस्ट से पहले की तैयारी - Thyroditis Test se pahle ki taiyari
  3. टेस्‍ट कैसे किया जाता है - Thyroditis test karne ka tarika
  4. लैब टेस्ट के परिणाम और नार्मल रेंज - Lab Test ke parinam

थायराइडिटिस के लक्षण दिखने पर डॉक्‍टर थायराइडिटिस प्रोफाइल टेस्‍ट लिख सकते हैं।

थायराइडिटिस के तीन स्‍टेज हैं :

  • थायरोटॉक्सिक फेज : थायराइड में सूजन की वजह से हार्मोंस ज्‍यादा रिलीज होते हैं।
  • हाइपोथायराइड फेज : कुछ महीनों या हफ्तों के लिए हार्मोनों का शुरुआत में बहुत ज्‍यादा रिलीज होने की वजह से थायराइड हार्मोनों का स्राव कम होना।
  • यूथायराइड फेज : थायराइड हार्मोन लेवल नॉर्मल हो जाता है। ये फेज थायरोटॉक्सिक फेज और हाइपोथायराइड फेज के बीच या थायराइडिटिस के ग्‍लैंड से रिकवर होने के बाद हो सकता है।

थायराइडिटिस के प्रकार और फेज के हिसाब से लक्षण अलग हो सकते हैं।

  • हायपरथायराइड फेज : आमतौर पर यह एक से तीन महीनों तक रहता है। इस फेज में कोशिकाओं को डैमेज होने की वजह से थायराइड हार्मोन बहुत ज्‍यादा बनने लगता है। इसके लक्षण हैं :
  • हाइपोथायराइड फेज : ये स्‍टेज ज्‍यादा देखा जाता है। यह ज्‍यादा समय तक रहता है और परमानेंट भी हो सकता है। अगर कोशिका को डैमेज की वजह से थायराइड हार्मोन लेवल गिर जाए, तो निम्‍न लक्षण दिख सकते हैं :
    • बेवजह वजन बढ़ना
    • थकान
    • डिप्रेशन
    • कब्‍ज
    • रूखी त्‍वचा
    • ध्‍यान लगाने में दिक्‍कत होना
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टेस्‍ट से पहले व्रत रखने की जरूरत पड़ सकती है। अगर आप प्रेगनेंट हैं, एक्‍यूट या दीर्घकालिक बीमारियां हैं या बहुत ज्‍यादा तनाव में हैं तो डॉक्‍टर को बताएं।

जो भी दवा ले रहे हैं, तो डॉक्‍टर को बताएं। इसमें विटामिन, सप्‍लीमेंट, जड़ी बूटियां, डॉक्‍टर के पर्चे के बिना मिलने वाली दवा और गैर-कानूनी दवाएं शामिल हैं।

थायराइड की दवा टी3 और एंटी-टीजी एंटीबॉडीज टेस्‍ट और दवाओं जैसे कि स्‍टेरॉइड्स, गर्भ निरोधक और दौरे पड़ने वाली दवाएं टी3 और टी4 टेस्‍ट के रिजल्‍ट को प्रभावित कर सकता है। फेनिटोइन, डोपामाइन, फेनोथियाजिंस और ग्‍लूकोकोर्टिकोइड्स से टीएसएच टेस्‍ट रिजल्‍ट को प्रभावित कर सकता है।

सीवीड जैसे खाद्य पदार्थों जिनमें आयोडीन बहुत ज्‍यादा होता है, उससे भी टी3 टेस्‍ट का रिजल्‍ट प्रभावित हो सकता है।

खून का सैंपल लेकर थायराइड प्रोफाइल टेस्‍ट किया जाता है। निम्‍न तरीके से बांह की नस से खून निकाला जाएगा।

