ट्रांस्फरिन टेस्ट क्या है?

यह टेस्ट खून में ट्रांस्फरिन का स्तर जानने के लिए किया जाता है। ट्रांस्फरिन लिवर के द्वारा बनाया जाने वाला एक प्रकार का प्रोटीन होता है। यह आयरन से जुड़ कर उसे शरीर के विभिन्न अंगों में पहुंचाने का काम करता है। आयरन की कमी होने पर ट्रांस्फरिन अधिक मात्रा में बनने लगता है। शरीर में मौजूद आयरन काफी मात्रा में इस प्रोटीन से जुड़ा होता है, इसीलिए ट्रांस्फरिन टेस्ट आयरन के स्तर पर नजर रखने में भी मदद करता है।

ट्रांस्फरिन टेस्ट के साथ किए जाने वाले आयरन टेस्ट में, टोटल आयरन बाइंडिंग कैपेसिटी (टीआईबीसी), ट्रांस्फरिन सेचुरेशन एंड अनसेचुरेटेड आयरन बाइंडिंग कैपेसिटी (यूआईबीसी) आदि शामिल हैं।

  1. ट्रांस्फरिन टेस्ट क्यों किया जाता है - Transferrin Test Kisliye Kiya Jata Hai
  2. ट्रांस्फरिन टेस्ट से पहले - Transferrin Test Se pahle
  3. ट्रांस्फरिन टेस्ट के दौरान - Transferrin Test Ke Dauran
  4. ट्रांस्फरिन टेस्ट के रिजल्ट और नॉर्मल रेंज - Transferrin Test Ke Result and Normal Range

 ट्रांस्फरिन टेस्ट किसलिए किया जाता है?

आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया (ऐसी स्थिति जिसमें शरीर में पर्याप्त मात्रा में आयरन ना होने के कारण हीमोग्लोबिन नहीं बन पाता) विकसित होने पर डॉक्टर ट्रांस्फरिन टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं। भोजन द्वारा पर्याप्त मात्रा में आयरन न मिलने या शरीर से अधिक खून बहने के कारण शरीर में आयरन की कमी हो सकती है। यह समस्या आमतौर पर गर्भवती महिलाओं में देखी जाती है।

एनीमिया के लक्षण हैं:

नाखून नाजुक हो जाना और भोजन खाने का मन करना (असामान्य रूप से) भी एनीमिया के कुछ लक्षण हो सकते हैं, जो कभी-कभार दिखाई दे सकते हैं।

किसी व्यक्ति में आयरन की अधिक मात्रा होने पर भी यह टेस्ट करवाने की सलाह दी जा सकती है। शरीर के ऊतकों और खून में आयरन का अधिक जमाव समय के साथ-साथ और भी बढ़ता रहता है। यह आमतौर पर निम्न समस्याएं पैदा कर देता है: 

जिन लोगों ने लगातार कई बार खून दिया है, उनको थैलासीमिया मेजर (Thalassemia major) और हेमोसीडेरोसिस (Hemosiderosis) रोग हो सकता है। हेमोसीडेरोसिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर के ऐसे अंगों में आयरन अत्यधिक बढ़ जाता है, जिनमें आमतौर पर आयरन का स्तर अधिक ही होता है। आयरन के स्तर की अधिकता उन लोगों में भी मिलती है, जो हेमोक्रोमैटोसिस (एक असाधारण स्थिति जिसमे शरीर अधिक मात्रा में आयरन बनाता है ), सिकल सेल एनीमिया और क्रोनिक लिवर डिजीज आदि जैसे रोगों से ग्रस्त होते हैं या जिन्हें शराब की लत होती है।

अंततः ट्रांस्फरिन टेस्ट करवाने की सलाह उन लोगों को दी जाती है जिनमे लोहा विषाक्तता (आयरन पाइजनिंग) पाई जाती है। यह समस्या आम तौर पर बच्चों में देखी जाती है, क्योंकि वे अनजाने में आयरन से उच्च खाद्य पदार्थ अधिक मात्रा में खा लेते हैं।

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ट्रांस्फरिन टेस्ट की तैयारी  कैसे करें?

इस टेस्ट के लिए कोई विशेष तैयारी करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। यदि आप किसी प्रकार की दवा खा रहे हैं या कोई विटामिन सप्लीमेंट्स आदि ले रहे हैं, तो टेस्ट करवाने से पहले डॉक्टर को इस बारे में पूरी जानकारी दे देनी चाहिए। यदि आप कोई दवाई बिना डॉक्टर की सलाह के ले रहे हैं या फिर किसी नशीली दवा या पदार्थ का सेवन करते हैं, तो इस बारे में भी डॉक्टर को टेस्ट करवाने से पहले ही बता देना चाहिए।

ट्रांस्फरिन टेस्ट कैसे किया जाता है?

ट्रांस्फरिन टेस्ट करने के लिए बांह की नस से खून का सेंपल निकाला जाता है और खून को निकालने के लिए एक स्वच्छ (रोगाणुरहित) सुई का इस्तेमाल किया जाता है।

ट्रंस्फरिन टेस्ट एक प्रकार का ब्लड टेस्ट होता है, जिससे कुछ छोटे-मोटे जोखिम भी जुड़े हो सकते हैं जैसे चक्कर आना, त्वचा से खून बहना और इंजेक्शन वाली सुई से संक्रमण होना आदि। कुछ लोगों को ब्लड सेंपल निकालते समय चुभन जैसा दर्द महसूस हो सकता है, हालांकि यह थोड़ी देर बाद ठीक हो जाता है।

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ट्रांस्फरिन टेस्ट के नतीजे क्या बताते हैं?

 सामान्य परिणाम: 

  • खून में ट्रांस्फरिन की नॉर्मल रेंज 170 से 370 मिलीग्राम/डेसीलीटर (mg/dL) है। 
  • आयरन से जुड़ने की क्षमता के अनुसार ट्रांस्फरिन की सामान्य रेंज 300 से 360 mcg/dL है। 
  • ट्रांस्फरिन सेचुरेशन वेल्यू के अनुसार ट्रांस्फरिन की सामान्य रेंज 20% से 50% तक है।

असामान्य परिणाम:

  • ट्रांस्फरिन का सामान्य से कम स्तर हीमोलाइटिक एनीमिया और लिवर डिजीज का संकेत देता है। 
  • लो ट्रांस्फरिन सेचुरेशन (10% से कम) एनीमिया और आयरन की कमी का संकेत देता है। 
  • टीआईबीसी के अनुसार ट्रांस्फरिन का उच्च स्तर भी आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया का संकेत देता है।
  • गर्भनिरोधक गोलियां भी ट्रांस्फरिन स्तर में बदलाव कर सकती हैं और कुछ मेडिकल समस्याएं भी हैं, जो ट्रांस्फरिन के स्तर को कम या ज्यादा कर सकती हैं।

संदर्भ

  1. University of Rochester Medical Center [Internet]. Rochester (NY): University of Rochester Medical Center; Transferrin
  2. Wintrobe’s Clinical Hematology. 12th ed. Greer J, Foerster J, Rodgers G, Paraskevas F, Glader B, Arber D, Means R, eds. Philadelphia, PA: Lippincott Williams & Wilkins: 2009. Pg. 818.
  3. Tietz Textbook of Clinical Chemistry and Molecular Diagnostics. Nader Rifai. 6th edition, Elsevier Health Sciences; 2017. Pg 742.
  4. Center for Disease Control and Prevention [internet], Atlanta (GA): US Department of Health and Human Services, Iron-Status Indicators
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  6. MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Iron deficiency anemia
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