  • लैब टेक्‍नीशियन हाथ पर एक बैंड बांध देंगे और जहां सुई लगानी है, उस जगह को एंटीसेप्टिक सॉल्‍यूशन से साफ करेंगे।
  • अब सुई को नस में घुसाकर थोड़ा खून निकालेंगे। सुई की वजह से थोड़ी चुभन महसूस हो सकती है।
  • सैंपल लेने के बाद बैंड निकाल लेंगे।
  • इसके बाद खून को लेबल लगी बोतल में डालकर उसे टेस्‍ट के लिए लैब में भेज दिया जाएगा।
  • ज्‍यादातर ब्‍लड टेस्‍ट सुरक्षित होते हैं, हालांकि, कुछ मरीजों को टेस्‍ट के बाद चक्‍कर आना या अजीब महसूस हो सकता है। सुई वाली जगह पर नील भी पड़ सकती है। इसमें चिंता की कोई बात नहीं है। अगर नील ठीक नहीं होती है या सुई वाली जगह पर इंफेक्‍शन होता दिख रहा है, तो डॉक्‍टर को बताएं।
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नॉर्मल रिजल्‍ट :

  • टोटल टी3 : 75 से 195 नैनोग्राम प्रति डेसीलीटर
  • टोटल टी4 : 4.6 से 11.2 माइक्रोग्राम प्रति डेसीलीटर
  • टीएसएच : 0.5 से 5 माइक्रोयूनिट प्रति मिलीलीटर, आमतौर पर यह टेस्‍ट सुबह किया जाता है क्‍योंकि दिन बढ़ने के साथ इसकी वैल्‍यू में बदलाव आ सकता है।
  • एंटी-टीजी एंटीबॉडी : 0 से 4.0 इंटरनेशनल यूनिट प्रति मिलीलीटर
  • एंटी-टीपीओ एंटीबॉडी : 0 से 9.0 इंटरनेशनल यूनिट प्रति मिलीलीटर

असामान्‍य रिजल्‍ट :

ये टेस्‍ट रिजल्‍ट अनुमानित और हर लैब में अलग-अलग हो सकते हैं। अगर आपके टेस्‍ट की वैल्‍यू नॉर्मल रेंज में नहीं है तो जरूरी नहीं है कि इसका यही मतलब हो कि आपको थायराइड विकार है।

अगर टी3 लेवल बहुत ज्‍यादा है, तो निम्‍न स्थितियां हो सकती हैं :

  • टी3 थायरोटॉक्सिकोसिस (दुर्लभ)
  • थायराइड दवाएं या कुछ सप्‍लीमेंट लेना
  • थायराइड ग्रंथि का बहुत ज्‍यादा एक्टिव होना (जैसे कि ग्रेव्‍स डिजीज)
  • लिवर रोग

अगर टी3 लेवल नॉर्मल से कम हो, तो निम्‍न संकेत हो सकता है :

  • थायराइडिटिस (इसका सबसे आम प्रकार हशिमोटो डिजीज है)
  • भूखा रहना
  • थायराइड ग्रंथि का कम सक्रिय होना

अगर आपका टी4 लेवल नॉर्मल से ज्‍यादा है, तो यह हायपरथायराइडिज्‍म हो सकता है। यदि आपका लेवल नॉर्मल से कम है, तो यह हाइपोथायराइडिज्‍म हो सकता है।

टीएसएच ज्‍यादा होने का मतलब हाइपोथायराइडिज्‍म हो सकता है। टीएसएच लेवल कम होने पर निम्‍न स्थितियां हो सकती हैं :

  • ग्रेव्‍स डिजीज
  • टॉक्सिक नोड्युलर गॉइटर
  • बहुत ज्‍यादा आयोडीन

अगर एंटी-टीजी एंटीबॉडीज खून में पाए जाएं तो आपका रिजल्‍ट पॉजिटिव है। निम्‍न स्थितियों में ऐसा हो सकता है :

  • हशिमोटो थायराइडिटिस
  • सबएक्‍यूट थायराइडिटिस
  • ग्रेव्‍स डिजीज
  • थायराइड ग्रंथि का कम सक्रिय होना

अगर एंटी-टीपीओ एंटीबॉडीज खून में हों तो आपको हशिमोटो थायराइडिटिस हो सकता है।

नोट : पूर्ण और सटीक निदान करने के लिए सभी परिणामों को रोगी की शिकायतों के साथ चिकित्सकीय रूप से सहसंबद्ध होना चाहिए। उपरोक्त जानकारी विशुद्ध रूप से शैक्षिक दृष्टिकोण से प्रदान की गई है और किसी भी तरह से किसी योग्य चिकित्सक की चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है।

संदर्भ

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